सिद्धारमैया के ट्वीट के बाद कर्नाटक से यूपी लौटे सीएम योगी, क्या कहा था कांग्रेस सीएम ने
By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 4, 2018 04:48 PM2018-05-04T16:48:29+5:302018-05-04T16:51:08+5:30
सिद्धारमैया ने ट्वीट कर के योगी आदित्यनाथ को यूपी में आई आपदा से जान-माल की क्षति की याद दिलाई थी।
बैंगलोर, 4 मईः योगी आदित्यनाथ अपनी कर्नाटक की चुनावी यात्रा बीच में छोड़कर वापस उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं। एनडीटीवी की खबर की माने तो योगी अपनी चुनावी यात्रा में एक दिन की कटौती कर रहे हैं। उन्हें कर्नाटक के 13 जिलों में करीब 35 जनसभाएं करनी थीं। इसकी शुरुआत उन्होंने तीन मई (बृहस्पतिवार) को सिरसी, सागरा, बलेहोंनुर, शृंगेरी व चिकमंगलूर में जनसभाओं से शुरू किया था। चार मई (शुक्रवार) को वे बैंदुर, भटकल, कापू, बंटवाल, सूरतकल में जनसभाओं को संबोधित करने वाले थे। लेकिन इसी बीच उन्हें यूपी में बीते दो दिनों से आए आंधी तूफान से 73 से ज्यादा लोगों की मौतों और जान-माल की क्षति के बारे में पता चला। इसके बाद वे यात्रा बीच में छोड़कर लौट रहे हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उन्हें इसी बाबत कल ही ट्वीट किया था। उन्होंने तंज करते हुए कहा था कि योगी आदित्यनाथ के अपने प्रदेश में आपदा आई हुई है और वे यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इससे पहले भी जब प्रचार के शुरुआती दिनों में योगी कर्नाटक आए थे तो उनकी सीधी भिड़त सीएम सिद्धरमैया से हो गई थी। ट्विटर पर दोनों के दो-दो हाथ हुए भी थे। यह सिलसिला इस बार भी नहीं थमा। योगी के कर्नाटक आते ही सिद्धारमैया अलर्ट हो जाते हैं। उन्होंने योगी पिछली बार योगी को गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत की याद दिलाई थी, अबकी आंधी-तूफान में लोगों की मौत याद दिलाई। खबरें आ रही हैं कि अब योगी बीच में ही अपनी यात्रा छोड़ वापस लौट रहे हैं।
At least 64 people have lost their lives due to a storm in Uttar Pradesh. My heartfelt condolences to the families who have lost their loved ones.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) May 3, 2018
I am sorry your CM is needed here in Karnataka. I am sure he will return soon & attend to his work there. https://t.co/RwgDrhdn82
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के ऐन पहले कांग्रेस ने लिंगायतों के लिए अलग धर्म के प्रस्ताव को मंजूरी देकर सबसे बड़ा दांव लगाया था। इसका प्रभाव प्रचार के दौरान साफ देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह का मठ-मठ घूमना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिन की तीन-तीन रैलियां भी इसकी भरपाई करती नजर नहीं आ रहीं। ऐसे में कांग्रेस के इस दांव के काट के तौर पर बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक लाई थी। पर क्यों?
क्यों कर्नाटक गए थे योगी आदित्यनाथ
कर्नाटक में नाथ संप्रदाय के 72 से ज्यादा मठ और मंदिर हैं और नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ गोरक्ष पीठ है, जिसके महंत योगी आदित्यनाथ हैं। नाथ संप्रदाय के मंदिर-मठों की सबसे बड़ी संस्था, 'अखिल भारत वर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा' के अध्यक्ष भी योगी आदित्यनाथ हैं। (जरूर पढ़ेंः 'जब मंच से मोदी जी भाषण दे रहे थे तो लोग उन पर हंस रहे थे' )
नाथ संप्रदाय कादली योगेश्वर मठ की मान्यता वैसी ही है जैसी यूपी में गोरखनाथ मठ की है। यहां मान्यता है कि गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ विष्णु और मंगला देवी लक्ष्मी की अवतार हैं। मंगला देवी के नाम पर ही उस जगह का नाम मंगलौर पड़ा। इस मठ के अनुयायी आस-पड़ोस के करीब 13 जिलों की 100 सीटों पर फैले हुए हैं। और तीन खास सीटों पर इनका प्रभुत्व है। और इस संप्रदाय पर योगी आदित्यनाथ की सीधी पकड़ है।
कर्नाटक कांग्रेस पर करारा हमला कर रहे थे योगी
योगी ने दूसरी पारी के पहले दिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार करते हुए लोगों से कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति एवं जिहादी मानसिकता को खारिज करने को कहा।
उन्होंने यहां एक रैली में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर समाज को बांटने वाली सबसे भ्रष्ट पारी खेलने का आरोप लगाया। आदित्यनाथ ने कहा , मैं आपसे यहां यह आह्वान करने आया हूं कि कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति , जेहादी मानसिकता , आतंकवाद एवं भ्रष्टाचार में मदद देने की नीतियों को पूरी तरह खारिज कर दें। (जरूर पढ़ेंः विधानसभा में पोर्न देखते पकड़े गए नेताओं को टिकट देने पर BJP की थू-थू)
उन्होंने सिद्धरमैया पर निशाना साधते हुए दावा किया कि राज्य में पिछले पांच सालों में हुई 23 भाजपा कार्यकर्ताओं की जेहादी हत्याएं कांग्रेस पार्टी की कथित विभाजनकारी राजनीति का सबूत है। उन्होंने कहा कि वह कर्नाटन में कांग्रेस की विभाजनकारी नीतियों पर लगाम लगाने के लिए आए हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि उनके राज्य में कोई जेहादी तत्व अपना सिर नहीं उठा सकता।
नाथ संप्रदाय पर नहीं हो रही थी बात
कनार्टक चुनाव की जीत-हार में अहम हिस्सा रखने वाले नाथ संप्रदाय की अभी तक बात नहीं हो रही थी। इसी तरह गुजराती युवा नेता जिग्नेश मेवानी और अभिनेता प्रकाश राज की जनसभाओं के बारे में बातें निकल सामने नहीं आ पा रही हैं। कभी सिद्धरमैया के साथी रहे चांद मोहम्मद का भी जिक्र नहीं हो रहा है। बॉलीवुड में अच्छी धमक रखने वाली नोव्हेरा शेख की वुमन एंम्वॉरमेंट पार्टी के प्रभावों पर चर्चा नहीं हो रही है। हम इन सबकी तह जाएंगे, बने रहिए लोकमत न्यूज हिन्दी के साथ।