किसे मिलती है Z+ की सुरक्षा, जानें क्या है X, Y, Z और SPG सिक्योरिटी?
By स्वाति सिंह | Published: August 10, 2019 03:38 PM2019-08-10T15:38:35+5:302019-08-10T15:43:03+5:30
सबसे गृह मंत्रालय इंटेलीजेंस ब्यूरो यानि आईबी की सिफारिश पर हर साल स्पेशल लोगों की सुरक्षा की समीक्षा करता है। इसके बाद खतरे के स्तर को देखते हुए स्पेशल और वीआईपी लोगों को अलग-अलग लेवल की सुरक्षा दी जाती है।
अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने काई बड़े नेताओं-राजनेताओं की सिक्योरिटी की समीक्षा के बाद उनमें बदलाव किए हैं। केंद्र सरकर द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा के कुल चार प्रकार है। देश में वीवीआईपी, वीआईपी, राजनेताओं, हाई-प्रोफाइल हस्तियों और दिग्गज खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुरक्षा का जिम्मा गृह मंत्रालय का होता है।
गृह मंत्रालय इंटेलीजेंस ब्यूरो यानि आईबी की सिफारिश पर हर साल स्पेशल लोगों की सुरक्षा की समीक्षा करता है। इसके बाद खतरे के स्तर को देखते हुए स्पेशल और वीआईपी लोगों को अलग-अलग लेवल की सुरक्षा दी जाती है।
इन सुरक्षा में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG), इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के जवान तैनात रहते है। वीवीआईपी और वीआईपी लोगों की सुरक्षा में सबसे ज्यादा NSG का इस्तेमाल किया जाता है।
हमारे देश में 4 तरह की सुरक्षा कैटेगरी है-X, Y, Z और Z प्लस। इसमें Z प्लस सबसे अपर लेवल सुरक्षा कैटेगरी होता है।
X लेवल सिक्योरिटी- X सिक्योरिटी सबसे बेसिक लेवल का प्रोटेक्शन है। इसमें एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर यानि पीएसओ सहित केवल 2 सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिनमें कमांडो को शामिल नहीं किया जाता है।
Y लेवल सिक्योरिटी-Y लेवल सिक्योरिटी में 1 या 2 कमांडो सहित कुल 11 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं। इसके साथ ही इनमें 2 पीएसओ भी होते हैं। बाकी सभी जवान NSG, ITBP या CRPF के होते हैं।
Z लेवल सिक्योरिटी कैटेगरी - Z लेवल सिक्योरिटी की सुरक्षा में 22 सुरक्षाकर्मी होते हैं जिसमें 4 या 5 एनएसजी के कमांडो को शामिल किया जाता है। इसके अलावा इसमें ITBP, NSG या CRPF को पुलिस के जवान तैनात होते हैं। Y लेवल सिक्योरिटी में एक एस्कॉर्ट कार भी प्रोवाइड होती है।
Z+ कैटेगरी सिक्योरिटी- Z+ कैटेगरी की सुरक्षा में कुल 55 सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं, जिसमें 10 एनएसजी के कमांडो होते हैं। इसमें तैनात कमांडो के पास MP 5 सब-मशीन गन होती है जो देखते ही देखते किसी को भी चित्त कर सकती है। इनके पास जितने भी कम्युनिकेशन के गैजेट होते हैं सभी जीपीएस से लगा होता है, ताकि किसी भी कंडिशन में इनका इस्तेमाल किया जा सकता।
इसमें भर्ती किए जाने वाले जवानों को मार्शल ऑर्ट से प्रशिक्षित किया जाता है। जिससे इन्हें बिना हथियार के लड़ने का भी एक्सपीरियंस होता है। सुरक्षा के पहले घेरे की जिम्मेदारी एनएसजी की होती है, इसके बाद दूसरे स्तर पर एसपीजी के अधिकारी होते हैं। साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी सुरक्षा में लगाए जाते हैं। देश में लगभग 14 से 17 लोगों को Z+ सिक्योरिटी दी गई है।
SPG-इसके अलावा SPG यानि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप है। इस ग्रुप का गठन 1988 में मौजूदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था। यह सुरक्षा प्रधानमंत्री, पूर्व और उनके परिवार को दिया जाता है। इसके अलावा सुरक्षा कारणों के चलते गांधी परिवार को SPG की सुरक्षा दी गई है।
इसमें तैनात कमांडो के पास अत्याधुनिक हथियार और कोम्युनिकेशन गैजेट होते हैं। इसके जवानों को अमेरिका की सिकेट सर्विस की तर्ज पर ट्रेनिंग मिलती है। SPG पर प्रधानमंत्री की चौबीस घंटे की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इसमें कुल 6 लेयर की सिक्योरिटी होती है।