अजित पवार ने कहा-क्या एनसीपी ने मुझे निकाल दिया? मैं पहले भी कहा और अब भी कहता हूं, पार्टी के साथ हूं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 27, 2019 11:58 IST2019-11-27T11:55:47+5:302019-11-27T11:58:52+5:30

अजित पवार के भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही थी।  इसी बीच एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा,"अजित पवार ने अपनी गलती स्वीकार की है। यह पारिवारिक मामला है और पवार साहब ने उन्हें माफ कर दिया है। वह पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी में उनकी स्थिति नहीं बदली है।"

Ajit Pawar: I have already said that I was with NCP and I am with NCP. Have they expelled me? Have you heard or read this anywhere? I am still with NCP | अजित पवार ने कहा-क्या एनसीपी ने मुझे निकाल दिया? मैं पहले भी कहा और अब भी कहता हूं, पार्टी के साथ हूं

अजित पवार ने कहा-"मैने पहले भी कहा और अब भी कहता हूं, मैं अभी भी NCP के साथ हूं"

Highlightsबुधवार को सुबह विधान भवन के परिसर में अजित को उनकी चचेरी बहन ने गले लगा लिया।नवाब मलिक ने कहा पार्टी का हिस्सा हैं अजित पवार।

महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार को सुबह आरंभ होने पर सभी की नजरें राकांपा नेता अजित पवार पवार पर टिकी हुई थीं जिन्होंने पार्टी से विद्रोह कर सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देकर हैरान कर दिया था लेकिन मंगलवार को उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया था। एक सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा कि मैंने पहले ही कहा है कि मैं एनसीपी के साथ हूं। क्या उन्होंने मुझे निकाल दिया? क्या आपने आज ऐसा कहीं सुना या पढ़ा? मैं अभी भी एनसीपी के साथ हूं। 

इसके बाद पार्टी में अजित पवार के भविष्य को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही थी।  इसी बीच एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा,"अजीत पवार ने अपनी गलती स्वीकार की है। यह पारिवारिक मामला है और पवार साहब ने उन्हें माफ कर दिया है। वह पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी में उनकी स्थिति नहीं बदली है।"

इसके अलावा बता दें कि अजित पवार ने जैसे ही बुधवार को सुबह विधान भवन के परिसर में प्रवेश किया तो उनकी चचेरी बहन और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने उन्हें गले लगाया। राकांपा प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अपनी पार्टी के विधायकों का स्वागत करने के लिए विधान भवन के प्रवेश द्वार पर खड़ी थीं। विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए अजित पवार ने कहा, “मैं राकांपा में था और अब भी हूं। मैनें पार्टी कभी नहीं छोड़ी।” देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को समर्थन देने के लिए अजित पवार के शनिवार को अपनी पार्टी से बगावत करने के बाद भावुक दिखी उनकी चचेरी बहन सुले ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखा था कि पवार परिवार और पार्टी बंट गयी है। उन्होंने अपने स्टेटस में लिखा था, “आप जीवन में किस पर भरोसा करोगे। इतना ठगा हुआ कभी महसूस नहीं हुआ। उनका बचाव किया, उन्हें प्यार दिया। देखो बदले में क्या मिला मुझे।” महाराष्ट्र में नाटकीय घटनाक्रम के तहत शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राजभवन में भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा के अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। पुणे की बारामती सीट से 1.65 लाख मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले राकांपा विधायक ने मंगलवार को उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।

महाराष्ट्र में नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए 14वीं विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार सुबह आरंभ हो गया। नव निर्वाचित सदस्य राज्य में चल रहे नाटकीय घटनाक्रमों के कारण विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी शपथ नहीं ले पाए थे। किसी भी राजनीतिक दल के सरकार न बना पाने के कारण राज्य में 12 नवंबर से 23 नवंबर तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कोश्यारी से कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त करने और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि सदन के सभी निर्वाचित सदस्यों को बुधवार शाम पांच बजे तक शपथ दिला दी जाए।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए पिछले सप्ताह भाजपा को समर्थन देने वाले राकांपा नेता अजित पवार ने बुधवार को कहा कि वह अपनी पार्टी में बने रहेंगे और इसके बारे में भ्रम ‘‘पैदा करने’’ की कोई वजह नहीं है। अजित पवार ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अभी मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, मैं सही समय आने पर बोलूंगा। मैंने पहले भी कहा था कि मैं राकांपा में हूं और मैं राकांपा में ही रहूंगा। भ्रम पैदा करने की कोई वजह नहीं है।’’ अपने चाचा और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के ‘सिल्वर ओक’ आवास पर मंगलवार देर रात जाने के बारे में अजित पवार ने कहा, ‘‘अपने नेता से मुलाकात करना मेरा अधिकार है।’’

पुणे की बारामती सीट से 1.65 लाख मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले राकांपा विधायक ने अपनी पार्टी और परिवार को पिछले शनिवार को उस समय अचंभे में डाल दिया था जब उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया और वह देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद उसी दिन राकांपा ने उन्हें अपने विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। हालांकि वह पार्टी के सदस्य बने रहे। अजित पवार ने मंगलवार को ‘‘निजी वजहों’’ का हवाला देते हुए उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया जिससे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।

 

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