भाजपा जब सत्ता में थी, तब उसने किसानों का पूरा ऋण क्यों माफ नहीं किया: शिवसेना
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 23, 2019 13:46 IST2019-12-23T13:46:47+5:302019-12-23T13:46:47+5:30
महाराष्ट्र सरकार ने 30 सितम्बर, 2019 तक लिए गए दो लाख रुपए तक के फसल ऋण को माफ करने की शनिवार को घोषणा की थी। शिवसेना ने कहा कि किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ करने की दिशा में यह नई सरकार का पहला कदम है।

भाजपा जब सत्ता में थी, तब उसने किसानों का पूरा ऋण क्यों माफ नहीं किया: शिवसेना
शिवसेना ने किसानों के लिए दो लाख रुपए तक का ऋण माफ करने की घोषणा को लेकर उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र सरकार की प्रशंसा की और पूरा कर्ज माफ करने की भाजपा की मांग को लेकर उस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि जब वह सत्ता में थी, उसने तब ऐसा क्यों नहीं किया।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में भाजपा नीत केंद्र सरकार पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि ठाकरे सरकार ने ऐसे समय में किसानों का ऋण माफ करने का फैसला किया है जब देश संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे को लेकर ‘‘जल’’ रहा है। उसने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग भावनाओं की राजनीति खेलकर लोगों को भड़का सकते हैं, लेकिन किसानों के हित में फैसला करने के लिए उन्हें साहस चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार ने 30 सितम्बर, 2019 तक लिए गए दो लाख रुपए तक के फसल ऋण को माफ करने की शनिवार को घोषणा की थी। शिवसेना ने कहा कि किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ करने की दिशा में यह नई सरकार का पहला कदम है। उसने कहा कि पूर्ववर्ती देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल के दौरान ठाकरे ने ही किसानों का ऋण पूरी तरह माफ करने की मांग की थी।
शिवसेना ने कहा कि फड़नवीस सरकार भी पूरा ऋण माफ कर सकती थी लेकिन उसने तब ऐसा नहीं किया और जब भाजपा विपक्ष में है तो अब वह पूरा ऋण माफ किए जाने की मांग कर रही है। सीएए के समर्थन में रविवार को भाजपा की नागपुर में आयोजित रैली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सवाल किया था कि क्या इस देश में हिंदू होना एक अपराध है।
शिवसेना ने इसी का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में अधिकतर किसान भी हिंदू हैं और वे आजीविका कमाने के लिए जूझ रहे है। उसने कहा, ‘‘लेकिन हम (शिवसेना) उनके (किसानों की परेशानियों) बारे में सोचते हैं। किसानों के लिए ऋण माफी और 10 रुपए में भोजन उपलब्ध कराने के मामले गरीबों के लिए अहम हैं, लेकिन भाजपा ने इन मामलों पर ध्यान नहीं दिया।’’