‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज: पोयम्स ऑफ होप’ के लिए एक साथ आए भारत के कई युवा कवि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 21, 2023 10:30 PM2023-04-21T22:30:11+5:302023-04-21T22:41:24+5:30
‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज - पोयम्स ऑफ होप’ की हिंदी और अंग्रेजी में लिखी वो कविताएं हैं, जिनके माध्यम से साल 2023 में जलवायु परिवर्तन की संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण स्थिति को रेखांकित किया गया है।
दिल्ली: ‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज - पोयम्स ऑफ होप’ प्रोजेक्ट ने जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इस दुनिया में प्यार की अनुभूतियों पर आने वाले असर को व्यक्त करने के लिए भारत के सात प्रमुख युवा कवियों को एक साथ जोड़ा है। इस प्रोजेक्ट को काउंसिल ऑन एनर्जी, एशिया के प्रमुख थिंक टैंक इनवायरनमेंट एंड वॉटर और कवियों के ऑनलाइन मंच ‘अनइरेज पोएट्री’ ने मिलकर तैयार किया है।
साल 2023 में जलवायु परिवर्तन की संवेदनशील स्थिति देश और दुनिया के स्तर पर एक स्वीकार्य वास्तविकता है, जो हमें घनिष्ठ रूप से प्रभावित करती है। सतर्क करने वाले आंकड़े और विश्लेषणों के समय में ‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज - पोयम्स ऑफ होप’ की हिंदी और अंग्रेजी में लिखी कविताएं मानवीय आशाओं और दृढ़ताओं को सामने लाती हैं।
इन कविताओं में जलवायु परिवर्तन के कारणों पर नहीं बल्कि इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि वह कैसे हमारे प्रेम, खुशनुमा यादों, आकांक्षाओं और चिंताओं को प्रभावित करती है। ये कविताएं अपने भावों में इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे जलवायु हितैषी समाधानों को बड़ी ही सूक्ष्मता से पिरोती हैं, जो एक सस्टेनेबल भविष्य या सतत् भविष्य की गतिविधियों को प्रेरित करता है।
इस संबंध में सीईईडब्ल्यू के डायरेक्टर-स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस मिहिर शाह ने कहा, “जलवायु परिवर्तन की कहानियों को अक्सर ही बहुत तकनीकी, नीरस या नाउम्मीद करने वाला माना जा सकता है। ऐसे में अगर जलवायु परिवर्तन से जुड़ी गतिविधियों को मुख्यधारा में लाना है और इसे घर में होने वाली चर्चाओं का हिस्सा बनाना है तो हमें इसमें आशाओं, व्यक्तियों को छूने वाले संदेशों, मंचीय कविता जैसे नए स्वरूपों को जोड़ने का प्रयोग करना होगा और समाज को प्रभावित करने वाले व्यक्तियों को भी शामिल करना होगा। ‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज’ के माध्यम से हमारा प्रयास आम नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं, को उत्साहित करना और उन्हें सस्टेनेबिलिटी (सततशीलता) के लिए सतत् ढंग से कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।”
वहीं अनइरेज पोएट्री के संस्थापक और सात कवियों में से एक सिमर सिंह ने कहा, “कवियों और कलाकारों के रूप में हम अक्सर उम्मीद करते हैं कि हमारे काम का दुनिया पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। हम ऐसी कविताएं लिखने का प्रयास भी करते हैं जो न केवल हमारी, बल्कि एक व्यापक समूह की भावनाओं के बारे में बात करें। जलवायु परिवर्तन, हमारा वर्तमान भी है और हमारा भविष्य भी। इसी के बीच जीना और इसी के बीच प्रेम करना, हमारे सामने मौजूद एक वास्तविकता है। ये कविताएं बस उसी वास्तविकता का प्रतिबिंब हैं।”
सीईईडब्ल्यू के कम्युनिकेशन एसोसिएट कार्तिकेय जैन ने कहा, “एक इंसान के रूप में अक्सर हम यह महसूस नहीं कर पाते हैं कि जलवायु परिवर्तन हमारे कितना नजदीक है और यह व्यक्तिगत रूप से कितना जुड़ा हुआ है। हम इसके लिए क्या-क्या कर सकते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज प्रोजेक्ट रोजमर्रा की जिंदगी के विभिन्न संदर्भो से उदाहरणों को जुटाता है और इसके माध्यम से वर्तमान और भविष्य के बारे में महसूस किए जा रहे अनुभवों और भावनाओं को सामने रखता है। स्पोकन-वर्ड पोएट्री जैसे कला माध्यमों से आज के सदर्भ की बहसों को सामने लाना बहुत जरूरी है ताकि लोग इसे समझ सकें और इससे जुड़ सकें।”
‘लव इन द टाइम्स ऑफ क्लाइमेट चेंज - पोयम्स ऑफ होप’ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कवियों में अमनदीप सिंह, हेली शाह, प्रिया मलिक, प्रियांशी बंसल, सैनी राज, शुभम श्याम और सिमर सिंह शामिल थे। इसमें उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों, मुंबई से जमशेदपुर, बिहार, देहरादून और गुजरात, के अपने अनुभवों के साथ सूखे, बाढ़, जंगल की आग और जलवायु की अन्य चरम घटनाओं की कहानियों को साझा किया है।