योग प्रशिक्षक रामदेव की कंपनी 'पतंजलि' ने दवाओं के भ्रामक प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी बिना शर्त माफी

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 21, 2024 09:01 AM2024-03-21T09:01:22+5:302024-03-21T09:08:15+5:30

योग प्रशिक्षक रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि की दवाओं के भ्रामक दावों के विषय में बिना शर्त माफी मांग ली है।

Yoga instructor Ramdev's company 'Patanjali' seeks apology from Supreme Court for misleading publicity of medicines | योग प्रशिक्षक रामदेव की कंपनी 'पतंजलि' ने दवाओं के भ्रामक प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी बिना शर्त माफी

फाइल फोटो

Highlights योग प्रशिक्षक रामदेव की पतंजलि कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्म मांगी माफी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी बालकृष्ण ने पतंजलि की दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर मांगी माफीपतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने कोर्ट से "अपमानजनक वाक्यों" वाले विज्ञापन पर जताया खेद

नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से पतंजलि की दवाओं के भ्रामक दावों के विषय में बिना शर्त माफी मांग ली है। बालकृष्ण की माफी 2 अप्रैल को बाबा रामदेव के साथ सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेशी के आदेश के एक दिन बाद दायर किये गये हलफनामे में शामिल है।

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार पतंजलि के एमडी बालतृष्ण की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किये गये एक संक्षिप्त हलफनामे में कहा गया है कि उन्हें कंपनी के "अपमानजनक वाक्यों" वाले विज्ञापन पर खेद है।

दरअसल रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा और अन्य बीमारियों के इलाज के बारे में पतंजलि का दावा न केवल ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 का उल्लंघन है, बल्कि अदालत की अवमानना ​​भी है क्योंकि बीते 21 नवंबर को  2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में पतंजलि को ऐसे विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपने हलफनामे में दावा किया कि उन्हें पतंजलि की दवाओं के विज्ञापन में किये जा रहे दावे की जानकारी नहीं थी  और वो उसमें "अनजाने में" शामिल हो गए।

बालकृष्ण के हलफनमे में कहा गया है, "अभिसाक्षी को खेद है कि विचाराधीन विज्ञापन, जिसमें केवल सामान्य बयान शामिल थे। उसके बारे में वो नहीं जानता था कि आपत्तिजनक वाक्य शामिल हैं। पतंजलि आयुर्वेद की ओर से अभिसाक्षी ने बयान के उल्लंघन के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगता है और यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं।''

इसके साथ उन्होंने आगे दावा किया कि विज्ञापन जारी करने वाले विभाग को अदालत के आदेश के बारे में पता नहीं था। लेकिन बालकृष्ण के हलफनामे में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कंपनी की कार्यप्रणाली पूरी तरह से सही थी। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 को "पुराना" कानून बताते हुए हलफनामे में कहा गया है, "प्रतिवादी पतंजलि कंपनी के पास अब आयुर्वेद में किए गए नैदानिक ​​​​अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो उल्लिखित रोगों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से की गई प्रगति को प्रदर्शित करेगा।"

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 अनुसूची उन बीमारियों की सूची प्रदान करती है जिनके इलाज का दावा करने वाले विज्ञापन निषिद्ध हैं।

उन्होंने आगे कहा, "ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) नियम, 1955 के साथ पढ़ी जाने वाली 1954 अधिनियम की अनुसूची एक पुरातन स्थिति में है और आखिरी बदलाव 1996 में पेश किए गए थे, जब आयुर्वेद अनुसंधान में वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी थी।"

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अदालत को दिए गए वचन का उल्लंघन करने और 27 फरवरी को दी गई दो सप्ताह की अवधि के भीतर हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई थी।

अदालत ने पिछले महीने बालकृष्ण को कार्यवाही में एक पक्ष के रूप में जोड़ा था। न्यायालय की कथित अवमानना ​​के लिए उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई है और मंगलवार को बाबा रामदेव को भी एक पक्षकार के रूप में जोड़ा गया और व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था।

Web Title: Yoga instructor Ramdev's company 'Patanjali' seeks apology from Supreme Court for misleading publicity of medicines

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