Parliament winter session: शीतकालीन सत्र समाप्त?, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सभी विपक्षी दलों से मिले पीएम मोदी, चाय के साथ चर्चा
By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 19, 2025 12:16 IST2025-12-19T12:09:17+5:302025-12-19T12:16:12+5:30
Parliament winter session: संसद के शीतकालीन सत्र के समापन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन स्थित अपने कक्ष में विभिन्न दलों के नेताओं और सांसदों के साथ बैठक की। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे।

Parliament winter session: शीतकालीन सत्र समाप्त?, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सभी विपक्षी दलों से मिले पीएम मोदी, चाय के साथ चर्चा
नई दिल्लीः संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के दिल्ली लौटे और संसद पहुंच कर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सभी विपक्षी दलों से मिले। इस दौरान चाय के साथ चर्चा की। लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। शीतकालीन सत्र समाप्त संसद के 19 दिवसीय शीतकालीन सत्र का समापन शुक्रवार को लोकसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के साथ हो गया। संसद के शीतकालीन सत्र के 15 दिनों के बाद राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। संसद के शीतकालीन सत्र के समापन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन स्थित अपने कक्ष में विभिन्न दलों के नेताओं और सांसदों के साथ बैठक की। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे।
#WATCH | Delhi | Lok Sabha Speaker Om Birla holds a meeting with the leaders of parties and Members of Parliament in Lok Sabha, in his Chamber in Parliament House on the conclusion of Winter Session of Parliament. Prime Minister Narendra Modi is also present at the meeting. pic.twitter.com/WwXmKiBaZp
— ANI (@ANI) December 19, 2025
STORY | Lok Sabha adjourned sine die; Winter Session concludes
— Press Trust of India (@PTI_News) December 19, 2025
Lok Sabha was adjourned sine die on Friday, drawing curtains on the 19-day-long Winter Session of Parliament.
READ: https://t.co/qcEpKMpn3gpic.twitter.com/WZw0bnK6Om
लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस सत्र में सदन की कार्य उत्पादकता 111 प्रतिशत रही और आठ सरकारी विधेयकों को पारित किया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस सत्र में 15 बैठकें हुईं। उन्होंने अपने संक्षिप्त उल्लेख में कहा, ‘‘आप सभी के सहयोग से इस सत्र में सभा की कार्य उत्पादकता लगभग 111 प्रतिशत रही।’’
इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित थे। अठारहवीं लोकसभा के छठे सत्र में सदन ने आठ सरकारी विधेयकों को मंजूरी दी। इनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने के लिए लाया गया ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ शामिल है जिसे लेकर विपक्ष ने भारी विरोध दर्ज कराया।
सदन ने ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’, ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ और वर्ष 2025-26 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच और संबंधित विनियोग (संख्याक 4) विधेयक, 2025 को भी पारित किया।
देश में अप्रचलित एवं पुराने हो चुके 71 कानूनों को निरस्त और संशोधित करने के प्रस्ताव वाले ‘निरसन और संशोधन विधेयक, 2025’ को भी निम्न सदन की स्वीकृति प्राप्त हुई। इनके अतिरिक्त लोकसभा ने ‘मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और पान मसाला पर उपकर लगाने के प्रावधान वाले ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने और चुनाव सुधारों के मुद्दे पर चर्चा भी हुई।
इससे पहले विपक्ष ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विषय पर संसद में चर्चा कराने की मांग की थी और शीतकालीन सत्र के शुरुआती दो दिन सदन की कार्यवाही इस मुद्दे पर विपक्ष के प्रदर्शन के कारण बाधित भी रही। अंतत: चुनाव सुधारों के मुद्दे पर चर्चा की सहमति बनी और सदन में कामकाज शुरू हुआ।
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के विषय पर चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण से हुई। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत एक दिसंबर को हुई थी। इस सत्र में नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने इंडिगो एयरलाइन्स के परिचालन में व्यवधान के मुद्दे पर सदन में वक्तव्य दिया।
लोकसभा ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से लाए गए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को मंजूरी दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025 पेश किया और संबंधी संसदीय स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा।
विपक्षी सांसदों ने जी राम जी विधेयक के खिलाफ संसद परिसर में पूरी रात धरना दिया
विपक्षी सांसदों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक’ पारित किए जाने के खिलाफ संसद परिसर में बृहस्पतिवार रात से शुक्रवार सुबह तक 12 घंटे का धरना दिया। विपक्षी दलों के सांसदों ने यह ऐलान भी किया कि सरकार के इस कदम का संसद में पुरजोर विरोध करने के बाद अब वे सड़कों पर उतरेंगे।
संसद ने बृहस्पतिवार को ‘विकसित भारत- जी राम जी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी। पहले दिन में यह विधेयक लोकसभा और देर रात राज्यसभा से पारित किया गया। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जिस तरह से यह पूरी तरह से “गरीब-विरोधी, जन-विरोधी, किसान-विरोधी और ग्रामीण गरीबों के खिलाफ” विधेयक लाई और मनरेगा को खत्म कर दिया है, वह निंदनीय है।
उन्होंने कहा, “यह भारत के गरीबों का अपमान है, यह महात्मा गांधी का अपमान है, यह रवींद्रनाथ टैगोर का अपमान है। हमें सिर्फ पांच घंटे का नोटिस देकर इस विधेयक के बारे में सूचित किया गया। हमें इस पर उचित विचार विमर्श करने की अनुमति नहीं दी गई।”
उन्होंने कहा, “हमारी मांग थी कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाए, ताकि विपक्षी दल इसकी गहन अवलोकन कर सकें, इस पर चर्चा कर सकें और सभी हितधारकों से विचार-विमर्श हो सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और तानाशाही का प्रदर्शन करते हुए लोकतंत्र की हत्या की गई।”
घोष ने कहा, “अब हम 12 घंटे का धरना दे रहे हैं। यह धरना नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जनता के खिलाफ, भारत के गरीबों के खिलाफ, ग्रामीण गरीबों के खिलाफ इस काले कानून को लाने के तरीके के विरोध में है।’’ कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने विधेयक पारित होने को देश के श्रमिक वर्ग के लिए “दुखद दिन” बताया और मोदी सरकार पर किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह शायद भारत के लोकतंत्र मजदूरों के लिए सबसे दुखद दिन है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार ने मनरेगा को रद्द कर 12 करोड़ लोगों की आजीविका पर हमला किया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि मोदी सरकार किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी है।” कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा, “जब मनरेगा का मसौदा तैयार किया गया था, तब 14 महीने तक परामर्श किया गया था। इसे संसद ने सर्वसम्मति से पारित किया था।
यह नयी योजना राज्यों पर अत्यधिक बोझ डालेगी। इसका परिणाम यह होगा कि यह योजना विफल हो जाएगी।” द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद के पीछे की ओर स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां लोग उन्हें देख नहीं सकते।’’ उन्होंने कहा कि अब योजना से राष्ट्रपिता का नाम हटाया गया है, जिससे पूरा विपक्ष और देश के लोग आक्रोशित हैं।