वेतन नहीं मिलने से नौकरी छोड़कर जा रहे हैं सरकारी डॉक्टर, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 11, 2019 01:36 PM2019-05-11T13:36:14+5:302019-05-11T13:36:14+5:30
डॉक्टरों का कहना है कि एक ओर उन्हें निजी मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में अच्छे-अच्छे वेतन के ऑफर मिल रहे हैं और दूसरी ओर सरकारी पीएचसी में सेवा देने के बावजूद उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है.
ग्रामीण इलाकों में नागरिकों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभालने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में कार्यरत डॉक्टरों (स्वास्थ्य अधिकारी) को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला है. जनवरी में ठेका पद्धति से नियुक्ति होने के बाद से अब तक एक भी माह का वेतन नहीं मिलने से उनके रूटीन खर्च के लाले पड़ गए हैं.
इस संदर्भ में जब वे जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग में पूछताछ कर रहे हैं तो उन्हें अनुदान नहीं आने का कारण बताया जा रहा है. इसके कारण कई डॉक्टर पीएचसी छोड़कर जाने को मजबूर हो रहे हैं. राज्यभर में जनवरी 2019 में 11 माह के कॉन्ट्रैक्ट पर स्वास्थ्य अधिकारियों के 450 पदों की वैकेंसी निकली थी. इस दौरान 40 हजार रुपए मासिक वेतन पर ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी.
नागपुर जिले के 49 पीएचसी में भी डॉक्टरों की नियुक्तियां की गई थीं. इसके तहत फरवरी 2019 में सभी पीएचसी के रिक्त पद भरे गए थे लेकिन शुरुआत से ही सही समय पर वेतन नहीं मिलने से परेशान होकर कई डॉक्टर जॉब छोड़कर जा रहे हैं. यही वजह है कि फिलहाल 10 से 12 पद फिर से रिक्त हो गए हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि एक ओर उन्हें निजी मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में अच्छे-अच्छे वेतन के ऑफर मिल रहे हैं और दूसरी ओर सरकारी पीएचसी में सेवा देने के बावजूद उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. वेतन नहीं मिलने से अपने और परिवार का खर्च वहन करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में उनके सामने निजी अस्पतालों को तरजीह देने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.