युद्ध बंदियों के बदले पाकिस्तान से पीओके वापस न लेकर इंदिरा गांधी ने की बहुत बड़ी भूल: हरियाणा के मंत्री अनिल विज
By विशाल कुमार | Published: December 16, 2021 01:31 PM2021-12-16T13:31:08+5:302021-12-16T13:35:16+5:30
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर पर्याप्त सौदेबाजी नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए कह सकता था।
नई दिल्ली: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर 1972 में तत्कालीन पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पर्याप्त सौदेबाजी नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए कह सकता था।
अनिल विज का बयान ऐसे दिन आया है जब देश पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में विजय दिवस की स्वर्ण जयंती मना रहा है।
विज ने ट्वीट कर लिखा कि 1971 में युद्ध के मैदान में सैनिकों द्वारा जीती गई जंग राजनेताओं ने शिमला एग्रीमेंट में टेबल पर हारी। हमारे पास 93000 युद्ध बंदी थे अगर हम चाहते तो उनको छोड़ने के बदले में हम पीओके ले सकते थे लेकिन हमने कोई बारगेन नहीं की । यह बहुत बड़ी भूल थी जिसे हम आज तक भुगत रहे हैं।
1971 के युद्ध के बाद इंदिरा गांधी और भुट्टो के बीच 2 जुलाई, 1972 को हस्ताक्षरित शिमला समझौते में, सैनिकों की वापसी और युद्धबंदियों के आदान-प्रदान पर परस्पर सहमति बनी थी।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों के लिए एक व्यापक खाका था। शिमला समझौते के तहत, दोनों देशों ने संघर्ष और टकराव को दूर करने और स्थायी शांति, दोस्ती और सहयोग की स्थापना की दिशा में काम करने का बीड़ा उठाया।