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कश्मीर में आतकंवाद से निपटने में पुरुष जवानों की मदद के लिये असम राइफल की महिला कर्मी तैनात

By भाषा | Updated: July 1, 2021 20:44 IST

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श्रीगनर, एक जुलाई कश्मीर में सुरक्षा संबंधी अभियान चलाने वाले पुरुष जवानों को अब घाटी में शांति बनाए रखने में असम राइफल्स की महिला सुरक्षाकर्मियों का साथ मिलेगा।

अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर के कुछ इलाकों में असम राइफल की महिला सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है, जहां वे मोटर-वाहन जांच चौकियों पर महिलाओं और बच्चों की तलाशी लेने में पुरुष सैनिकों की मदद करेंगी।

उन्होंने कहा कि वे घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान घर-घर जाकर तलाशी लेने में भी मदद करेंगी। हालांकि अपनी प्राथमिक भूमिका से इतर ये सुरक्षाकर्मी कश्मीर को लेकर मिथकों को तोड़ने और स्थानीय छात्राओं को बड़े सपने देखने तथा जीवन में ऊंचा लक्ष्य तय करने के लिये प्रेरित करने को लेकर खुश हैं।

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से संबंध रखने वाली राइफलवुमेन रेखा कुमारी ने एक महीने पहले घाटी आने से पूर्व मणिपुर और नगालैंड में सेवाएं दीं हैं।

रेखा कुमारी ने कहा, ''कश्मीर आने को लेकर चिंताएं और डर था लेकिन हम राष्ट्र की सेवा के लिये यहां आए। इसके अलावा, कश्मीर के बारे में बहुत अधिक मिथक हैं। यहां के लोग अच्छे हैं और उनसे बात करके हमें अच्छा लगता है।''

उन्होंने कहा कि तलाशी अभियानों के दौरान राइफलवुमेन सशस्त्र कर्मियों के नर्म रुख को स्थानीय जनता के सामने पेश करती हैं।

रेखा कुमारी ने कहा, ''हम महिलाएं हैं और हमें महिलाओं के लिये काम करना है। इसलिए हम आम बातचीत से शुरू करते हैं।... हम यहां उनकी सेवा करने के लिए हैं।''

महाराष्ट्र की निवासी राइफलवुमेन रुपाली धनगर कहती हैं, ''हम वे सभी काम करते हैं जो पुरुष सैनिक करते हैं। हम गेट पर, बंकरों में तैनात रहते हैं। हम घेराबंदी और तलाशी अभियानों में जाते हैं। किसी तरह का डर नहीं लगता। यह हमारे काम का हिस्सा है।''

दोनों राइफलवुमेन ने इस बात पर खुशी जतायी की स्थानीय लड़कियां उसने प्रेरणा लेती हैं।

धनगर ने कहा, ''अनेक लड़कियां हमारे जैसा बनना चाहती हैं। जरूरी नहीं कि वे भी सैनिक बनें, उन्हें उनके सपनों पर आगे बढ़ने दिया जाए। वे जितना ऊंचे से ऊंचा मकाम हासिल करना चाहें, उन्हें करने दिया जाए।''

एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां कहा कि असम राइफल्स की इन कर्मियों को शुरू में मादक पदार्थों की तस्करी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिये कुपवाड़ा जिले में तैनात किया गया था। सैनिकों के लिये नियंत्रण रेखा के आसपास के इलाकों में घूम रहीं संदिग्ध महिलाओं की तलाशी लेना मुश्किल हो गया था। इन महिला सुरक्षा कर्मियों का साथ मिलने से सुरक्षा बलों को एलओसी पर नशीले पदार्थों की तस्करी का पता लगाने में मदद मिली है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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