महिलाओं के प्रजनन अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती : केरल उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: November 5, 2022 08:14 PM2022-11-05T20:14:08+5:302022-11-05T20:14:08+5:30

उच्चतम न्यायालय के फैसले का संदर्भ देते हुए केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि महिलाओं का प्रजनन अधिकार संविधान की धारा-21 के तहत निजी स्वतंत्रता के तहत आता है।

Women's reproductive rights cannot be curtailed: Kerala High Court | महिलाओं के प्रजनन अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती : केरल उच्च न्यायालय

महिलाओं के प्रजनन अधिकार पर रोक नहीं लगाई जा सकती : केरल उच्च न्यायालय

Highlightsकोर्ट ने कहा- महिला के गर्भ को रखने या नष्ट करने के अधिकार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती हैन्यायालय ने कहा कि महिलाओं का प्रजनन अधिकार संविधान की धारा-21 के तहत निजी स्वतंत्रता के तहत आता है

कोच्चि (केरल): केरल उच्च न्यायालय ने 23-वर्षीया एक छात्रा को 26 सप्ताह के गर्भ को नष्ट करने की अनुमति देते हुए टिप्पणी की कि महिला के बच्चे को जन्म देने या न देने के अधिकार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने दो नवंबर को दिए आदेश में कहा कि मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि महिला गंभीर तनाव में है और गर्भ को जारी रखने पर उसके जान को खतरा हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि महिला एमबीए पाठ्यक्रम की छात्रा है और वह सहपाठी से आपसी सहमति से स्थापित संबंध से गर्भवती हो गई है। महिला ने अपनी अर्जी में कहा कि मासिक धर्म में अनियमितता व शारीरिक परेशानी होने पर महिला चिकित्सक को दिखाने एवं अल्ट्रासाउंड कराने के बाद उसे गर्भवती होने की जानकारी मिली। 

न्यायमूर्ति अरुण ने का, ‘‘महिला के गर्भ को रखने या नष्ट करने के अधिकार पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है।’’ उच्चतम न्यायालय के फैसले का संदर्भ देते हुए केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि महिलाओं का प्रजनन अधिकार संविधान की धारा-21 के तहत निजी स्वतंत्रता के तहत आता है।

Web Title: Women's reproductive rights cannot be curtailed: Kerala High Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे