Mumbai train blasts 2006: हमें हार नहीं माननी चाहिए और हर समय आगे बढ़ते रहना चाहिए, व्हीलचेयर पर निर्भर 37 वर्षीय पीड़ित सीए चौहान ने कहा, पीएम मोदी को धन्यवाद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 12, 2023 14:56 IST2023-07-12T14:54:14+5:302023-07-12T14:56:07+5:30
Mumbai train blasts 2006: 17 साल पहले की घटना के बाद से व्हीलचेयर पर निर्भर 37 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) चिराग चौहान ने कहा, ‘‘हमें हार नहीं माननी चाहिए और हर समय आगे बढ़ते रहना चाहिए।’’

file photo (pm modi)
Mumbai train blasts 2006: मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को ट्रेन में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में बचे एक व्यक्ति ने पक्षाघात के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और उस भयावह घटना के तीन साल बाद सीए पाठ्यक्रम पूरा किया। इन विस्फोटों में 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
घटना के बाद पक्षाघात के कारण मुश्किलों से जूझते हुए उन्होंने यह कामयाबी हासिल की। 17 साल पहले की घटना के बाद से व्हीलचेयर पर निर्भर 37 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) चिराग चौहान ने कहा, ‘‘हमें हार नहीं माननी चाहिए और हर समय आगे बढ़ते रहना चाहिए।’’
चौहान ने कहा कि उनके मन में किसी के प्रति द्वेष नहीं है, लेकिन वह केवल आशा और प्रार्थना करते हैं कि ऐसे आतंकी हमलों में और निर्दोष लोगों की जान न जाए। चौहान ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं क्योंकि 2014 के बाद से ऐसे आतंकी हमलों और बम विस्फोटों की घटनाएं कम हो गई हैं।
शहर की लोकल ट्रेन की पश्चिमी लाइन पर अलग-अलग जगहों पर 15 मिनट के भीतर सात विस्फोट हुए, जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। उस खौफनाक घटना को याद करते हुए चौहान ने कहा कि वह घर लौट रहे थे जब खार और सांताक्रूज़ स्टेशन के बीच उनकी ट्रेन में बम विस्फोट हुआ।
चौहान उस समय 20 वर्ष के थे। चौहान को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पक्षाघात हुआ और तब से वह व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं, मेरा परिवार उस समय तबाह हो गया था... लेकिन हमने फैसला किया कि हम इसका असर अपने भविष्य पर नहीं पड़ने देंगे।’’
चौहान हालात के सामने नहीं झुके और उन्होंने 2009 में अपना चार्टर्ड अकाउंटेंसी पाठ्यक्रम पूरा किया। उन्होंने 2012 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की और वर्तमान में लॉ डिग्री कोर्स भी कर रहे हैं। चौहान ने कहा, ‘‘मैं जो संदेश साझा करना चाहता हूं वह यह कि जीवन में कई तरह की प्रतिकूलताएं आएंगी। खुशी का मार्ग हर किसी के लिए प्रतिकूलताओं से भरा होता है।
हम सभी जीवन में कठिन समय का सामना करते हैं, लेकिन हमें रुकना नहीं चाहिए और हर समय आगे बढ़ते रहना चाहिए। आपको एहसास नहीं होगा कि आप कितनी दूर तक पहुंच जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत में विभिन्न स्थानों पर बम विस्फोट 2014 तक नियमित घटनाएं थीं।
मैं प्रधानमंत्री मोदी का आभारी हूं क्योंकि 2014 के बाद से आंतरिक सुरक्षा में काफी सुधार हुआ है और आतंकवादी हमलों के कारण शायद ही किसी नागरिक की जान गई हो।’’ मामले में गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से 12 को 2015 में एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया।
पांच को मौत की सजा सुनाई गई और शेष सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। एक आरोपी को बरी कर दिया गया। बंबई उच्च न्यायालय ने अभी तक मौत की सजा की पुष्टि और दोषियों द्वारा उनकी सजा को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई शुरू नहीं की है।