हम विकास चाहते हैं, आपके साथ हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप वन क्षेत्र नष्ट करेंगेः सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Published: September 13, 2019 08:17 PM2019-09-13T20:17:16+5:302019-09-13T20:17:16+5:30

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘हम स्थाई विकास के लिये आपके साथ हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप वन क्षेत्र नष्ट करेंगे।’’ मेहता ने पीठ से कहा कि गोवा में करीब 62 फीसदी वन क्षेत्र है जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।

We want development, are with you but it does not mean that you will destroy the forest area: Supreme Court | हम विकास चाहते हैं, आपके साथ हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप वन क्षेत्र नष्ट करेंगेः सुप्रीम कोर्ट

पीठ गोवा से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के चार फरवरी, 2015 के आदेश में सुधार के लिये दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

Highlightsपीठ ने कहा,‘‘तो क्या यह आपको इसे नष्ट करने का अधिकार देता है? आप खुशकिस्मत हैं कि आपके पास इतना वन क्षेत्र हैं।मेहता ने न्यायालय से कहा कि वे वन क्षेत्र को कतई नष्ट नहीं करना चाहते।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को गोवा सरकार से कहा कि वह ‘स्थाई विकास’ के खिलाफ नहीं है लेकिन किसी भी कीमत पर वनों का दायरा नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्राधिकारी सिर्फ इस वजह से गोवा को ‘बर्बाद’ नहीं कर सकते कि उनके यहां राष्ट्रीय औसत से अधिक वन क्षेत्र है। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह उन राजनीतिकों के खिलाफ है जो अपने अनैतिक मकसदों के लिये न्यायालय के आदेशों का इस्तेमाल करते हैं।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘हम स्थाई विकास के लिये आपके साथ हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप वन क्षेत्र नष्ट करेंगे।’’ मेहता ने पीठ से कहा कि गोवा में करीब 62 फीसदी वन क्षेत्र है जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है।

इस पर पीठ ने कहा,‘‘तो क्या यह आपको इसे नष्ट करने का अधिकार देता है? आप खुशकिस्मत हैं कि आपके पास इतना वन क्षेत्र हैं। हमारा अनुरोध है कि इसे नष्ट नहीं करें।’’ मेहता ने न्यायालय से कहा कि वे वन क्षेत्र को कतई नष्ट नहीं करना चाहते और वह गोवा में वृक्षों की कटाई की अनुमति भी नहीं मांग रहे हैं।

पीठ गोवा से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के चार फरवरी, 2015 के आदेश में सुधार के लिये दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने 2015 में निर्देश दिया था कि गोवा में प्राधिकारी किसी भी एक भूखंड के स्वरूप को बदलने के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देंगे जिसमें प्राकृतिक वनस्पतियां और घने वृक्ष हैं।

इस मामले में सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि यदि यह आदेश प्रभावी रहा तो गोवा के किसी भी क्षेत्र में विकास नहीं हो सकेगा। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘कैसा विकास? आप गोवा को भी बर्बाद करना चाहते हैं। कल ही हमें बताया गया था कि पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश में) नष्ट हो चुकी है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप किसी परियोजना विशेष के लिये आये हैं तो हम इसके खिलाफ नहीं हैं। हम राजनीतिज्ञों के खिलाफ हैं जो हमारे आदेशों को अपने स्वार्थो की खातिर इस्तेमाल करते हैं। मेहता ने पीठ से कहा कि इस आवेदन पर सुनवाई की जानी चाहिए तो न्यायालय ने इसे 23 सितंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया। भाषा अनूप अनूप नरेश नरेश

Web Title: We want development, are with you but it does not mean that you will destroy the forest area: Supreme Court

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