उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में आरपीएन सिंह की गिनती होती थी। लेकिन अब वे कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं और बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने इस्तीफा देने के बाद ट्विटर पर अपनी नई पारी का ऐलान भी कर दिया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से उनका इस्तीफा, पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। वे तीन बार विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस के इतने सीनियर नेता ने इस्तीफा क्यों दिया? किन कारणों के चलते वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं?
सैंथवार के शाही परिवार से आते हैं आरपीएन सिंह
आरपीएन सिंह का जन्म साल 1964 में पडरौना राजघराने (सैंथवार के शाही परिवार) में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय कुंवर सी.पी.एन. सिंह कुशीनगर से सांसद थे। इसके साथ ही 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में वो रक्षा राज्य मंत्री भी थे। आरपीएन सिंह ने कांग्रेस पार्टी से ही अपने राजैनितक करियर की शुरुआत की। पडरौना उनकी परंपरागत सीट रही है।
केंद्रीय मंत्री, सांसद और तीन बार के विधायक रह चुके हैं सिंह
वे साल 1996 में पहलीबार कांग्रेस के विधायक बने फिर साल 2002 और 2007 में भी विधानसभा के सदस्य चुने गए। साल 2009 में कुशीनगर लोकसभा सीट से सांसद के रूप में वे संसद पहुंचे और यूपीए-2 सरकार में मंत्री भी बने।
कांग्रेस छोड़ने का कारण ?
कांग्रेस छोड़ने का कारण सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी ने उनके कद को कम किया है। चुनाव के मद्देनजर न तो उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी गई और न ही पार्टी की तरफ से उन्हें महत्व दिया गया। सोमवार को भले ही स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम शामिल किया गया हो, लेकिन कहा ये जा रहा है कि इससे पहले ही वे बीजेपी से संपर्क साध चुके थे।
अब माना जा रहा है कि भाजपा पडरौना से स्वामी मौर्य प्रसाद के खिलाफ आरपीएन सिंह को अपना उम्मीदवार बना सकती है। मौर्य भाजपा छोड़कर समाजवादी में शामिल हुए हैं।