गुवाहाटी हाईकोर्ट के इनकार करने के बाद मुंबई की कोर्ट ने माना Voter ID Card नागरिकता साबित करने का सबूत
By रामदीप मिश्रा | Published: February 21, 2020 11:06 AM2020-02-21T11:06:51+5:302020-02-21T11:06:51+5:30
मुंबई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एएच काशीकर ने 11 फरवरी को अब्बास शेख और उनकी पत्नी राबिया खातून शेख को बरी कर दिया, जिन पर पासपोर्ट नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगा था।
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की एक अदालत ने चुनावी फोटो पहचान पत्र (Voter ID Card) को नागरिकता का पर्याप्त प्रमाण पत्र माना है। इसी के आधार पर कोर्ट ने हाल ही में पुलिस द्वारा "बांग्लादेशी घुसपैठियों" के लगे आरोप में पति-पत्नी को बरी कर दिया। बता दें कि अभी हाल ही में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने वोटर आईडी कार्ड को नागरिकता साबित करने का आखिरी दस्तावेज नही माना है।
मुंबई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एएच काशीकर ने 11 फरवरी को अब्बास शेख और उनकी पत्नी राबिया खातून शेख को बरी कर दिया, जिन पर पासपोर्ट नियमों के उल्लंघन करने का आरोप लगा था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड को नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं कहा जा सकता है, एक वैध मतदाता पहचान पत्र भारतीय नागरिकता साबित कर सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त लोक अभियोजक एससी लिंगायत ने पुलिस की ओर से दलील दी कि मुंबई पुलिस ने अदालत को सूचित किया था कि उसे मार्च 2017 में जानकारी मिली थी कि कुछ "बांग्लादेशी घुसपैठिए" मुंबई के रेई रोड पर रह रहे हैं। जांच से पता चला है कि बांग्लादेश में गरीबी और भुखमरी का सामना कर रहे आरोपियों ने बिना संबंधित दस्तावेजों के अनधिकृत मार्ग से भारत में प्रवेश किया। उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं, ।
अदालत ने उल्लेख किया कि अब्बास शेख ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासबुक, स्वास्थ्य कार्ड और राशन कार्ड जमा किया था, वहीं राबिया खातून ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जमा किया था। अदालत ने माना कि सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा जारी किए गए ये दस्तावेज साक्ष्य में स्वीकार्य हैं।
इससे पहले गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि एक चुनावी फोटो पहचान पत्र भारतीय नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं है। नागरिकता को सबूतों से साबित किया जाना चाहिए। साथ ही साथ अदालत ने यह भी कहा कि भूमि राजस्व प्राप्तियां, एक पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों का उपयोग नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति मनोजीत भुयन और न्यायमूर्ति पार्थिवज्योति साइका की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत के पहले के फैसले को दोहराया था, जिसमें मुनींद्र विश्वास द्वारा दायर असम के तिकुकिया जिले में एक विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी गई थी।