YES Bank: भाजपा सरकार में वित्तीय संस्थाओं के ‘कुप्रबंधन’ के कारण यस बैंक की स्थिति चरमराई: चिदंबरम
By भाषा | Updated: March 7, 2020 23:03 IST2020-03-07T23:03:15+5:302020-03-07T23:03:15+5:30
कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि भाजपा सरकार के तहत वित्तीय संस्थानों के ‘‘कुप्रबंधन’’ के चलते यस बैंक की यह दुर्गति हुई है।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम। (फाइल फोटो)
कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि भाजपा सरकार के तहत वित्तीय संस्थानों के ‘‘कुप्रबंधन’’ के चलते यस बैंक की यह दुर्गति हुई है। उन्होंने मामले में आरबीआई के जरिये गहन जांच कराने और जवाबदेही तय किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार से मंजूरी प्राप्त राहत पैकेजे के तहत संकटग्रस्त यस बैंक में एसबीआई द्वारा 2,450 करोड़ रुपये का निवेश कर 49 फीसदी हिस्सेदारी लेना अपने आप में ‘‘विचित्र’’ है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए और जवाबदेही तय की जानी चाहिए।’’ उन्होंने सवाल किया कि जब अन्य बैंकों की ऋण वितरण वृद्धि नौ प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी तब यस बैंक का कर्ज वितरण 35 प्रतिशत बढ़ने पर आरबीआई के किसी अधिकारी ने ध्यान क्यों नहीं दिया। चिदंबरम ने कहा कि यस बैंक बैंकिंग नहीं कर रहा था बल्कि नियम कायदों को ताक पर रखकर कर्ज बांटने के जोखिम भरे अभियान में लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि यस बैंक के कर्ज वितरण को मार्च 2014 से मार्च 2019 तक कई गुना बढ़ने दिया गया।
चिदंबरम ने कहा, ‘‘यस बैंक का ऋण वितरण मार्च 2014 में 55,633 करोड़ रुपए से मार्च 2019 में 2,41,499 करोड़ रुपए तक कैसे बढ़ गया। तब मैं वित्त मंत्री नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘... नोटबंदी के तत्काल दो वर्ष बाद 2016-17 और 2017-18 में बढ़ोतरी हुई। क्या इसमें आरबीआई या सरकार में कोई जिम्मेदार नहीं है।’’
चिदंबरम ने कहा कि जो कोई भी बैंक की जिम्मेदारी सम्भाले, उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जमाकर्ताओं का धन सुरक्षित रहे और हर जमाकर्ता अपने धन को लेकर आश्वस्त हो क्योंकि जर्माकर्ताओं का कोई कसूर नहीं है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मार्च 2014 के बाद नए कर्ज के लिए किस समिति या व्यक्ति ने मंजूरी दी? आरबीआई और सरकार यह क्यों नहीं जानती थी कि यस बैंक कर्ज देने की होड़ में लगा है? यह बैंकिंग नहीं बल्कि जोखिम भरी बैंकिंग हो रही थी जिसमें नियम कायदों को ताक पर रखकर कर्ज बांटा गया। क्या आरबीआई और सरकार ने हर साल के अंत में बैंक का बही खाता नहीं देखा?’’
चिदंबरम ने यह भी पूछा कि यस बैंक के सीईओ को बदले जाने और जनवरी 2019 में नए सीईओ को नियुक्त किए जाने के बाद और मई 2019 में यस बैंक के बोर्ड में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गर्वनर की नियुक्ति के बाद कुछ क्यों नहीं बदला? उन्होंने कहा, ‘‘यस बैंक को जनवरी-मार्च 2019 में जब पहला तिमाही नुकसान हुआ तब सचेत क्यों नहीं हुए?’’
चिदंबरम ने कहा कि सरकार और वित्त मंत्री चाहेंगे कि मीडिया से यह खबर गायब हो जाए लेकिन उनकी भरसक कोशिश के बावजूद भाजपा सरकार में वित्तीय संस्थानों का कुप्रबंधन ऐसा मामला है जो सार्वजनिक क्षेत्र में बना रहेगा और जिस पर व्यापक चर्चा की जाएगी। उन्होंने निर्मला सीतारमण पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कभी-कभी, जब मैं वित्त मंत्री को सुनता हूं, मुझे लगता है कि संप्रग अब भी सत्ता में है। मैं अब भी वित्त मंत्री हूं और वह (सीतारमण) विपक्ष में हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का आकलन वित्त मंत्री या कोई पूर्व वित्त मंत्री या कोई समाचार पत्र नहीं, बल्कि बाजार सबसे बेहतर तरीके से करता है।’’
चिदंबरम ने कहा, ‘‘मैंने कल कहा था कि बेहतर विकल्प होगा कि आरबीआई के आदेश के तहत एसबीआई सभी जमाकर्ताओं को इस आश्वासन के साथ की उनकी जमा पूंजी सुरक्षित है और उन्हें लौटाई जायेगी इस दायित्व के साथ यस बैंक के सभी कर्ज को एक रुपये पर अपने अधिकार में ले ले। इसके साथ ही एसबीआई को यस बैंक के बकाया ऋण की अधिक से अधिक वसूली करने की कोशिश करनी चाहिए। पूर्व गवर्नरों सी रंगराजन और वाई वी रेड्डी के साथ विचार-विमर्श कर अन्य विकल्पों को भी तलाशा जा सकता है।’’
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने यस बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदी लगा दी है और उसके ग्राहकों के लिये निकासी की सीमा 50,000 रुपये कर दी है। इसके एक दिन बाद रिजर्व बेंक ने यस बैंक के पुनर्गठन योजना जारी की। इसके तहत स्टेट बैंक यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगा। स्टेट बैंक उसमें 10 रुपये के भाव पर 245 करोड़ शेयरों की खरीदारी करेगा।