भय्यू महाराज: कैसे भूलेंगे वो प्यारी मुस्कान?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 13, 2018 07:16 AM2018-06-13T07:16:05+5:302018-06-13T07:16:05+5:30
49 वर्षीय भय्यू महाराज ने मंगलवार (12 जून) को अपने आवास पर सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
विकास मिश्रा
मेरी आँखों के सामने तो बस भय्यू महाराज की वो प्यारी मुस्कान तैर रही है जो हर किसी को अपना बना लेती थी।
उनका सानिध्य मुझे खूब मिला और कई लंबी यात्राएं भी उनके साथ की। वे बड़ी तेज रफ्तार गाड़ी चलाते थे। इतनी तेज कि साथ बैठे व्यक्ति की जान सूखने लगे।
पहली यात्रा में जब मैंने कहा कि आप इतनी रफ्तार में गाड़ी क्यों चलाते हैं तो उन्होंने कहा था- "दादा भाई जिंदगी छोटी है और काम बहुत है।"
नागपुर आ जाने के बाद उनसे मुलाकातें कम हो गई थीं लेकिन संवाद अटूट रहा। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या को लेकर बेचैन रहते थे। वो चाहते थे कि हर व्यक्ति खुशहाल रहे।
इंदौर के उनके आश्रम में हर रोज हजारों लोग अपनी समस्याएं लेकर आते थे। वे हर किसी से मिलते, समस्याएं सुनते, निदान सुझाते। कुछ आध्यात्मिक और कुछ व्यवहारिक।
चेहरा पढ़ लेने की अदभुत क्षमता थी उनमें। वे कुछ ऐसा बता देते कि सामने वाला अचंभित रह जाए। मैं नही जानता कि ऐसा वे कैसे कर पाते थे लेकिन इतना कह सकता हूँ कि वे अदभुत प्रतिभा के धनी थे। इसीलिए तो उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी!
किसी पर नाराज होते नहीं देखा उन्हें। वे तो बस मोहब्बत बांटने आए थे। उनकी मौत ने मुझे भीतर तक हिला दिया है। तब से यही सोच रहा हूँ कि दूसरों की समस्याएं सुलझाने वाले भय्यू महाराज कौन सी ऐसी समस्या में उलझ गए कि जिंदगी बेगानी हो गई?
पहली पत्नी की मौत के बाद हमने उन्हें टूटते देखा था। उनकी चिंता थी कि बिटिया कुहू को मां का प्यार कैसे मिलेगा? उन्होंने दूसरी शादी कि तो ऐसा लगा कि जिंदगी पटरी पर लौट आई है।
आज खबर आई कि उन्होंने खुद को गोली मार ली है तो पहला सवाल मन में यही उठा कि जो शख्स दूसरों की जिंदगी रोशन कर रहा था उसने अपनी जिंदगी क्यों समाप्त कर ली?
हम जिस भय्यू महाराज को जानते रहे हैं वह तो मैदान जीतने वाला मजबूत शख्स था...!
(लेखक लोकमत समाचार के संपादक हैं।)