जानिए देश के अगले सेनाध्यक्ष व चीन मामले के एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरावने से जुड़ी 5 बड़ी बातें
By अनुराग आनंद | Published: December 17, 2019 01:29 PM2019-12-17T13:29:30+5:302019-12-17T13:31:25+5:30
नरावने एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके करियर का काफी लंबा समय महाराष्ट्र के पूणे में बीता है। अपनी शुरुआती पढ़ाई पूणे से करने के बाद नरावने एनडीए में दाखिल हो गए थे।
भारत सरकार ने सोमवार को वरिष्ठता सिद्धांत के आधार पर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरावने को अगला सेना प्रमुख चुना है। लेफ्टिनेंट जनरल नरावने, वर्तमान उप सेना प्रमुख हैं। अब नरावने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना का नेतृत्व करेंगे। दरअसल, वर्तमान समय में इस पद पर जनरल बिपिन रावत हैं, जो 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
आपको बता दें कि नरावने एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके करियर का काफी लंबा समय महाराष्ट्र के पूणे में बीता है। अपनी शुरुआती पढ़ाई पूणे से करने के बाद नरावने एनडीए में दाखिल हो गए थे।
नरावने सिख लाइट इन्फैंट्री की 7 वीं बटालियन में तैनात हैं-
वर्तमान समय में नरावने सेना की सिख लाइट इन्फैंट्री की 7 वीं बटालियन में तैनात हैं। लेफ्टिनेंट जनरल नरावने को एक विद्रोही सिपाही के रूप में जाना जाता है। इनके पास सेना के नेतृत्व करने का लंबा अनुभव है।
उन्होंने इससे पहले कोलकाता स्थित पूर्वी कमान और सेना के प्रशिक्षण कमान की कमान भी संभाली है। छह महीने पहले उप-सेना प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति ने उन्हें सेना मुख्यालय में के सभी अहम गतिविधियों से वाकिफ करा दिया। वर्तमान में सेना उप-प्रमुख नरावने खरीद और योजना से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को संभाल रहे हैं।
नए साल पर संभालेंगे नए पद की जिम्मेदारी-
जनरल नरवाना 1 जनवरी 2020 को सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लेंगे। नरावने की एख गंभीर छवी के इंसान हैं, जो बेहद कम लेकिन बेबाक बोलने के लिए जाने जाते हैं। नरावने इस पद पर अप्रैल 2022 तक अपने सेवा देंगे।
चीन मामले के विशेषज्ञ हैं नरावने-
59 साल के नरावने को चीन का विशेषज्ञ माना जाता है। यही नहीं जम्मू-कश्मीर और भारत के उत्तर-पूर्व में आतंकवाद रोधी अभियानों में भी उन्हें व्यापक अनुभव है। यही वजह है कि देश के वर्तमान हालात को देखते हुए उनकी यह जिम्मेदारी काफी महत्वपूर्ण है।
नरावने के सामने कई चुनौतियां होंगी-
नरावने ने उस समय सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला जब स्वतंत्र भारत के इतिहास में देश एक बड़े अशांति की दौर से गुजर रहा है। यह वक्त भारतीय फौज के सबसे बड़े बदलाव व चुनौतियों का वक्त है। 21 वीं सदी के इस समय में भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी भी नरावने के कंधों पर ही होगी। इसके साथ नरावने के लिए शीर्ष चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना होगा कि सेना को अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसा मिले। सेना के तीनों अंग पैसे की कमी की समस्या से जूझ रही हैं, ऐसे समय में सेना की बेहतर स्थिति करने के लिए बहुत कुछ उनपर निर्भर करेगा।
नरावने को 39 साल का सेना में अनुभव है-
अपने 39 साल के सैन्य करियर में, नरावने ने राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन की कमान संभाली। इसके अलावा, एक स्ट्राइक कोर का भी नेतृत्व किया और इसके साथ ही उन्होंने सेना प्रशिक्षण कमान का नेतृत्व किया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र, नरावने श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल का हिस्सा थे और उन्होंने म्यांमार में भारत के रक्षा प्रशिक्षक के रूप में भी काम किया है।