विश्व संस्कृत दिवस पर विशेषः आधुनिक ज्ञान और तकनीकी के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है संस्कृत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 31, 2023 14:33 IST2023-08-30T18:30:48+5:302023-08-31T14:33:15+5:30

World Sanskrit Day Special: संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा है जिसकी वैज्ञानिकता और महत्व के कारण देव भाषा भी कहा जाता है।

World Sanskrit Day Special Sanskrit is most suitable for modern knowledge and technology pm narendra modi Sanskrit Singer Madhvi Madhuka | विश्व संस्कृत दिवस पर विशेषः आधुनिक ज्ञान और तकनीकी के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है संस्कृत

विश्व संस्कृत दिवस पर विशेषः आधुनिक ज्ञान और तकनीकी के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है संस्कृत

Highlightsभारतीयों की वैज्ञानिक दृष्टि का प्रथम परिणाम संस्कृत व्याकरण की रचना में पाया जाता है।वैदिक स्वरों के शुद्ध उच्चारण के लिए शिक्षा शास्त्र की रचना की गई।शिक्षा का तात्पर्य ऐसी विद्या से है जो स्वर,वर्ण आदि उच्चारण के प्रकार का उपदेश दें।

World Sanskrit Day Special: 1969 से प्रत्येक वर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है,प्राचीन काल में इसी दिवस में यज्ञोपवीत के साथ गुरुकुल में विद्यार्थियों को वेदों की शिक्षा प्रारंभ कराई जाती थी और नया शिक्षण सत्र इसी दिन प्रारंभ होता था।

संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा है जिसकी वैज्ञानिकता और महत्व के कारण देव भाषा भी कहा जाता है। प्राचीन काल में व्याकरण और भाषा विज्ञान का उद्भव इसलिए हुआ क्योंकि पुरोहित वेद की ऋचाओं और मंत्रों के उच्चारण की शुद्धता को बहुत महत्व देते थे, भाषा के संबंध में भारतीयों की वैज्ञानिक दृष्टि का प्रथम परिणाम संस्कृत व्याकरण की रचना में पाया जाता है।

450 ईसा पूर्व में संस्कृत भाषा के नियमों को सुव्यवस्थित रूप से संकलित करके पाणिनि ने व्याकरण लिखा जो अष्टाध्यायी के नाम से विख्यात है। वैदिक काल के अंत में शास्त्रीय संस्कृत में वेदों के अर्थ के प्रतिपादन के लिए वेदांगों का प्रणयन किया गया। वैदिक स्वरों के शुद्ध उच्चारण के लिए शिक्षा शास्त्र की रचना की गई।

शिक्षा का तात्पर्य ऐसी विद्या से है जो स्वर,वर्ण आदि उच्चारण के प्रकार का उपदेश दें। उच्चारण में स्वरों की साधारण त्रुटि से भी अनर्थ हो जाता था। कल्पसूत्र वैदिक यज्ञो में प्रतिपादित यज्ञों का सारयुक्त,संक्षिप्त विवेचन करते हैं। व्याकरण पदों की मीमांसा करने वाला शास्त्र है पाणिनि ने अष्टाध्याई में भाषा का नितांत वैज्ञानिक व्याकरण प्रस्तुत कर संस्कृत भाषा को अमर बना दिया।

यास्क ने निरुक्त के माध्यम से वैदिक शब्दों का समुच्चय प्रस्तुत किया। पिंगलाचार्य ने छन्दसूत्र में भाषा को वैज्ञानिकता प्रदान की । यज्ञों की सफलता के लिए ज्योतिष का ज्ञान आवश्यक था,क्योंकि यज्ञ विशिष्ट ऋतुओं,मास,पक्षों और तिथियां पर किए जाते थे। इस प्रकार से संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता वेदांग ने स्थापित की।

मध्यकाल में विदेशी आक्रमणों के कारण संस्कृत भाषा के विकास में बाधा पहुंची और आधुनिक काल में अंग्रेजों ने स्वयं को श्रेष्ठ स्थापित करने के लिए अंग्रेजी भाषा को महत्व दिया।आज भारतीय समाज पुनर्जागरण के युग में है,हाल के वर्षों में भारतीय समाज कई प्रकार की हीन भावना और अनिश्चितताओं से मुक्त हुआ है और समाज पुनः अपनी प्राचीन भाषा और संस्कृति के प्रति आसक्त हो रहा है।

आज संस्कृत भाषा केवल भारत में ही नहीं अभी तो विदेशों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। संस्कृत गायन समाज के प्रत्येक वर्ग में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है,माधवी मधुकर झा, कुलदीप पाय जैसी संस्कृत स्तोत्र गायिकायो ने संस्कृत स्त्रोतों को भारत और भारत के बाहर तेजी से लोकप्रिय बनाया है।

माधवी मधुकर झा द्वारा अत्यधिक सरल और सुमधुर तरीके से संस्कृत स्त्रोतम प्रस्तुत करने से करोड़ों की संख्या में श्रोता संस्कृत से जुड रहे हैं। १ करोड़ हरेक महीना संस्कृत गायिका माधवी मधुकर जी को सुनना ये बताता है की लोगों का संस्कृत के प्रति आकर्षण बढ़ा है । युवा पीढ़ी भी संस्कृत के प्रति तेजी से अनुरक्त हो रही है।

आज देश में धार्मिक पर्यटन तेजी से बड़ा है और धार्मिक साहित्य की बिक्री तेजी से बढ़ी है। आधुनिक संचार माध्यमों ने कथा वाचकों को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है जिससे संस्कृत भाषा को आम लोगों तक पहुंचने में मदद मिली है। उत्तराखंड राज्य ने संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है और आज अधिकांश विश्वविद्यालय संस्कृत में शोध और पठन-पाठन को बढ़ावा दे रहे हैं।

चतुर्थ औद्योगिक क्रांति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है और इसके लिए संस्कृत को सबसे उपयुक्त भाषा माना जा रहा है। आधुनिक विज्ञानी कंप्यूटर के लिए संस्कृत को सबसे वैज्ञानिक भाषा मानते हैं। इतिहासकार और समाचार पत्रों में संपादकीय लेखक डॉ सुशील पांडेय कहते हैं कि आज संस्कृत भाषा की अत्यधिक प्रासंगिकता है और इसके उपयोग से समाज की अनेक विकृतिया दूर हो सकती हैं।

संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं है अपितु अपनी वैज्ञानिकता और उपादेयता के कारण समाज के लिए सर्वाधिक प्रासंगिक है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिब्रू भाषा को मृतप्राय भाषा माना जाता था, लेकिन यहूदियों ने अपनी अदम्य इच्छा शक्ति के द्वारा इस भाषा को पुनर्जीवित कर दिया।

आज संस्कृत भी अपनी वैज्ञानिकता और आधुनिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप मुख्य भाषा के रूप में स्वीकार की जा सकती है बस इसके लिए अदम्य इच्छा शक्ति आवश्यक है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में संस्कृत भाषा के महत्व और इसकी वैज्ञानिकता पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संस्कृत भाषा को महत्व दिए जाने से स्पष्ट है कि अब राजनीतिक नेतृत्व भी संस्कृत भाषा को प्रतिष्ठित करने के प्रति दृढ़ संकल्पित है।

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