अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी नहीं रहीं। 100 की उम्र में उनका अहमदाबाद में निधन हो गया। पीएम मोदी भी दिल्ली से अहमदाबाद के लिए रवाना हो चुके हैं। पीएम मोदी कहा करते थे कि आज वह जो कुछ भी हैं, उसका श्रेय उनकी मां को जाता है। वह अपनी मां के काफी करीब थे। गाहे-बगाहे वह इसका जिक्र भी किया करते थे। ऐसा ही एक मौका था जब पीएम अपनी मां के संघर्षों को याद करते हुए अमेरिका में काफी भावुक हो गए थे, उनका गला भरभरा गया था।
साल 2015 था। नरेंद्र मोदी संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर थे। टाउन हॉल सत्र में फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग सामने बैठे थे। हाल भी खचाखच भरा हुआ था। इस दौरान पीएम अपनी मां हीराबेन का जिक्र करते हुए भावुक हो गए थे। एक वक्त उनकी गले से आवाज भी नहीं निकलती है।
जब मां का जिक्र कर पीएम मोदी अमेरिका में हो गए थे भावुक
पीएम ने कहा थाः ''हमारे पिताजी तो रहे नहीं। माताजी हैं जो 90 साल से ज्यादा की उम्र है। आज भी अपने सारे काम खुद करती हैं। पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन टीवी के कारण समाचारों का पता रहता है कि दुनिया में क्या चल रहा है वरना कुछ पता नहीं था। जब हम छोटे थे तो हमारा गुजारा करने के लिए वे अड़ोस-पड़ोस के घरों में बर्तन साफ करना, पानी भरना, मजदूरी करना। आप कल्पना कर सकते हैं कि एक मां ने अपने बच्चों को बड़ा करने के लिए कितना कष्ट उठाया होगा। और ये सिर्फ नरेंद्र मोदी के मामले में नहीं है, भारत में ऐसी लाखों माताएं हैं। जिन्होंने अपने बच्चों के सपनों के लिए अपना पूरा जीवन आहूत कर दिया।''
हीराबेन के छह बच्चों में (5 बेटे 1 बेटे) पीएम मोदी तीसरे नंबर के थे
हीराबेन के छह बच्चों में (5 बेटे 1 बेटी) पीएम मोदी तीसरे नंबर के थे। हीराबेन की बहुत कम उम्र में वडनगर, मेहसाणा, गुजरात में एक चाय की दुकान के मालिक दामोदरदास मूलचंद मोदी से शादी हो गई। हीराबेन और उनके पति मूलचंद मोदी के एक साथ छह बच्चे थे; पांच बेटे, और एक बेटी। वह वडनगर, मेहसाणा, गुजरात में परिवार के पैतृक घर में रहती थीं, लेकिन अपने पति के निधन के बाद, वह नरेंद्र मोदी के सबसे छोटे भाई पंकज मोदी के घर में रहने लगीं।
मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की हैः पीएम मोदी
एक साक्षात्कार में, नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह उनके जीवन का आधार थीं और उन्होंने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज जब मां इस दुनिया से विदा हो गईं तो उन्होंने कहा कि मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।
'मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है'
हीराबेन मोदी ने जब 100 की उम्र पूरी की तो पीएम बेटे ने उनपर एक ब्लॉग लिखा। 18 जून 2022 के ब्लॉग में पीएम ने कहा थाः ''मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उनके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है।''
'मां पिताजी से भी पहले उठ कर सारे काम निपटा देती थी'
मोदी ने ब्लॉग में आगे लिखा था- ''मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकाने खोलने से पहले पास की मंदिर में प्रार्थना जरूर करने जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठती और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं। अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाब से धो लाता। कपड़े धोना और मेरा खेलना, दोनों साथ-साथ हो जाया करते थे।''
पहली बार अपने दिल्ली के आवास पर मां को लिए गए थे पीएम मोदी
नरेंद्र मोदी जब पीएम बने तो मई 2016 में मॉं हीराबेन को पहली बार नई दिल्ली में अपने आधिकारिक रेस कोर्स रोड आवास परर ले गए थे। मोदी ने उन्हें अपने आवास के आसपास की तस्वीरें ट्विटर पर साझा की थीं। वहीं नवंबर 2016 में, विमुद्रीकरण के बाद, वह पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाने के अपने बेटे के साहसी फैसले का समर्थन करते हुए एटीएम की कतार में खड़ी देखी गई थीं।