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'सेक्स के बिना शादी अभिशाप..,पति-पत्नी के द्वारा जानबूझकर यौन संबंध से इनकार करना क्रूरता': दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

By रुस्तम राणा | Updated: September 18, 2023 18:11 IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, उच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाया है कि ''सेक्स के बिना शादी अभिशाप है'' और वैवाहिक जीवन में यौन संबंधों में निराशा से ज्यादा घातक कुछ भी नहीं है।''

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ठळक मुद्देउच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाया है कि ''सेक्स के बिना शादी अभिशाप है'' हाईकोर्ट ने कहा, वैवाहिक जीवन में यौन संबंधों में निराशा से ज्यादा घातक कुछ भी नहीं अदालत ने फैसले में कहा, पति या पत्नी द्वारा जानबूझकर यौन संबंध से इनकार करना क्रूरता है

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ऐसे जोड़े को दिए गए तलाक को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया है, जिनकी शादी प्रभावी रूप से बमुश्किल 35 दिनों तक चली थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने तलाक देने के पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुनाया है कि ''सेक्स के बिना शादी अभिशाप है'' और वैवाहिक जीवन में यौन संबंधों में निराशा से ज्यादा घातक कुछ भी नहीं है।''

अदालत ने कहा, पत्नी के विरोध के कारण विवाह संपन्न नहीं हुआ, जिसने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी कि उसे दहेज के लिए परेशान किया गया था, जिसके बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इसमें कहा गया, इसे क्रूरता भी कहा जा सकता है। फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा, “पति या पत्नी द्वारा जानबूझकर यौन संबंध से इनकार करना क्रूरता है, खासकर जब दोनों पक्ष नवविवाहित हों।” 

अदालत ने महिला द्वारा वैवाहिक जीवन में बिताए गए समय का जिक्र करते हुए कहा, ''वर्तमान मामले में, दोनों पक्षों के बीच विवाह न केवल बमुश्किल 35 दिनों तक चला, बल्कि वैवाहिक अधिकारों से वंचित होने और विवाह संपन्न न होने के कारण रिश्ता पूरी तरह से विफल हो गया।'' अदालत ने कहा, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि 18 साल से अधिक की अवधि में इस तरह का अभाव मानसिक क्रूरता के समान है।

अदालत ने पाया कि जोड़े ने 2004 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की और पत्नी जल्द ही अपने माता-पिता के घर वापस चली गई और फिर वापस नहीं लौटी। बाद में पति ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पारिवारिक अदालत ने ''सही निष्कर्ष निकाला'', हालांकि परित्याग का आधार साबित नहीं हुआ है, लेकिन पति के प्रति पत्नी का आचरण क्रूरता के समान है, जो उसे तलाक के आदेश का हकदार बनाता है। 

 

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