नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल: इन 8 मुद्दों पर बीजेपी नहीं करना चाहती बात

By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 10, 2018 07:54 AM2018-04-10T07:54:50+5:302018-04-10T15:40:50+5:30

अगले महीने केंद्र में एनडीए सरकार के चार साल पूरे हो जाएंगे। इस दौरान कई ऐसे मुद्दे आए जिन्हें लेकर बीजेपी कठघरे में खड़ी दिखी।

Why Modi Govt hides issue like Loya, Jai Shah, vyapam scam and cambridge analytica | नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल: इन 8 मुद्दों पर बीजेपी नहीं करना चाहती बात

नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल: इन 8 मुद्दों पर बीजेपी नहीं करना चाहती बात

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), नरेंद्र मोदी सरकार के करीब चार साल के कार्यकाल में एक भी घोटाला ना होने का खम ठोंक रही है। लेकिन इन्हीं चार सालों में एक दर्जन से ज्यादा मुद्दों को ऐसे दबा दिया गया जिन पर सार्वजनिक मंच पर चर्चा होनी चाहिए थी। 

बीते चार सालों में बीजेपी या बीजेपी से जुड़े दल, या भारत की पूरी राजनीति को प्रभावित करने वाला जब कोई ऐसा मुद्दा तैरा, उसे तत्काल मुख्य धारा की मीडिया यहां तक कि सोशल मीडिया से भी हटवा दिया गया। उन पर पूरी तरह से चर्चा बंद हो गई। इस पूरे मामले को समझने के लिए पहले आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ चुनावी वादे याद दिलाने होंगे, जिनको सुनकर जनता उनको चुनती है-

मैं 60 महीने सत्ता के सिंहासन पर आरूढ़ होने के लिए नहीं मांग रहा हूं, मैं 60 महीने एक चौकीदार बनने के लिए मांग रहा हूं, बहुत लूटा देश को अब एक चौकीदार की जरूरत है- नरेंद्र मोदी

भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए, हिन्दुस्तान के कोने-कोने से भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? मैंने बीड़ा उठाया है, और मेरा मंत्र रहा है, न खाऊंगा ना खाने दूंगा... नरेंद्र मोदी

अच्छे दिन... आने वाले हैं। अच्छे दिन... आने वाले हैं। - नरेंद्र मोदी

मैंने कसम उठाई है, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। - नरेंद्र मोदी

नेता जी आप गुजरात नहीं बना सकते। इसके लिए 56 इंच का सीना लगता है।- नरेंद्र मोदी

मेरे देशवासियों मैंने अपना घर, परिवार, सबकुछ देश के लिए छोड़ा है- नरेंद्र मोदी

हम तो फकीर आदमी हैं झोला लेकर निकल पड़ेंगे जी- नरेंद्र मोदी

मैं जानता हूं, मैंने कैसे-कैसे लोग मेरे खिलाफ हो जाएंगे। मैं उनके 70 साल लूट रहा हूं, वे मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे। वे मुझे बर्बाद कर देंगे। भइयों बहनों 50 दिन मेरी मदद करें। देश 50 दिन मेरा साथ दें- नरेंद्र मोदी

चुनाव एक यज्ञ होता है। चुनाव के यज्ञ में लोकतंत्र का सिपाही जूझता है।- नरेंद्र मोदी 

उनके बयानों के इस संकलन को पढ़ने के बाद इन मुद्दों पर एक नजर डालिए-

1- कैंब्रिज एनॉलिटिकाः भारतीय पार्टियां हमारा फायदा उठाएंगी?

फेसबुक से डाटा लेकर मतदाताओं को किसी खास पक्ष में उकसाने जैसे गंभीर आरोप वाली कंपनी कैंब्रिज एनॉलिटिका मामले व्हिसल ब्लोअर ने खुले तौर पर भारतीय पार्टियों का उल्लेख किया। इस मामले में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद महज मी‌डिया में आरोप-प्रत्यारोप लगाते ही सुने गए। प्रसाद ने सारा दोष कांग्रेस पर मढ़ दिया। जबकि कैंब्रिज एनॉलिटिका ने जनता दल (यूनाइटेड) नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी की कंपनी ओवलेनो बिजनेस इंटेलीजेंस (ओबीआइ) को अपना पार्टनर बताया था। और इस कंपनी के क्लाइंट बीजेपी, कांग्रेस जदयू तीनों थे। 

2- जज बीएस लोया की मौत मामले पर लीपा-पोती

सीबीआई जज बीएस लोया की संद‌िग्‍ध परिस्थितियों में मौत की जांच पर केंद्र सरकार रुख लीपापोती वाला है। देश के सामने अजीब स्थिति है कि एक जज की हत्या की आशंका जतायी जा रही है और केंद्र सरकार उनकी मौत की जाँच कराने की माँग का एड़ी-चोटी का जोर लगाकर विरोध कर रही है। जज लोया की मौत के मामले में मीडिया रिपोर्ट में जिस तरह के दावे किए गये हैं उन्हें देखते हुए उनकी मृत्यु की जाँच वाजिब लगती है। ये समझना मुश्किल है कि आखिर एक जज की मौत की जाँच कराने से सरकार को क्या नुकसान हो सकता है। सरकार जिस सीमा तक जाकर जाँच की माँग का विरोध कर रही है उसने मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है। 

3- जय शाह या पीयूष गोयल पर लगे आरोप पर बीजेपी का रुख

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे। आरोप था कि जय शाह की कंपनी का टर्नओवर केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद एक साल में 16,000 गुना बढ़ गया था। बीजेपी ने सिरे से इस मामले से पल्ला झाड़ लिया। कुछ दिनों की चुप्पी के बाद अमित शाह ने मीडिया में सफाई दी कि उनके बेटे की कंपनी ने कोई भी गड़बड़ी नहीं की है। जय शाह ने रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली न्यूजसाइट द वायर एवं उसके संपादक और रिपोर्टर समेत अन्य पर मानहानि का मुकदमा कर दिया। जाहिर है शाह ने मीडिया को अदालती कार्यवाही में परोक्ष रूप से उलझाकर धमकाना चाहा। उसके बाद से ये मामला मीडिया से गायब जैसा हो गया है। एक विश्वनीय सूत्र के अनुसार हिमाचल चुनावों के वक्त पूरे हिमाचल में बीजेपी कहीं भी इस मामले पर खबरें प्रकाशित-प्रसारित ना हो इसकी पूरी व्यवस्‍था कर रखी थी। कई चैनलों से वे सभी बाइट हटवा दी गई, जिनमें इस मामले पर बात हो रही थी।

अभी हाल ही में मोदी कैबिनेट के मंत्री पीयूष गोयल पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। द वायर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पीयूष एक ऐसी कंपनी में निर्णायक भूमिका में थे जिसने बैंकों का लोन नही ंचुकाया। कंपनी ने जब लोन लिया तब पीयूष गोयल उससे जुड़े हुए थे। बाद में कंपनी से अलग हो गये और फिर नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बने। इस वक्त बैंकों के लोन लेकर फरार हो जाने या न चुकाने के मामले मीडिया में छाए हुए हैं। ऐसे में केंद्रीय कैबिनेट के एक अहम मंत्री पर लगे आरोपों पर पीएम मोदी और बीजेपी का रवैया चिंताजनक है। 

5- पनामा पेपर्स की जाँच?

पनामा पेपर्स लीक मामले में कई दिग्गज भारतीयों के नाम आए। इसमें यह जाहिर हुआ कि कई धनी भारतीयों के पैसे व जानकारियां गैरकानूनी रूप से मोसक फोंसका कंपनी के पास पड़े हुए हैं। इसमें बीजेपी सरकार के कई करीबियों और विपक्ष के भी बड़े-बड़े नाम सामने आए। पनामा पेपर्स के सामने आने के बाद मोदी सरकार ने तुरंत ही इस पर जाँच बैठा दी लेकिन जहाँ पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की इसकी वजह से कुर्सी चली गयी वहीं भारत में इसकी जद में अभी तक कोई बहुत बड़ा नेता या कारोबारी या सेलेब्रिटी नहीं आया है। पनामा पेपर्स की अब तक की जाँच की दिशा से ऐसा लगने लगा है कि मोदी सरकार के जाल में छोटी और मझोली मछलियाँ फँस जाएँगी और बड़े मगरमच्छ आराम से देश को लूटते रहेंगे।

6- नोटबंदी में खातों में अतिरिक्त पैसे जमा करने वाले लोग

नोटबंदी का उद्देश्य भ्रष्टाचार का खत्मा बताया गया। इस दौरान सभी को खाते में निर्धारित सीमा तक पैसे ही जमा करने की अनुमति दी गई। उससे ज्यादा जमा करने पर उसकी जांच-पड़ताल करने की बात कही गई। इसमें भारी संख्या में अनियमितता की खबरें आईं। अचानक से खुले लाखों जन-धन खातों में महज उन्हीं पचास दिनों में अरबों रुपये जमा हुए। पर किसी शख्स का बाल भी बांका नहीं हुआ। अभी तक नोटबंदी से जुड़े सारे आंकड़े भी पब्लिक डोमेन में नहीं आए हैं। करोड़ों भारतीयों को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाले इस फैसले पर पारदर्शिता की जरूरत थी लेकिन अब तक उसका अभाव ही दिखा है।

7- राफेल डील में ढील क्यों

फ्रांस की कंपनी से ज्यादा पैसों में राफेल विमानों को खरीदने के मामले में केंद्र सरकार ने लोगों को केवल गोल-गोल घुमाया। ऐसे किसी मामले में जिसमें कांग्रेस की भी संलिप्तता है बीजेपी ठोस कदम उठाने के बजाए मामले को ही गपतगोल कर जाती है। बीजेपी का आरोप था कि राफेल विमानों की खरीदारी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में हुई थी। ऐसे में बीजेपी कैसे अनियमितता बरती। लेकिन मामले को जल्द से जल्द निपटा दिया गया।

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8- नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या की फरारी

विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, जतिन मेहता सभी भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर देश से फरार हो चुके हैं। नीरव मोदी और मेहुल चौकसी तो सीबीआई में एफआईआर होने से कुछ हफ्ते पहले ही परिवार समेत विदेश भाग गये। मामले के मीडिया में आने के बाद मोदी सरकार ने इस मामले की जाँच में तेजी दिखायी लेकिन उसका शुरुआती रुख कांग्रेस पर सारा दोष मढ़ने का था। बीजेपी नेताओं ने झूठा दावा किया कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को कांग्रेस नीत यूपीए के दौरान पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने लोन दिया था। सच्चाई ये थी कि मोदी और चौकसी ने लोन मनमोहन काल में लेना शुरू किया था लेकिन उसका बड़ा हिस्सा उन्होंने मोदी काल में लिया था। अभी तक ये भी पता चला है कि सीबीआई द्वारा एफआईआर की खबर मोदी और चौकसी को पहले कैसे मिल गयी। जिस तरह से इस मामले की जाँच चल रही है उसे देखते हुए इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि इस मामले में भी छोटी और मझोली मछलियाँ फँसेंगी और शायद बड़ी मछलियाँ और मगरमच्छ बच जाएँ।

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