व्हाट्सऐप ने याचिका में नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों को ''असंवैधानिक'' करार दिया

By भाषा | Updated: May 26, 2021 21:13 IST2021-05-26T21:13:56+5:302021-05-26T21:13:56+5:30

WhatsApp petitioned new social media intermediate rules as "unconstitutional" | व्हाट्सऐप ने याचिका में नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों को ''असंवैधानिक'' करार दिया

व्हाट्सऐप ने याचिका में नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों को ''असंवैधानिक'' करार दिया

नयी दिल्ली, 26 मई फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप ने सरकार के नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसके तहत संदेश सेवाओं के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की।

कंपनी ने कहा कि कंपनी द्वारा चैट पर ''निगाह रखने'' संबंधी नियम निजता के अधिकार का उल्लंघन हैं और यह ''असंवैधानिक'' है।

उन्होंने कहा कि मैसेजिंग ऐप के लिए चैट पर निगाह रखने की आवश्यकता, उन्हें व्हाट्सऐप पर भेजे गए हर एक संदेश का फिंगरप्रिंट रखने के लिए कहने के बराबर है। यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों के निजता के अधिकार को कमजोर करेगा।

नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, के जरिए सोशल मीडिया कंपनियों को अधिक से अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाने की कवायद चल रही है।

नये सूचना प्रौद्योगिकी नियम बुधवार 26 मई से प्रभाव में आएंगे और इनकी घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

व्हाट्सऐप एलएलसी ने 224 पन्ने की अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से मध्यवर्ती नियमों के नियम 4 (2)को असंवैधानिक, आईटी अधिनियम का हनन एवं अवैध घोषित करने का अनुरोध किया।

साथ ही उसने नियम 4 (2) के कथित गैर-अनुपालन की सूरत में उसके खिलाफ कोई आपराधिक जिम्मेदारी नहीं डाले जाने का अनुरोध किया।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पक्षकार बनाने वाले अव्हाट्सऐप ने याचिका में कहा कि संदेश पर निगरानी रखने का प्रावधान असंवैधानिक है और निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया कि मैसेजिंग ऐप के लिए चैट पर निगाह रखने का दबाव एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और यह लोगों के निजता के अधिकार और व्हाट्सऐप का उपयोग करने वाले करोड़ों नागरिकों के सुरक्षित तरीके से विचार रखने की स्वतंत्रता के अधिकार को कमजोर करेगा।

उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप सरकारी अधिकारियों, विधि अधिकारियों, पत्रकारों, धार्मिक एवं जातीय समूहों, शिक्षकों और छात्रों के अलावा ऐसे तमाम लोगों को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करने का माध्यम बनता है।

याचिका में कहा गया, '' व्हाट्सऐप डॉक्टर और मरीज को पूरी निजता के साथ गोपनीय स्वास्थ्य जानकारी पर चर्चा करने का मंच प्रदान करता है। मुवक्किल अपने वकील के साथ इस भरोसे पर सूचनाएं साझा करता है कि उसकी बातचीत पूरी तरह सुरक्षित है। इसी तरह, अन्य वित्तीय एवं सरकारी संस्थान भी भरोसे के साथ ऐसा करते हैं।''

इससे पहले दिन में व्हाट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम दुनिया भर में लगातार नागरिक समाज और विशेषज्ञों के साथ उन अनिवार्यताओं का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन करेंगे। इस बीच, हम लोगों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से व्यावहारिक समाधानों पर भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे।’’

प्रमुख सोशल मीडिया मंचों को नये नियमों के अनुपालन के लिये तीन महीने का समय दिया गया था। इस श्रेणी में उन मंचों को रखा जाता है, जिनके पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है।

नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी मध्यस्थ की स्थिति खोनी पड़ेगी। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए दायित्वों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि कंपनी परिचालन प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए काम कर रही है और इसका उद्देश्य आईटी नियमों के प्रावधानों का पालन करना है।

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने कहा कि वह कुछ मुद्दों पर स्पष्टता को लेकर सरकार के लगातार संपर्क में है। फेसबुक के पास फोटो साझा करने का मंच इंस्टाग्राम भी है।

हालांकि, फेसबुक और गूगल दोनों ने मंगलवार तक अनुपालन के नए स्तर को पूरा करने के बारे में चीजें स्पष्ट नहीं की।

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Web Title: WhatsApp petitioned new social media intermediate rules as "unconstitutional"

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