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World Environment Day 2020: पर्यावरण से नुकसान, दुनिया में लाखों लोगों की मौत, अरबों के पास स्वच्छ जल और भोजन नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 4, 2020 19:00 IST

हम सभी को मिलकर पर्यावरण को बचाना होगा। यदि पेड़-पौधा नहीं रहेंगे मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। सभी को एक पौधा लगाना चाहिए। उसकी सेवा भी हमें करनी होगी।

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ठळक मुद्देपर्यावरण को बचाने के लिए कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं और उसके विकास में भी भागीदारी बनें।कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोगों से कहा जाता है कि पर्यावरण के प्रति सचेत हो जाएं। आज है तो कल है। जल ही जीवन है।

नई दिल्लीःहर साल दुनिया भर में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद होता है हम सभी को मिलकर इसे बचाना है। इस बार पर्यावरण दिवस 2020 'प्रकृति के लिए समय' (Time for Nature) थीम दिया गया है। इसका अर्थ होता है धरती और मानव विकास पर जीवन का समर्थन करने वाले आवश्यक बुनियादी ढांचे को प्रदान करने पर ध्यान दिया जाए।

दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोगों से कहा जाता है कि पर्यावरण के प्रति सचेत हो जाएं। आज है तो कल है। जल ही जीवन है। पर्यावरण और पेड़-पौधे नहीं है तो जीवन में कुछ नहीं है। हालांकि कोरोना के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन से प्रकृति को काफी फायदा हुआ है। विश्व के कई देश में पर्यावरण साफ हो गया है। 

पर्यावरण को साफ रखने के लिए पहले अपने आसपास को स्वच्छता बनाए रखें। वहीं नदी, तलाब, पोखर आदि को कचड़ा फेंक कर दूषित न करें। पर्यावरण को बचाने के लिए जितना संभव हो साइकिल से बाहर निकले, जिससे पार्यावरण के साथ-साथ आपका स्वास्थ्य भी सही रहे।

एक चौथाई मृत्यु मानवनिर्मित प्रदूषण और पर्यावरण को हुए नुकसान के कारण

दुनिया भर में समय से पहले और बीमारियों से जितनी मौत होती है, उसमें एक चौथाई मृत्यु मानवनिर्मित प्रदूषण और पर्यावरण को हुए नुकसान के कारण होती है। संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में यह कहा है। इसमें आगाह किया गया है कि दम घोंटू उत्सर्जन, केमिकल से प्रदूषित पेयजल और पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाला नुकसान दुनिया भर में अरबों लोगों की रोजी-रोटी को प्रभावित कर रहे हैं।

विश्व की अर्थव्यवस्था को भी इससे चोट पहुंच रही है। वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य रिपोर्ट अमीर और गरीब देशों के बीच की बढ़ती खाई को प्रदर्शित करती है क्योंकि विकसित दुनिया में बढते उपभोग, प्रदूषण और खाद्य अपशिष्ट से हर जगह भुखमरी, गरीबी और बीमारी फैल रही है। यह रिपोर्ट छह साल में आती है और 70 देशों के 250 वैज्ञानिकों ने इसे तैयार किया है। ग्रीन हाउस गैस के बढ़ते उत्सर्जन से सूखा, बाढ़ और तूफान के खतरे के बीच समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और इस पर सहमति बन रही है कि जलवायु परिवर्तन से अरबों लोगों के भविष्य को खतरा होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ पेयजल नहीं मिलने से हर साल 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसी तरह समुद्र में बह कर पहुंचे रसायन के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। विशाल पैमाने पर खेती के चलते तथा वन काटे जाने से भूमि क्षरण के कारण 3.2 अरब लोग प्रभावित होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से हर साल 60-70 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है।

लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण के लिए पर्यावरण मंत्रालय का अभियान

बाघ, पेंगोलिन और स्टार कछुआ जैसे बेहद लुप्तप्राय प्राणियों के संरक्षण के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने देश के बड़े हवाई अड्डे पर अभियान शुरू किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध व्यापार के लिए इन जानवरों का शिकार किया जाता है और इस वजह से इनके लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और जीएमआर ग्रुप भी इस अभियान का हिस्सा है।

अभियान के पहले चरण में बाघ, पेंगोलिन, स्टार कछुआ और तोक्यो गीको को चुना गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अवैध व्यापार के कारण इन प्राणियों पर खतरा मंडरा रहा है। एक बयान में बताया गया कि अभियान का मकसद वन्य जीवों के संरक्षण, तस्करी की रोकथाम, वन्यजीव उत्पादों की मांग में कमी लाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है ।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने भारत के दो प्रस्तावों को ग्रहण किया

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) ने एक बार इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक तथा अनवरत नाइट्रोजन प्रबंधन से जुड़े भारत के दो प्रस्तावों को ग्रहण कर लिया है। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इन प्रस्तावों को स्वीकार किया गया।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "वैश्विक नाइट्रोजन उपयोग दक्षता कम है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन से प्रदूषण होता है। यह मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण प्रणाली सेवाओं के लिये खतरा है। इससे जलवायु परिवर्तन तथा समताप मंडल ओजोन क्षीण होती है।

उन्होंने कहा, "दुनियाभर में पैदा की गई प्लास्टिक की कुछ मात्रा ही पुन: चक्रित की जाती है तथा इसमें से ज्यादातर प्लास्टिक पर्यावरण और जलीय जैव-विविधता को नुकसान पहुंचाती है। दोनों वैश्विक चुनौतियां हैं और भारत द्वारा यूएनईए में रखे गए प्रस्ताव इन मुद्दों के निपटने तथा वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है।"

 

इनपुट भाषा

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