मानव और पशु आबादी बढ़ने से पानी की उपलब्धता कम हुई :जावडेकर
By भाषा | Published: June 4, 2021 03:32 PM2021-06-04T15:32:58+5:302021-06-04T15:32:58+5:30
नयी दिल्ली, चार जून केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को पानी बचाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि मानव और मवेशियों की आबादी बढ़ने की वजह से पानी की उपलब्धता कम हुई है।
टेरी के विश्व सतत विकास सम्मेलन 2022 के अनावरण समारोह में प्रमुख व्याख्यान देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पानी की बिल्कुल भी बर्बादी न हो, इसके लिए नयी तकनीकों का इस्तेमाल होना चाहिए।
पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस से पहले यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उन्होंने इस मौके पर कहा, ‘‘दुनिया के वर्षाजनित ताजा जल के भंडार में भारत की हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत है। इसलिए पानी को बचाने, पुन: उपयोग करने की मूलभूत आवश्यकता है। जब भारत आजाद हुआ था तो पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 5,000 लीटर थी और अब यह 1,100 लीटर रह गयी है। मनुष्य और मवेशियों की आबादी बढ़ने से पानी की उपलब्धता में मूलभूत गिरावट आई है।’’
भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत जनसंख्या है। वहीं, यहां मवेशियों की संख्या भी दुनिया की 18 प्रतिशत है।
जावडेकर ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पानी को बचाने के प्रयास होने चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में करीब 85 प्रतिशत पानी की खपत हो जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘स्प्रिंकलिंग, ड्रिप सिंचाई और अन्य तरीकों से पानी की बचत की जा सकती है।’’
जावडेकर ने नदियों में जलस्तर कम होने के विषय को भी उठाया तथा केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि पर्यावरण के लिहाज से ऐसे उपक्रम महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने सभी राज्यों में जंगलों के सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही ‘लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग’ (लिडार) प्रौद्योगिकी के बारे में भी बात की।
जावडेकर ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस सर्वेक्षण के लिए ‘क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण’ (कैंपा) के माध्यम से धन प्रदान किया है और 40,000 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं।
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