सेना की महिला अधिकारियों को SC के फैसले के बाद भी नहीं मिल रहा है न्याय, स्थायी कमीशन के लिए फिर से किया कोर्ट का रुख

By अनुराग आनंद | Published: January 24, 2021 07:43 AM2021-01-24T07:43:09+5:302021-01-24T07:46:18+5:30

सेना के महिला अधिकारियों की याचिका पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 27 जनवरी को सुनवाई किया जाना है।

Women officers of the army are not getting justice even after the decision of the Supreme Court, the court again moved for permanent commission | सेना की महिला अधिकारियों को SC के फैसले के बाद भी नहीं मिल रहा है न्याय, स्थायी कमीशन के लिए फिर से किया कोर्ट का रुख

सेना में महिला अधिकारी अपने अधिकारों के लिए एक बार फिर से कोर्ट पहुंची (फाइल फोटो)

Highlightsयाचिका दायर करने का उद्देश्य स्थायी कमीशन, पदोन्नति, अन्य लाभ पाने की राह में शेष अड़चनों को उजागर करना है।एक याचिकाकर्ता ने कहा कि अपना वाजिब हक प्राप्त करने के लिए 15 साल से अधिक लंबी लड़ाई लड़ी थी और जीत हासिल की थी।

नयी दिल्ली: भारतीय थल सेना की 11 महिला अधिकारियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर उन्हें ‘‘एक समावेशी, निष्पक्ष, उचित और तर्कसंगत तरीके से’’ स्थायी कमीशन, पदोन्नति तथा अन्य लाभ प्रदान करने के संबंध में पिछले साल फरवरी में केंद्र को दिये गये निर्देशों का अनुपालन कराने का अनुरोध किया है।

लेफ्टिनेंट कर्नल आशु यादव और थल सेना की 10 अन्य महिला अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि शीर्ष न्यायालय के निर्देशों का अक्षरश: अनुपालन नहीं किया गया। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि स्थायी कमीशन प्रदान करने की प्रक्रियाएं मनमानेपन, गैर निष्पक्षता और अतर्कसंगत से दूषित हुई हैं।

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याचिका पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 27 जनवरी को सुनवाई किया जाना है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि याचिका दायर करने का उद्देश्य स्थायी कमीशन, पदोन्नति, अन्य लाभ पाने की राह में शेष अड़चनों को उजागर करना है। उन्होंने अपना वाजिब हक प्राप्त करने के लिए 15 साल से अधिक लंबी लड़ाई लड़ी थी और जीत हासिल की थी।

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गौरतलब है कि पिछले साल 17 फरवरी को शीर्ष न्यायालय ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में निर्देश दिया था कि थल सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए। न्यायालय ने महिला अधिकारियों की शारीरिक आधार पर केंद्र के रुख को खारिज करते हुए उसे लैंगिक भेदभाव करने वाला करार दिया था। 

(एजेंसी इनपुट)

Web Title: Women officers of the army are not getting justice even after the decision of the Supreme Court, the court again moved for permanent commission

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