डिजिटल इंडिया मुहिम में वीएलई तैयार कर सकते हैं नए बाजार का चक्र: आईएसबी
By एसके गुप्ता | Updated: May 6, 2020 21:04 IST2020-05-06T20:58:17+5:302020-05-06T21:04:52+5:30
आईएसबी की कार्यकारी निदेशक एवं सूचना प्रणाली की प्रोफेसर दीपा मणि ने कहा कि उनके नेतृत्व मे आईएसबी के सेंटर एसआरआईटीएनई ने वीएलई कर्मचारियों के प्रशिक्षण, फंडिंग मॉडल, संचालन के घंटे और व्यापार प्रणाली पर अध्ययन किया है।

आईएसबी ने सीएससी के वीएलई मॉडल पर महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उडीसा और पश्चिमी बंगाल सहित दस राज्यों का अध्ययन किया है।
नई दिल्ली: देश में समावेशी विकास के साथ अर्थव्यवस्था को सुधारने और ग्रामीण क्षेत्रों में नए उत्पादों की पहुंच बढ़ाने में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के वीएलई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) ने सीएससी के वीएलई मॉडल पर महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उडीसा और पश्चिमी बंगाल सहित दस राज्यों का अध्ययन किया है।
इस अध्ययन में पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 2.5 लाख से अधिक सीएससी चलाने वाले ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) केंद्र की डिजिटल इंडिया मुहिमा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन्हें डिजिटल रूप से साक्षर बनाकर भारत वीएलई की मदद से विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के बारे में ग्रामीण लोगों को जागरूक कर एक नए बाजार का चक्र तैयार कर सकता है।
आईएसबी की कार्यकारी निदेशक एवं सूचना प्रणाली की प्रोफेसर दीपा मणि ने कहा कि उनके नेतृत्व मे आईएसबी के सेंटर एसआरआईटीएनई ने वीएलई कर्मचारियों के प्रशिक्षण, फंडिंग मॉडल, संचालन के घंटे और व्यापार प्रणाली पर अध्ययन किया है।
इसमें यह पता चला है कि वीएलई सकारात्मक प्रेरणा के साथ समय प्रबंधन और व्यापार कौशलता में दक्ष हैं। जरूरत है तो इन्हें बेहतर निवेश करके सही प्रशिक्षण और अवसर उपलब्ध कराने की। जिससे इनके आत्म-विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव न पडे। अध्ययन के आधार पर सरकार से सिफारिश की गई है कि वह वीएलई के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा दे। लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस रोजगार से जुड़ने के अवसर दिए जाएं। जिसमें इंटरनेट क्नेक्टिविटी की मुख्य भूमिका है।
सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. दिनेश त्यागी ने कहा कि अध्ययन के नतीजों और सिफारिशों के मद्देनजर आईएसबी में एसआरआईटीएनई दो कार्यक्रमों को डिजाइन करेगी। इन पाठ्यक्रमों का प्रभाव और मूल्यांकन बाद में किया जाएगा।