हम इंसानियत को लेकर सचेत हैं, यह कुछ लोगों का गुण नहीं: न्यायालय
By भाषा | Published: September 6, 2021 10:08 PM2021-09-06T22:08:39+5:302021-09-06T22:08:39+5:30
नयी दिल्ली, छह सितंबर फरीदाबाद के खोरी गांव के मामले में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा, ‘‘इंसानियत केवल कुछ लोगों का गुण नहीं है, इसे लेकर हम भी सचेत हैं।’’
खोरी गांव में पिछले दिनों अनधिकृत ढांचों को गिराया गया था। अदालत ने साफ किया कि पात्र लोगों का पुनर्वास किया जाएगा।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ को खोरी निवासी कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने बताया कि लोगों को पेयजल, भोजन, शौचालय, अस्थायी आवास, बिजली तथा चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और उन्हें वहां घरों को ढहाये जाने के बाद कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सुनवाई आरंभ होने पर गोंजाल्विस ने कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं की ओर से तैयार रिपोर्ट का हवाला दिया, जिन्होंने इलाके का दौरा किया था और वहां के लोगों से बातचीत की थी। अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि पेयजल, आवास, भोजन, शौचालय, बिजली तथा चिकित्सा सुविधाओं की तत्काल आवश्यकता है और अस्थायी आवास के बारे में अधिकारियों के दावे ‘पूरी तरह से झूठ’ हैं।
फरीदाबाद नगर निगम के अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि वह इस रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं और ‘‘बिलकुल गलत और हमारी छवि को खराब करने के लिए है’’ क्योंकि अस्थायी आवास, शौचालय और भोजन समेत सभी आवश्यक सुविधाएं पहले ही मुहैया करवाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वहां पर ‘‘जमीन हथियाने वाले लोग हैं’’ और अधिकारी अनजानों को वहां जाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
गोंजाल्विस ने कहा कि वहां पर लोग मलबे के बीच रह रहे हैं, ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां वे जा सकें और वे पुनर्वास के लिए इंतजार कर रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘मलबा तो गिराए गए घरों का है। वे घर इसलिए गिराए गए क्योंकि वे अनधिकृत थे। लोग मलबे पर खड़े होकर यह नहीं कह सकते कि हम यहां से नहीं जाएंगे।’’
पीठ ने कहा कि पुनर्वास उन लोगों के लिए होगा, जिन्हें इसके लिए पात्र पाया जाएगा और इसके साथ ही उसने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर तय की।
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