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WHO रिपोर्ट: जहरीली हवा ने ली छह लाख बच्‍चों की जान, भारत जैसे देशों के 98 प्रतिशत बच्चे इसके शिकार

By भाषा | Updated: October 30, 2018 09:11 IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत समेत निम्न एवं मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे 2016 में अतिसूक्ष्म कण (पीएम) से पैदा वायु प्रदूषण के शिकार हुए।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत समेत निम्न एवं मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे 2016 में अतिसूक्ष्म कण (पीएम) से पैदा वायु प्रदूषण के शिकार हुए।डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट ‘वायु प्रदूषण एवं बाल स्वास्थ्य: साफ हवा का नुस्खा’ में यह रहस्योद्घाटन किया कि 2016 में घरेलू और आम वायुप्रदूषण के संयुक्त प्रभाव से 15 साल से कम उम्र के तकरीबन छह लाख बच्चों की मौत हुई।

सिर्फ बाहर ही नहीं घर के अंदर भी हो रहे हैं  वायु प्रदूषण 

रिपोर्ट में बताया गया है कि खाना पकाने से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण और घर के बाहर के वायु प्रदर्शन से दूनिया भर में भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में बच्चों के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा है।डब्ल्यूएचओ ने अपने अध्ययन में कहा, ‘‘दूनिया भर में, निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता मार्गनिर्देश के सामान्य स्तर से ऊपर के स्तर पर पीएम2.5 से रुबरु हो रहे हैं जबकि उच्च आय वर्ग के देशों में 52 फीसद बच्चे डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता मार्गनिर्देश के सामान्य स्तर से ऊपर के स्तर पर पीएम2.5 से रुबरु हो रहे हैं।’’ 

18 साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे वायु प्रदूषण के शिकार 

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘वैश्विक स्तर पर, दुनिया भर के 18 साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता मार्गनिर्देश के सामान्य स्तर से ऊपर के स्तर पर घर से बाहर पीएम2.5 से रुबरु हो रहे हैं। इनमें पांच साल की उम्र के 63 करोड़ बच्चे और 15 साल से कम उम्र के 1.8 अरब बच्चे हैं। पीएम2.5 2.5इक्रामीटर से कम व्यास के व्यास हैं। यह स्वास्थ्य के लिए पीएम 19 से ज्यादा खतरनाक हैं।पिछले दो हफ्तों के दौरान पीएम2.5 खतरनाक स्तर पर चला गया है। सोमवार को दिल्ली के आकाश पर कोहरे की मोटी परत थी जबकि समग्र वायु गुणवत्ता एक्यूआई 348 पर पहुंच गई थी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में थी। 

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