आम चुनाव की खास कहानियांः रायगढ़ सीट से तीन 'सुनील तटकरे' और चार 'अनंत गीते' लड़ रहे हैं चुनाव
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 5, 2019 09:54 AM2019-04-05T09:54:58+5:302019-04-05T09:54:58+5:30
अक्सर ऐसा ही होता है कि हर प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वी का हमनाम ढूंढने की कोशिश करता है ताकि नाम की समानता के चलते कुछ लोग प्रमुख पार्टी के उम्मीदवार के बजाय निर्दलीय उम्मीदवार (हमनाम) को वोट दे देते हैं.
प्रमोद गवली, मुंबई: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रायगढ़ सीट से राकांपा नेता सुनील तटकरे को शिवसेना के अनंत गीते के हाथों मात्र 1944 वोटों से हारना पड़ा था. इस हार के लिए उनके हमनाम 'सुनील तटकरे' जिम्मेदार माने गए थे. इस बार तटकरे ने चाल चलते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी अनंत गीते के चार हमनाम 'अनंत गीते' ढूंढ लाए हैं.
अनंत गीते ने भी तीन हमनाम यानी 'सुनील तटकरे' ढूंढ लाए हैं. इसका असर क्या होगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा. पिछले आम चुनाव में रायगढ़ से 'सुनील तटकरे' नामक एक उम्मीदवार बतौर निर्दलीय किस्मत आजमा रहा था. अक्सर ऐसा ही होता है कि हर प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वी का हमनाम ढूंढने की कोशिश करता है ताकि नाम की समानता के चलते कुछ लोग प्रमुख पार्टी के उम्मीदवार के बजाय निर्दलीय उम्मीदवार (हमनाम) को वोट दे देते हैं.
वर्ष 2014 में तटकरे के हमनाम ने 9847 वोट प्राप्त किए थे, जबकि वे मात्र 1944 वोटों से चुनाव हार गए थे. साफ है कि उस हमनाम तटकरे ने गीते को फायदा पहुंचाया था. वर्ष 2014 के चुनाव में राकांपा के सुनील तटकरे को 3 लाख 94 हजार 7 वोट मिले थे, फिर भी वे हार गए थे. किस्मत देखिए कि जीतने के बाद गीते पूरे पांच साल तक केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे.
कहा जा रहा है कि क्षेत्र में पांच सालों के दौरान उनका जनसंपर्क कम हो गया है. जहां तक चुनावी परिदृश्य का सवाल है, इस बार तटकरे को शेकापा का समर्थन प्राप्त है. इसलिए उनकी जीत के आसार ज्यादा माने जा रहे हैं. पिछले चुनाव में शेकापा के रमेश ने राकांपा और शिवसेना को कड़ी टक्कर देते हुए एक लाख 97 हजार वोट प्राप्त किए थे. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार उनके वोट तटकरे को मिलेंगे.