लॉकडाउनः बुरे सपने में तब्दील हुआ परिवार का कश्मीर घूमने का सपना, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Updated: May 7, 2020 20:43 IST2020-05-07T20:43:18+5:302020-05-07T20:43:18+5:30

पश्चिम बंगाल से जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठाने एक परिवार के लिए उनका यह सफर अब किसी दुस्वपन से कम नहीं है। लॉकडाउन होने की वजह से वो जम्मू के एक होटल में फंसे हैं और पैसे खत्म होने के बाद भोजन सहित अन्य जरुरतों के लिए स्थानीय लोगों, पुलिस और एनजीओ से मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं।

When the bad dream of roaming Kashmir turned into a dream due to coronavirus lockdown | लॉकडाउनः बुरे सपने में तब्दील हुआ परिवार का कश्मीर घूमने का सपना, जानिए पूरा मामला

हम लंबे समय से यहां फंसे हुए हैं और बिना किसी देरी के अब बस घर जाना चाहते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsवैसे तो 14 लोगों के इस परिवार को 30 मार्च को लौट जाना था, लेकिन 25 मार्च से राष्ट्रव्यपाी लॉकडाउन की घोषणा के कारण वे यहां फंस गए हैं।फंसे हुए लोगों को जाने की अनुमति देने संबंधी केन्द्र सरकार का निर्देश हमारे लिए आशा की नयी किरण लेकर आया है।

जम्मू: कश्मीर की खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठाने जम्मू-कश्मीर पहुंचे पश्चिम बंगाल के इस परिवार के लिए उनका यह सफर अब किसी दुस्वपन से कम नहीं है। एक महीने से भी ज्यादा वक्त से ये लोग जम्मू के एक होटल में फंसे हैं और पैसे खत्म होने के बाद भोजन सहित अन्य जरूरतों के लिए स्थानीय लोगों, पुलिस और एनजीओ से मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं। यह परिवार पहली बार कश्मीर घूमने का सपना लिए 15 मार्च को केन्द्र शासित प्रदेश पहुंचा। 

वैसे तो 14 लोगों के इस परिवार को 30 मार्च को लौट जाना था, लेकिन 25 मार्च से राष्ट्रव्यपाी लॉकडाउन की घोषणा के कारण वे यहां फंस गए हैं। परिवार में छह महिलाएं और चार बच्चे हैं। उत्तर 24 परगना जिले में नबपल्ली बारासात के रहने वाले अरिजित दास (48) का कहना है, ‘‘फंसे हुए लोगों को जाने की अनुमति देने संबंधी केन्द्र सरकार का निर्देश हमारे लिए आशा की नयी किरण लेकर आया है। हम लंबे समय से यहां फंसे हुए हैं और बिना किसी देरी के अब बस घर जाना चाहते हैं।’’ 

बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाले दास का कहना है कि सरकार की घोषणा को दो दिन हो गए हैं, लेकिन ‘‘हमें नहीं पता कि यहां से अपने राज्य कैसे पहुंचा जाए।’’ उन्होंने मेजबानी और मदद के लिए जम्मू के लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘उन्होंने सुनिश्चित किया कि हम जिंदा रहें।’’ दास ने कहा, ‘‘हमारे सारे पैसे खत्म हो गए हैं और हम पिछले एक महीने से लोगों से मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं।’’ परिवार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगाई है। 

परिवार के अन्य सदस्य तपन दास ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे अपने लोगों को वापस लाने के लिए विस्तृत योजना बनायी है। हम भी दीदी का आसरा देख रहे हैं, ताकि घर लौट सकें।’’ उन्होंने कहा कि परिवार ने एक यादगार यात्रा की योजना बनायी थी। 
तपन ने कहा, ‘‘यात्रा की शुरुआत अच्छी हुई। हम 15 मार्च को जम्मू पहुंचने के बाद वैष्णो देवी के दर्शन करने गए। फिर तमाम मंदिरों और अन्य जगहों का दर्शन करने के बाद हम 17 मार्च को श्रीनगर के लिए निकले। वहीं से दिक्कतें शुरू हुईं। पहले तो भूस्खलन के कारण हम दो दिन तक जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे रहे।’’ 

उन्होंने बताया कि श्रीनगर पहुंचने पर यहां कर्फ्यू जैसे हालात थे, क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए तमाम पाबंदियां लगाई थीं। अरिजित दास ने कहा, ‘‘इस महामारी ने ना सिर्फ हमारी यात्रा खराब कर दी बल्कि अब हमें दूर-दूर तक अपनी दिक्कतें दूर होती नहीं दिख रही थीं। हमने घाटी में पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग जाने की योजना बनायी थी, लेकिन पुलिस ने हमें जाने की अनुमति नहीं दी।’’

अपने माता-पिता, बहनों-बहनोईयों के साथ आए अरिजित ने बताया कि उन्होंने श्रीनगर में डल झील और मुगल गार्डन देखा और 22 मार्च की रात जम्मू लौट आए। उन्होंने बताया, ‘‘हमने हरि मार्केट में रघुनाथ मंदिर के पास एक होटल बुक किया। लॉकडाउन में फंसने के कारण एक अप्रैल तक हमारे सारे पैसे खर्च हो गए थे। होटल मालिक बहुत सज्जन पुरुष है, जिन्होंने हमें रसोई में अपना भोजन पकाने की सुविधा दी।’’ 

अरिजित ने बताया, ‘‘हमारे बारे में सूचना मिलने के बाद स्थानीय निवासियों ने भी चावल, बिस्कुट चाय आदि भेजा, एनजीओ, सामाजिक संगठनों, पुलिस और अन्य लोगों ने हमारी रोज की जरुरतों को पूरा किया। हम उनका धन्यवाद करते हैं।’’

Web Title: When the bad dream of roaming Kashmir turned into a dream due to coronavirus lockdown

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