अस्पताल में जख्मी आतंकी सुरक्षाकर्मी से बोला- मुझसे भूल हो गई, मुझे तो तुम्हारी तरह वर्दी पहननी चाहिए थी

By सुरेश डुग्गर | Published: June 28, 2019 06:50 PM2019-06-28T18:50:20+5:302019-06-28T18:50:20+5:30

‘मैं बाग में पड़ा दर्द से कराहता रहा। डर था कि फौज मुझे नहीं छोड़ेगी। पुलिस आएगी और गोली मार देगी। इसके विपरीत जब फौजी और नागरिक वहां पहुंचे तो किसी ने मुझे नहीं पीटा। फौज ने बस यही कहा कि अगर हथियार है, तो नीचे रख दो। मैंने कहा कि मुझे गोली लगी है, तो फौजी अफसर ने कहा कि बच गए हो। अब अच्छी जिंदगी जीना। हम यूं ही तुम्हें मरने नहीं देंगे...'

Wounded Terrorist confess and says to Security Personnel that he should have wore uniforms like you | अस्पताल में जख्मी आतंकी सुरक्षाकर्मी से बोला- मुझसे भूल हो गई, मुझे तो तुम्हारी तरह वर्दी पहननी चाहिए थी

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: pixabay)

बस गोली के एक जख्म ने आरिफ हुसैन बट की उस हिम्मत को हवा कर दिया जिसे जुटा वह आतंक की राह पर चला था। अब वह कहता है कि जिहाद की राह पर चंद दिन के सफर ने उस को सच्चाई से रूबरू करा दिया है। अस्पताल में बिस्तर पर लेटा आरिफ अपने पास खड़े एक सुरक्षाकर्मी से कहता है, मुझसे भूल हो गई। मुझे तो तुम्हारी तरह वर्दी पहननी चाहिए थी और देश की रक्षा के लिए बंदूक उठानी चाहिए थी।

दक्षिण कश्मीर में बिजबिहाड़ा के फतेहपोरा का आरिफ हुसैन बट कहता है कि उसे और उसके एक अन्य साथी आदिल अहमद को बीती रात हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर के आतंकियों ने एक बैठक के लिए बुलाया था। अंधेरे में वह लोग मिलने पहुंचे थे। आरिफ कहता है, ‘मैं और आदिल सोच रहे थे कि शायद हिज्ब और लश्कर के लड़के हमारे गुट में शामिल होने वाले हैं।’

आरिफ को लगा था, ‘वह हमारे साथ मिलकर फौज पर कोई बड़ा हमला करना चाहते हैं, लेकिन मैं गलत था। हम बाग में पहुंचे तो हमें घेर लिया गया। हम पर जिहाद का दुश्मन और पाक के खिलाफ जाने का आरोप लगाया गया। हमें पीटकर हथियार छीन लिए गए। आदिल को मेरे सामने गोलियों से भून दिया गया। उन लोगों ने मुझे नहीं मारा। मुझे हिज्ब या लश्कर का हिस्सा बनने को कहा गया। मैं भागने लगा तो मेरी टांग पर गोली मार दी।

आरिफ बताता है, ‘मैं बाग में पड़ा दर्द से कराहता रहा। डर था कि फौज मुझे नहीं छोड़ेगी। पुलिस आएगी और गोली मार देगी। इसके विपरीत जब फौजी और नागरिक वहां पहुंचे तो किसी ने मुझे नहीं पीटा। फौज ने बस यही कहा कि अगर हथियार है, तो नीचे रख दो। मैंने कहा कि मुझे गोली लगी है, तो फौजी अफसर ने कहा कि बच गए हो। अब अच्छी जिंदगी जीना। हम यूं ही तुम्हें मरने नहीं देंगे। अस्पताल ले जाएंगे।

आरिफ हुसैन ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मुझे जेल होगी या नहीं। मुझे पता चल चुका है कि हमारा दुश्मन कौन है? इसलिए मैं जब भी ठीक होकर घर जाऊंगा तो सबसे पहले मैं मस्जिद में जाकर उन लोगों के खिलाफ एलान करूंगा जो मेरे जैसे लड़कों को गुमराह कर रहे हैं।

Web Title: Wounded Terrorist confess and says to Security Personnel that he should have wore uniforms like you

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