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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 जिलों के 122 सीटों पर 11 नवंबर को होगा मतदान, रविवार की शाम थम गया चुनावी शोर

By रुस्तम राणा | Updated: November 9, 2025 18:36 IST

दूसरे चरण में 20 जिलों के 122 सीटों पर मतदान होना है, जिसमें 1302 उम्मीदवार अपना किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें 9 वर्तमान मंत्री, 15 पूर्व मंत्री सहित कई राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव मैदान में हैं। 

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जिसके लिए रविवार की शाम 5 बजे चुनाव प्रचार का शोर थम गया। अब इन 36 घंटों में उम्मीदवार जनसंपर्क चलाकर मतदाताओं को गोलबंद करने के प्रयास में जुट गए हैं। दूसरे चरण में 20 जिलों के 122 सीटों पर मतदान होना है, जिसमें 1302 उम्मीदवार अपना किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें 9 वर्तमान मंत्री, 15 पूर्व मंत्री सहित कई राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव मैदान में हैं। 

दूसरे चरण में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता सासाराम से रालोमो की उम्मीदवार हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू दीपा कुमारी इमामगंज से हम (से.) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। दूसरे चरण में 3,70,13,556 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सबसे कम 2,47,574 मतदाता मखदुमपुर में हैं, तो सबसे अधिक 3,67,667 मतदाता हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में हैं। 

इस चरण में क्षेत्रफल में सबसे छोटा भागलपुर विधानसभा क्षेत्र (23.887 वर्ग किलोमीटर) है, तो सबसे बड़ा चैनपुर (1814.15 वर्ग किलोमीटर) विधानसभा है। दूसरे चरण में कुल 45,399 बूथ स्थापित किये गए हैं, जिसमें 40,073 ग्रामीण और 5,326 शहरी क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। दूसरे चरण में 595 बूथ महिलाएं और 91 बूथ दिव्यांगजन संभालेंगे।

दूसरे चरण में महागठबंधन में शामिल राजद के 72 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसी तरह कांग्रेस के 37, वीआईपी के 10, भाकपा-माले के 5, भाकपा के 4 और माकपा के 2 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। एनडीए में भाजपा के 52, जदयू के 45, लोजपा (रा) के 15, हम के 6 और रालोमो के 4 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

दूसरे चरण में अधिक संवेदनशील विधानसभा क्षेत्र और बूथों की पहचान की गई है। इमामगंज ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां के सात बूथों पर 3 बजे तक और 354 बूथों पर दोपहर 4 बजे तक मतदान होगा। वहीं, बोधगया विधानसभा क्षेत्र की 200 बूथों पर दोपहर 4 बजे तक और 106 बूथों पर मतदान शाम 5 बजे तक कराया जायेगा। जबकि चैनपुर, रजौली, गोविंदपुर, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई विधानसभा की सभी बूथों पर दोपहर चार बजे तक मतदान चलेगा। 

दूसरे चरण में जिन 20 जिलों में मतदान होगा उनमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास शामिल है। पहले चरण में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया। कुल मतदान प्रतिशत 65.08 फीसदी रहा। महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.04 जबकि पुरुषों का 61.56 फीसद रहा। मीनापुर सीट पर सबसे ज्यादा 77.54 प्रतिशत मतदान हुआ। 

इस चरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें सुपौल से बिजेंद्र प्रसाद यादव, चकाई से सुमित कुमार सिंह, झंझारपुर से नीतीश मिश्रा, अमरपुर से जयंत राज, छातापुर से नीरज कुमार सिंह बबलू, बेतिया से रेणु देवी, धमदाहा से लेशी सिंह, हरसिद्धि से कृष्ण नंदन पासवान और चैनपुर से जमा खान शामिल हैं।

दूसरे चरण में महागठबंधन में राजद से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, कटिहार के कदवा से कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, भाकपा- माले विधायक दल के नेता महबूब आलम की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

चुनावी मैदान में मुद्दों से ज्यादा जातीय गणित का असर देखने को मिल रहा है। सियासत के जानकारों का मानना है कि दूसरे चरण का पूरा रण जातीय ध्रुवीकरण की दिशा में मुड़ गया है। इन 122 सीटों में से 32 सीटों पर मुकाबला एक ही जाति के प्रत्याशियों के बीच सिमट गया है। उदाहरण के तौर पर नरपतगंज, बेलहर, नवादा और बेलागंज की चार सीटों पर यादव उम्मीदवार आमने-सामने हैं- एक ओर एनडीए के तो दूसरी ओर महागठबंधन के उम्मीदवार। वहीं अररिया, जोकीहाट, बहादुरगंज और अमौर की सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी एक-दूसरे से सीधी टक्कर में हैं। 

इस बार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच जातीय समीकरणों को साधने की जद्दोजहद चरण पर है। तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों में धानुक, पासवान, राजपूत और मुसहर समुदाय के उम्मीदवारों के बीच भी आपसी मुकाबला देखने को मिल रहा है। फुलपरास, सिकटी, रुपौली में धानुक, कोढ़ा, पीरपैंती, बोधगया में पासवान, रामगढ़, औरंगाबाद, वजीरगंज में राजपूत, बाराचट्टी, सिकंदरा, रानीगंज में मुसहर जाति आमने सामने हैं। दो-दो सीटों पर ब्राह्मण, वैश्य और रविदास समुदाय के प्रत्याशी एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं। 

वहीं, एक-एक सीट पर पातर, खरवार, संथाल, कुशवाहा और भूमिहार जाति के उम्मीदवार भी अपनी ही जाति के प्रतिद्वंद्वियों को हराने की कोशिश में जुटे हैं।राजद का एमवाई समीकरण भी आमने सामने है। करीब 4 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशियों को एनडीए के यादव प्रत्याशी टक्कर दे रहे हैं। सुरसंड विधानसभा सीट पर नागेंद्र राउत(जदयू) के प्रत्याशी हैं जो यादव समाज से आते हैं उनका मुकाबला राजद प्रत्याशी अबु दोजाना से है जो मुस्लिम प्रत्याशी हैं। 

सुपौल विधानसभा सीट से जदयू प्रत्याशी विजेंद्र यादव मैदान में हैं उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार मिन्नत रहमानी जो मुस्लिम समाज से आते हैं उनसे हैं। बायसी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार विनोद यादव मैदान में हैं जिनका मुकाबला राजद प्रत्याशी अब्दुस सुभान से हैं। नाथनगर विधानसभा सीट से लोजपा(आर) के मिथुन कुमार मैदान में हैं जो यादव समाज से आते हैं उनका मुकाबला जियाउल हसन से हैं। 

ऐसे में इन विधानसभा सीटों पर यादव और मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने हैं।   राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि दोनों गठबंधनों की पारंपरिक जातीय पहचान के बावजूद दलों ने अपने उम्मीदवारों के चयन में व्यावहारिकता दिखाई है। वजह यह है कि अलग-अलग क्षेत्रों में सामाजिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। ऐसे में किसी भी पार्टी के लिए यह जोखिम भरा है कि वह किसी खास जाति या समुदाय को नजरअंदाज करे। यही कारण है कि जातीय रणनीति इस बार के चुनाव में पहले से कहीं ज्यादा गहरी और जटिल हो गई है। ऐसे में कई सीटों पर भले ही कोई प्रत्याशी हार जाएंगे, लेकिन वहां जाति जीत जाएगी। 

इस चरण में रोहतास और कैमूर समेत मगध की 26 तथा सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इन दोनों इलाकों की कुल 50 सीटें सत्ता की चाबी साबित हो सकती हैं। इन दोनों इलाकों में बढ़त हासिल करने वाला गठबंधन सरकार गठन की दिशा तय करेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 सीटों में से भाजपा ने 8, जदयू ने 4, कांग्रेस ने 5, राजद और भाकपा (माले) ने 1-1, जबकि एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बाद में एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल हो चुके हैं। मगध की 26 सीटों में से 22 पर महागठबंधन के विधायक काबिज हैं।

मगध के इलाके में सवर्ण और दलित वोट बैंक साधने वाले गठबंधन को जीत हासिल होगी। वहीं भभुआ में भाजपा व राजद के बीच मुकाबला है। रोहतास की काराकाट सीट से भाकपा-माले व जदयू के बीच लड़ाई है। इस सीट से भोजपुरी स्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह भी मैदान में डटी हुई हैं। जबकि सीमांचल में धमदाहा, आमौर, जोकीहाट, रूपौली सीट पर सबकी नजरें गड़ी हैं। धमदाहा से मंत्री लेसी सिंह विधायक हैं। उनका मुकाबला राजद के संतोष कुमार से है।

सीमांचल में एआईएमआईएम की जीती तीन सीटों पर महागठबंधन तीसरे नंबर पर था। अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन सीटें जीती थी। अमौर, बहादुरगंज और बायसी में महागठबंधन के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर थे। इन तीनों सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों से मुकाबला हुआ था। सीमांचल में इस बार कांग्रेस 12, राजद नौ और वीआईपी दो और भाकपा-माले एक सीट पर चुनाव लड़ रहा है। बीते चुनाव में कांग्रेस और राजद ने 11-11 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एनडीए से भाजपा 11, जदयू 10, लोजपा आर(आर) तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 

पूर्णिया प्रमंडल में अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिले शामिल हैं। पूर्णिया प्रमंडल की 12 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी। महागठबंधन को सात सीटों से संतोष करना पड़ा था। एआईएमआईएम ने इस इलाके में बड़ी सेंध लगायी और पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी।

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