कमल शर्मा सत्ता में वापसी की आस में भाजपा- शिवसेना युति द्वारा जल्दी चुनाव करने का दांव उलटा पड़ा. भगवा गठबंधन राज्य में पुन: सरकार नहीं बना सका. नागपुर जिले में भी किसी दल या गठबंधन की लहर नहीं चली. सभी को हिस्सेदारी मिली. हालांकि इसी कड़ी में शहर (नागपुर संसदीय क्षेत्र) में तीन सीटें जीतने वाली कांग्रेस की झोली ग्रामीण में खाली रह गई. हालांकि उसे मोर्शी (तब रामटेक संसदीय क्षेत्र) ) में जीत मिली, लेकिन यह सीट अमरावती जिले का हिस्सा है.
उत्तर में कांग्रेस की वापसी
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट को भाजपा से छीन कर नितिन राऊत ने अरसे बाद यहां एक बार फिर कांग्रेस का परचम लहराया. उन्होंने 67110 वोट लिए. जबकि भाजपा के के.पी. सूर्यवंशी 13 उम्मीदवारों के बीच हुए संघर्ष में 43658 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. पूर्व विधायक भोला बढ़ेल और उपेंद्र शेंडे पार्टी का टिकट नहीं मिलने की वजह से निर्दलीय मैदान में कूद गए. लेकिन वे क्रमश: 3313 और 2612 वोट ही हासिल कर सके. बसपा के राजेंद्र करवाड़े को छोड़ कर मैदान में मौजूद अन्य उम्मीदवार चार आंकड़ों तक भी नहीं पहुंच सके.
पूर्व में फिर चतुव्रेदी
इस सीट पर एक बार कांग्रेस और शिवसेना का संघर्ष दिखा. शिवसेना ने प्रवीण बरडे पर विश्वास जताया. पिछले चुनाव में 48166 वोट के साथ तीसरे क्रमांक पर रहे बरडे इस बार 62990 वोट के साथ दूसरे क्रमांक पर रहे. चतुव्रेदी 73604 वोट के साथ विजयी रहे. जनता दल (एस) की टिकट पर अनिल धावड़े के उतरने से चुनाव रोचक हो गए थे. वे 23073 वोट लेने में सफल भी रहे. जबकि कांग्रेस के बागी शेखर सावरबांधे ने 10894 वोट झटके.
दक्षिण में फिर खिला कमल
भाजपा की टिकट पर मोहन मते ने 39374 वोट लेकर यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी. कांग्रेस के गोविंदराव वंजारी ने 36671 वोट लेकर उन्हें कड़ी टक्कर दी. जबकि भारिपा बहुजन महासंघ के राजू लोखंडे 23142 वोटों के साथ फिर तीसरे स्थान पर रहे. राकांपा के प्रमोद दरणो 6563, बसपा के उत्तम शेवड़े 1368 और जदयू के मदन कुत्तरमारे 402 वोट ही पा सके.
मध्य रहा अनीस के साथ
मध्य नागपुर से 2009 और 2014 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाले विकास कुंभारे भाजपा उम्मीदवार के रूप में पहली बार मैदान में उतरे. लेकिन वे कांग्रेस के अनीस अहमद की चुनौती को पार नहीं कर सके. अनीस 39445 वोट हासिल कर पुन: विधानसभा पहुंचे. कुंभारे ने 31189 वोट हासिल किए. समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके पूर्व विधायक यशवंत बाजीराव 1361 वोट पर ही सिमट गए. जनता दल (एस) के इरफान कमर को 6345 और बसपा के राजेंद्र बंसोड़ को 1088 वोट ही नसीब हुए.