मुंबई। शिवसेना के अलावा भाजपा ने अनेक छोटे दलों के साथ गठजोड़ किया है। इन दलों ने भाजपा से 40 से 45 सीटें मांगी थीं। जाहिर-सी बात थी कि इतनी सीटें भाजपा किसी भी सूरत में नहीं दे सकती थी। हुआ भी वही! इन छोटे सहयोगी दलों को सिर्फ 14 सीटें दी गई हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) ने 12 सीटें मांगी थीं। उसे 6 सीटें दी गई हैं। सदाभाऊ खोत की रयत क्रांति पार्टी ने भी 12 सीटें मांगी थीं। खोत को सिर्फ 3 सीटें छोड़ी गई हैं।
इसी प्रकार विनायक मेटे के संगठन शिवसंग्राम के लिए 3 सीटें देने का निर्णय किया गया है। राज्यमंत्री महादेव जानकर की पार्टी राष्ट्रीय समाज पार्टी ने भी 12 सीटों की मांग की थी। मगर जानकर के खाते में महज 2 सीटें डाली गई हैं।
आठवले की आरपीआई को सोलापुर जिले की मालशिरस, भंडारा, नांदेड़ जिले की नायगांव, परभणी जिले की पाथरी, मुंबई की मानखुर्द-शिवाजीनगर, सातारा जिले की फलटण सीट दी गई है।
समझा जाता है कि आरपीआई के सभी उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे। ऐसे में वे अधिकृत रूप से भाजपा के ही उम्मीदवार कहलाएंगे। खोत को पंढरपुर और अक्कलकोट की सीट दी गई है। तीसरी सीट का निर्णय नहीं किया गया है। जानकर की पार्टी रासप को दौंड और जिंतूर सीट दी गई है। शिवसंग्राम के लिए वर्सोवा, किनवट और चिखली की सीट छोड़ी गई है।