Vizag Gas Leak: एम्स निदेशक बोले- ‘स्टाइरीन गैस’ बहुत लंबे समय तक नहीं रहती, 1984 का भोपाल हादसा अलग था

By भाषा | Published: May 7, 2020 07:12 PM2020-05-07T19:12:44+5:302020-05-07T19:12:44+5:30

विशाखापट्टनम की घटना स्टाइरिन गैस लीकेज की घटना है जो प्लाटिक का कच्चा माल है। ये फैक्ट्री लॉकडाउन के बाद खुली थी, लगता है रीस्टार्ट होने के क्रम में गैस लीक हुई है। आसपास के गांव प्रभावित हुए हैं।

Vizag Gas Leak AIIMS Director 'styrene gas' last very long 1984 Bhopal incident different | Vizag Gas Leak: एम्स निदेशक बोले- ‘स्टाइरीन गैस’ बहुत लंबे समय तक नहीं रहती, 1984 का भोपाल हादसा अलग था

डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘‘गैस बहुत लंबे समय तक नहीं रहती है। (photo-ani)

Highlightsविशाखापट्टनम में एक रसायन फैक्टरी से स्टाइरीन गैस का रिसाव होने से 11 लोगों की मौत हो गई और 1,000 अन्य इससे प्रभावित हो गये।डॉ गुलेरिया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि काफी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

नई दिल्लीः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक रसायन फैक्टरी से लीक हुए ‘स्टाइरीन गैस’ के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव की संभावना कम है।

इसके अलावा, इस गैस से होने वाली बीमारी भी हर मामले में घातक नहीं है। एम्स निदेशक ने कहा कि जहां तक उपचार की बात है, इस यौगिक (स्टाइरीन गैस) के प्रभाव को खत्म करने के लिये कोई ‘एंटीडॉट’ (काट) या निश्चित दवाई नहीं है। हालांकि, इलाज से फायदा होता रहा है।

बृहस्पतिवार तड़के विशाखापट्टनम में एक रसायन फैक्टरी से स्टाइरीन गैस का रिसाव होने से 11 लोगों की मौत हो गई और 1,000 अन्य इससे प्रभावित हो गये। यह गैस तेजी से पांच किमी के दायरे में मौजूद गांवों में भी फैल गयी। डॉ गुलेरिया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि काफी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनमें से ज्यादातर लोगों की हालत स्थिर है और उम्मीद है कि उनके स्वास्थ्य में अच्छा सुधार होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या भोपाल गैस त्रासदी की तरह ही इस गैस का प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है, डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘‘गैस बहुत लंबे समय तक नहीं रहती है।

(लोगों के स्वास्थ्य पर) इसके दीर्घकालिक प्रभाव की संभावना कम है क्योंकि इस यौगिक को शरीर शीघ्रता से बाहर निकाल देता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ‘क्रोनिक (पुराने) एक्सपोजर’ की जगह ‘एक्यूट (तीव्र) एक्सपोजर’ है। लेकिन हमें इस पर नजर रखनी होगी। फिलहाल, डेटा किसी दीर्घकालिक प्रभाव की ओर संकेत नहीं कर रहे हैं।’’

एम्स निदेशक ने कहा कि जो लोग गैस रिसाव मुख्य केंद्र के करीब थे उन पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा कि आस-पास के इलाकों में घर-घर जाकर यह पता लगाने की कोशिश शुरू की गई है कि कहीं किसी व्यक्ति को गैस रिसाव के चलते स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी तो नहीं है। गुलेरिया ने कहा कि स्टाइरीन के सांस के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश करने और इसके अंतरग्रहण से त्वचा और आंखों पर प्रभाव पड़ता है।

इस यौगिक के शरीर में प्रवेश करने से सिर दर्द, उल्टी और थकान महसूस होती है। लोगों को चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है और कभी-कभी वे गिर भी सकते हैं। इससे अधिक प्रभावित होने पर व्यक्ति कोमा तक में जा सकता है और उसकी हृदय गति बढ़ सकती है। एम्स निदेशक ने कहा कि इसका त्वचा पर खुजली होने और कुछ हद तक चकत्ते पड़ने जैसे हल्के प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि पहली चीज तो यह करनी होगी कि प्रभावित इलाकों से लोगों को हटाया जाए, जैसा कि तत्परता से किया गया।

डॉ गुलेरिया ने कहा कि आंखों को पानी से धोना जरूरी है। त्वचा को पोंछने के लिये टिशू या तौलिये का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘सांस लेने में परेशानी का सामना करने वाले लोगों की निगरानी करनी होगी क्योंकि यह यौगिक फेफड़ा और मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उपचार की मुख्य रणनीति यह होनी चाहिए कि सांस लेने में परेशानी महसूस करने वाले लोगों की निगरानी की जाए। इनमें से कुछ रोगियों को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ेगी।

कई लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत होगी और उनकी ऑक्सीजन जरूरत, श्वसन दर, सीएनएस डिप्रेशन (चक्कर आदि बेहोशी की हालत, जिसमें तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है और हालत बिगड़ने पर मरीज कोमा में जा सकता है) आदि के संदर्भ में निगरानी की जा सकती है।’’ वहीं, संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि फैक्टरी से रिसाव की मात्रा अब बहुत कम हो गई है लेकिन बल के कर्मी इसे पूरी तरह से बंद किये जाने तक मौके पर मौजूद रहेंगे। 

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