वोडाफोन-आइडिया ने केंद्र सरकार को एक ऐसा ऑफर दिया है जो शायद ही दुनिया में किसी कंपनी ने किसी सरकार को दिया होगा. यह ऑफर आइडिया कंपनी के विज्ञापन की कैचलाइन 'व्हाट एन आइडिया सरजी!' से भी मेल खाता है. कंपनी ने सरकार से कहा है कि वह एक रुपए का भुगतान करके उनकी कंपनी को खरीद सकती है.
कंपनी को पिछले एक दशक में दो लाख करोड़ का घाटा हुआ है और उसे 53,000 करोड़ का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया चुकाना है. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक उच्चतम न्यायालय में वोडाफोन-आइडिया का केस लड़ रहे मुकुल रोहतगी ने ही सरकार को यह ऑफर दिया है. उन्होंने दूरसंचार सचिव अंशू प्रकाश से टेलीफोन पर संपर्क साधा था. जाहिर है अगर कंपनी बकाया भुगतान नहीं कर सकी तो उसके 10,000 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ जाएगी. मुकुल रोहतगी से संपर्क की कोशिशें नाकाम रही हैं.
माना जा रहा है कि इसी टेलीफोन वार्ता के बाद वोडाफोन इंडिया के चेयरमैन आदित्य कुमारमंगलम बिड़ला ने पहले दूरसंचार विभाग के अधिकारियों और फिर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी.
आइए अब आपको बताते हैं ऑफर की वजह! उल्लेखनीय है कि बीएसएनल 4 जी स्पेक्ट्रम और नेटवर्क के लिए प्रयासरत है. ऐसे में वह एक रुपए में वोडाफोन के 30 करोड़ उपभोक्ता पा सकती है. बीएसएनल के 3 जी से 4 जी में जाने की कोशिशों में भी वोडाफोन-आइडिया का नेटवर्क उसे लाभ दे सकता है. माना जा रहा है कि एक रुपए में कंपनी का ऑफर इसी संदर्भ में दिया गया था. माना जा रहा है कि सरकार ने कंपनी को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया तो टेलीकॉम सेक्टर डूब जाएगा.
रोहतगी पिछले हफ्ते ही मीडिया से कह चुके हैं कि ऐसा हुआ तो टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी और केवल दो कंपनियां ही बचेंगी.
सुप्रीम कोर्ट की तत्काल भुगतान के लिए फटकार के बाद वोडाफोन-आइडिया ने पहले 2150 करोड़ का भुगतान किया था. बृहस्पतिवार को कंपनी ने और एक हजार करोड़ रुपए का बकाया भुगतान किया गया है. कंपनी चाहती है कि उसे बकाया के भुगतान के लिए 15 वर्ष का समय दिया जाए.
आपको बता दें कि दूरसंचार कंपनियों पर लाइसेंस शुल्क के रूप में 22589 करोड़ रुपए का बकाया है. जबकि ब्याज और जुर्माने के साथ कुल देनदारी 92641 करोड़ रुपए बैठती है. कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) में बड़ा हिस्सा लाइसेंस शुल्क का है. सरकार का यह बकाया दूरसंचार क्षेत्र में परिचालन करने वाली और गैर-परिचालन वाली दोनों तरह की कंपनियों के ऊपर जुलाई 2019 तक का है.