यहां करना पड़ सकता है भीषण जलसंकट का सामना, 91 बड़े जलाशयों में से 80% में सामान्य से कम पानी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 24, 2019 07:44 AM2019-06-24T07:44:09+5:302019-06-24T07:44:09+5:30
महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र सहित चार उपसंभागों में 'बेहद कम' बारिश हुई है. इन क्षेत्रों के जलाशयों में भंडारण बिलकुल निचले स्तर पर पहुंच गया है. पूर्वी मध्यप्रदेश उपसंभाग में भी 'बेहद कम' वर्षा दर्ज हुई है.
देश के कई क्षेत्रों में इस बार भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है. यदि समय रहते मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो पानी के लिए 'त्राहि-त्राहि' वाली स्थिति उत्पन्न हो सकती है. मौसम विभाग के अनुसार मानसून कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है. मौसम विभाग के डेटा के अनुसार इस साल मौसम विभाग के 84 प्रतिशत उपसंभागों में बेहद कम बारिश दर्ज की गई है.
दूसरी ओर केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 प्रतिशत में पानी सामान्य से कम है. 11 जलाशयों में पानी का भंडारण शून्य हो गया है जो देश में भीषण जलसंकट को दर्शाता है.
महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र सहित चार उपसंभागों में 'बेहद कम' बारिश हुई है. इन क्षेत्रों के जलाशयों में भंडारण बिलकुल निचले स्तर पर पहुंच गया है. पूर्वी मध्यप्रदेश उपसंभाग में भी 'बेहद कम' वर्षा दर्ज हुई है.
यह कहते हैं मौसम विभाग के आंकड़े
22 जून तक मानसून में औसतन 39 % कम बारिश 36 उपसंभागों में से 25 % ने 'कम' वर्षा 6 उपसंभागों में 'बेहद कम बारिश' मध्य भारत के 10 उपसंभागों में से सिर्फ ओडिशा में सामान्य दक्षिणी प्रायद्वीप संभाग के 10 में से 8 में बेहद कम.
यह राहत भी
हालांकि राहत वाली खबर यह है कि मौसम विभाग ने रविवार को कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, मराठवाड़ा और विदर्भ के अधिकतर हिस्सों में मानसून आगे बढ़ा है. जिससे अगले कुछ दिनों में बारिश हो सकती है.
जम्मू-कश्मीर, पूर्वी राजस्थान में ज्यादा बारिश के आसार
जम्मू-कश्मीर और पूर्वी राजस्थान में 'ज्यादा' बारिश दर्ज की गई है जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बहुत ज्यादा बारिश. मध्य भारत के गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ उपसंभागों में भी कम वर्षा हुई है. हालांकि चक्रवात 'वायु' ने जरूर बारिश की कमी से कुछ राहत दिलायी है.