जब राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और आजम खान एक ही पार्टी से लड़े थे चुनाव, मिर्जापुर से जीते थे राजनाथ, रामपुर से आजम को मिली थी हार

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 26, 2022 02:48 PM2022-01-26T14:48:30+5:302022-01-26T14:57:37+5:30

आजम खान के सियासी पारी में एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने विचारधारा में अपने कट्टर विरोधी भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह के साथ मिलकर एक ही पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ा था। 

When Rajnath Singh, Kalyan Singh and Azam Khan contested from the same party, Rajnath won from Mirzapur, Azam was defeated from Rampur | जब राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और आजम खान एक ही पार्टी से लड़े थे चुनाव, मिर्जापुर से जीते थे राजनाथ, रामपुर से आजम को मिली थी हार

जब राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और आजम खान एक ही पार्टी से लड़े थे चुनाव, मिर्जापुर से जीते थे राजनाथ, रामपुर से आजम को मिली थी हार

Highlights1977 में जनता पार्टी के टिकट पर आजम खान और राजनाथ सिंह ने चुनाव लड़ा था आजम खान 1977 के अपने पहले चुनाव में कांग्रेस के मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां से हार गये थेराजनाथ सिंह ने 1977 के चुनाव में मिर्जापुर से कांग्रेस के अज़हर इमाम को हराया था

दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को उस समय बड़ी राहत मिली जब कोर्ट ने आजम खान को जेल में रामपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने की इजाजत दे दी।

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के सियासी पारी में एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने विचारधारा में अपने कट्टर विरोधी भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह के साथ मिलकर एक ही पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ा था। 

जी, हां हम बात कर रहे हैं साल 1977 के यूपी विधानसभा चुनाव की। देश में इमरजेंसी खत्म होने के बाद इंदिरा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आम चुनाव की घोषणा की। ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश में सातवां विधानसभा चुनाव हुआ। विपक्षी दलों ने जेपी को आगे रखकर जनता पार्टी का गठन किया। जिसमें आज की भाजपा और तब की जनसंघ के साथ-साथ चरण सिंह की भारतीय लोकदल सहित समाजवादियों के सभी धड़े शामिल हुए।

1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत दिया यूपी की जनता ने और 425 सीटों में से 352 सीटें जनता पार्टी की झोली में आ गिरी। वहीं कांग्रेस को महज 47 सीटों पर संतोष करना पड़ा और इस तरह राम नरेश यादव यूपी के सीएम बने।

1977 का चुनाव इसलिए भी बड़ा दिलचस्प है क्योंकि इस चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर कुछ युवाओं ने भी अपनी राजनैतिक पारी शुरू की थी। जिसमें रामपुर से मोहम्मद आजम खान और मिर्जापुर से राजनाथ सिंह का नाम शामिल हैं। 

आजम खान का सियासी सफर 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से तालिम लेने वाले मोहम्मद आजम खान इमरजेंसी के दौरान लंबा संघर्ष किया, बनारस की जेल में बंद रहे। जब 1977 में आजम खान रिहा हुए तो जनता पार्टी ने उन्हें पहली बार साल 1977 में रामपुर से विधानसभा चुनाव का दिया लेकिन आजम खान सियासत की पहली परीक्षा में फेल हो गये और कांग्रेस के मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां ने उन्हें रोचक संघर्ष में हरा दिया।

हालांकि साल 1980 में आजम खान ने कांग्रेस के मंजूर अली खां से अपने हार का बदला ले लिया और जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार रामपुर से विधायक बने। साल 1985 के विधानसभा में आजम खान को चौधरी चरण सिंह ने लोकदल से टिकट दिया और उस चुनाव में भी आजम खान विजयी रहे।

साल 1991 में आजम खान ने जनता पार्टी से टिकट लिया और रामपुर सीट को अपने पास बरकरार रखी। साल 1992 में जब मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी का गठन किया तो आजम खान बतौर संस्थापक सदस्य उसमें शामिल हुए और  साल 1993 के चुनाव में सपा के साइकिल पर सवार होकर रामपुर से विधानसभा पहुंचे। आजम खान आज भी मुलायम सिंह के भरोसेमंद सिपहसालार बने हुए हैं। 

राजनाथ सिंह की राजनैतिक यात्रा 

वहीं अगर हम मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बात करें तो चंदौली के रहने वाले राजनाथ सिंह साल 1975 में 24 साल की उम्र में मिर्जापुर के जनसंघ का जिला अध्यक्ष थे। 1977 के चुनाव में राजनाथ सिंह को जनता पार्टी ने मिर्जापुर विधानसभा से टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस के अज़हर इमाम को शिकस्त देकर अपने राजनैतिक पारी की शुरूआत की।

हालांकि 1980 और 1985 के विधानसभा चुनाव में राजनाथ सिंह को मिर्जापुर विधानसभा से बतौर बीजेपी कैंडिडेट हार करना पड़ा था। साल 1988 में राजनाथ सिंह एमएलसी बने। 1991 में कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में पहली मंत्री बने और उन्हें शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली। साल 1994 में राजनाथ सिंह भाजपा की केंद्रीय राजनीति में आ गये और उन्हें राज्यसभा के सदस्य बने।

साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में राजनाथ सिंह भूतल परिवहन मंत्री बने। इसके बाद साल 2000 में उत्तर प्रदेश की कमान मिली और वो मुख्यमंत्री बनाये गये। राजनाथ सिंह साल 2005 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उन्होंने साल 2009 में गाजियाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने। 2014 में अटल बिहारी वाजपेयी की पारंपरिक लखनऊ सीट से राजनाथ सिंह से सांसद बने और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह लखनऊ से जीतकर देश के रक्षा मंत्री के पद पर कायम हैं।   

1977 के चुनाव में कई दिग्गजों ने फहराया जीत का परचम 

1977 के यूपी विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो अतरौली से कल्याण सिंह ने भी जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था, जिन्हें मुख्यमंत्री राम नरेश यादव ने अपनी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया था।

इसे अलावा साल 1977 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, बनारसी दास, मोहम्मद आरिफ खान, मोहन सिंह, केशरीनाथ त्रिपाठी, सत्यदेव त्रिपाठी जैसे दिग्गजों ने भी जीत का डंका बजाया था। 

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