आखिर क्यों इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट पहुँचा पंचायत चुनाव का मसला?

By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 10, 2018 08:05 AM2018-04-10T08:05:53+5:302018-04-10T08:05:53+5:30

पश्चिम बंगाल में 1, 3 और 5 मई को पंचायत चुनाव होने हैं। राज्य में हिंसा भड़की हुई है। राजनीतिक दल एक दूसरे पर राजनीतिक हिंसा करवाने का आरोप लगा रहे हैं।

Vigilance of West Bengal's Panchayat elections due to BJP or TMC | आखिर क्यों इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट पहुँचा पंचायत चुनाव का मसला?

आखिर क्यों इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट पहुँचा पंचायत चुनाव का मसला?

Highlightsबंगाल में राजनीति से प्रेरित हिंसा हो रही हैबीजेपी का आरोप- टीएमसी के गुंडे हमारे कार्यकर्ताओं को मार रहे हैंटीएमसी का आरोप- बीजेपी योजनाबद्ध तरीके से जनता को भरमा रही है

स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के नामांकन तारीखों को आगे बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 अप्रैल) को सुनवाई कर चुनावी प्रकिया में कोई दखलअंदाजी करने से इंकार कर दिया। जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, 'हमने चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन सभी उम्मीदवारों को जरूरी राहत के लिए राज्य निर्वाचन आयोग जाने की आजादी दी है।'

पश्चिम बंगाल में वर्तमान स्थिति

पश्चिम बंगाल इस वक्त जल रहा है। एक स्‍‌थानीय सूत्र के मुताबिक बीते एक महीने में दर्जन भर से ज्यादा जगहों पर आगजनी, मार-काट मची हुई है। इन घटनाओं में शामिल लोग राजनैतिक पार्टियों के नाम लेते हैं। इनमें प्रमुख तौर दो पार्टियों के नाम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) गूंज रहे हैं।

स्‍थानीय सूत्र के अनुसार सोमवार को भी बांकुरा, पाकुड़ा, दुर्गापुर, बस्टलान, पुरुलिया जैसी जगहों में राजनीति से प्रेरित झड़पें हुईं। इनमें दुर्गापुर में एक शख्स का हाथ पर तेज धार हथियार से हमला हुआ, लेकिन वह बाल-बाल बच गया। तुफानगंज में भी मारपीट की खबरें आईं। जबकि अलग-अलग जिलों में नामांकन दाखिल करने वाले कार्यालय के इर्द-गिर्द बदमाश लाठी-डंडा लिए दिखाई दिए।

जगह-जगह बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मोर्चा बनाकर सत्तारूढ़ टीएमसी पर हमला कराने, नामांकन दाखिल कराने में रोड़ा डालने, गुंडे भेजने के आरोप लगाए। साथ ही लॉ एंड ऑर्डर को गुंडों के हाथों देने और टीएमसी पर ऑर्गनाइज्ड क्राइम के आरोप लगाए गए।

जबकि टीएमसी का कहना है कि अगर वे नामांकन प्रक्रिया को प्रभावित करते तो विपक्ष के उम्मीदवारों की संख्या उनके उम्मीदवारों से ज्यादा कैसे होती? उन्होंने बीजेपी पर योजनाबद्ध तरीके से जनता को भरमाने और हिंसा भड़काने के आरोप लगाए।

पश्चिम बंगाल में घट रही घटनाओं की पृष्ठभूमि क्या है?

हाल ही में ‌त्रिपुरा चुनावों में बीजेपी ने इतिहास रचा। आजादी के बाद पहली बार त्रिपुरा में कमल खिला। इसके लिए बीजेपी ने क्या किया, यह खुद उनके प्रचार का जिम्मा उठाने वाले सुनील देवधर ने साझा किया था।

करीब डेढ़ साल पहले जब हमारी आदिवाासी इलाके में ताकत बढ़ने लगी तब सीपीएम के लोगों ने हमारे एक प्रमुख कार्यकर्ता चंद्र मोहन की हत्या करा दी। हमने इसका कड़ा विरोध किया। हमने उसकी चिता की राख लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन किया। तब एक दिन में 42,000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। त्रिपुरा के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इस घटना के बाद बड़े पैमाने पर सीपीएम के विरोध और बीजेपी के समर्थन में लोग आए -  स्वराज्य को ‌दिया गया देवधर का बयान

इसके बाद त्रिपुरा जीत पर बीजेपी हेड क्वॉर्टर से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा- मैं आंख में आंसू भरकर उन कार्यकर्ताओं को नमन करता हूं, जिन्होंने बीजेपी के लिए जान दी। इसी मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुखता अपने अध्यक्ष के इस वक्तव्य को ना केवल दोहराया बल्कि बोले कि मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने कार्यकर्ताओं की कुर्बानी को इस तरह से याद किया।

इसके बाद राम नवमी पर पश्चिम बंगाल में बीजेपी व हिन्दू धर्म पर राजनीति खेलने वाले समर्थक तलवार लेकर सड़कों पर उतरे। जगह-जगह हिंसा हुई। तब फिर से बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बोले- साल 2019 में बंगाल से बीजेपी 20 सीटें जीतने जा रही है। उल्लेखनीय है कि साल 2014 में देशभर में मोदी लहर होने के बावजूद पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में बीजेपी 2 सीटें ही जीत पाई थी। जबकि टीएमसी ने 34 सीटें जीती थीं।

किस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव

बीते छह अप्रैल को न्यूज एजेंसी एएनआई और इंडिया टुडे ने एक घटना के वीडियो जारी किए। वीडियो में कुछ लोग एक गाड़ी में बैठे शख्स को नीचे उतारकर पीटते दिखाई रहे हैं। यह वीडियो पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले का बताया गया। वीडियो में मार खाता दिख रहा आदमी भगवा कुर्ती पहने था। कुछ अन्य माध्यमों ने बताया कि इस घटना में बीजेपी का कार्यकर्ता अजीत मुर्मु बुरी तरह से घायल हुआ है। बाद में बांकुरा मेडिकल कॉलेज में उसकी मौत हो गई।

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सोशल मीडिया में इसे राजनैतिक झड़प बताया। कहा गया कि वीडियो में शख्स को पीटते दिख रहे लोग गुंडे थे, जिन्हें सत्तारूढ़ टीएमसी ने भेजे थे। तृणमूल ने बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या इसलिए कराई, क्योंकि वह पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दालिख कराने जा रहा था। लेकिन टीएमसी नहीं चाहती कि बीजेपी के उम्मीदवार मैदान में उतर पाएं।



घटना के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध जताने के लिए जगह-जगह चक्का जाम किए। साथ ही राज्यपाल केएन त्रिपाठी से राजभवन में मुलाकात कर टीएमसी के खिलाफ शिकायत की। इस दौरान राज्यपाल त्रिपाठी ने कहा, 'राज्यपाल राज्य के लोगों का संरक्षक होता है और वह राज्य में घटित चीजों पर संज्ञान ले सकते हैं'। इसके बाद राज्यपाल ने राज्य इलेक्‍शन कमीश्नर अमरिंदर कुमार सिंह को तलब कर उनसे मामले प्रभावशाली कार्रवाई करने को कहा। लेकिन बीजेपी को यह नाकाफी लगा वह इसे सीधे सुप्रीम कोर्ट में ले आई।

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव पर बीजेपी का पक्ष

नामांकन को आगे बढ़वाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल बीजेपी का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा- पश्चिम बंगाल में 'लोकतंत्र की हत्या की जा रही है।' उम्मीदवारों को उनके नामांकन पत्र तक दाखिल नहीं करने दिए जा रहे हैं और बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है।

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रोहतगी ने आगे जोड़ा, 'पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में ठीक ऐसी ही शिकायत की है। उनके उम्मीदवारों को भी नामांकन नहीं भरने दिया जा रहा है। ऐसे मौके कम आते हैं जब बीजेपी और कांग्रेस किसी मुद्दे पर एक साथ हों। पर पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा ने दोनों को साथ आने पर मजबूर कर दिया है। कोर्ट को चाहिए कि केंद्र सरकार को निर्देश देकर वहां अर्द्धसैनिक बल तैनात करें।'

रोहतगी की बात को केंद्र की ओर से नियुक्त अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने आगे बढ़ाते हुए कहा, 'राज्य निर्वाचन आयोग के अनुरोध या कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार वहां अर्द्धसैनिक बल तैनात कर सकती है।' लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये दलीलें खारिज कर दीं।

बीजेपी ने यह भी आरोप लगाए थे पश्चिम बंगाल में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नियुक्त सहायक पंचायत चुनाव पंजीकरण अधिकारी बीजेपी के उम्मीदवारों को नामांकन के फॉर्म नहीं दे रहे हैं। जबकि पंचायत चुनाव के फॉर्म फिलहाल ऑनलाइन उपलब्‍ध नहीं हैं।

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव पर टीएमसी का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में टीएमसी के खिलाफ डाली गई याचिका में पश्चिम बंगाल का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में बीजेपी आधारहीन पार्टी है। वे इन दिनों प्रदेश में अपने लिए जमीन ढूंढ़ रहे हैं। यह याचिका उसी क्रम में महज सुर्खियां बटोरने और साख बढ़ाने के लिए डाली गई थी।'

सिंघवी के अनुसार, 'पंचायत चुनाव को लेकर हुए नामांकन में बीजेपी के नामांकन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बनिस्पत ज्यादा हैं। और अगर बीजेपी को ऐसी कोई शिकायत आ भी रही थी तो उन्हें चुनाव आयोग और कलकत्ता हाई कोर्ट जाना चाहिए था। इस खास बात को लेकर अभी किसी बीजेपी के अपने किसी उम्मीदवार ने शिकायत नहीं की है। यह याचिका महज एक योजना का हिस्सा थी'।

साथ ही टीएमसी का आरोप है कि प्रदेश का राजभवन यानी कि राज्यपाल की ओर से की जाने वाली कार्रवाइयां ऐसी हैं, जैसे वे 'एक राजनीतिक पार्टी की एक इकाई हों’। टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी के अुनसार, 'जिस तरह से राजभवन एकतरफा सूचनाओं पर भरोसा करके, दूसरों के पक्ष जाने बगैर एकतरफा ढंग से काम कर रहा है, ऐसा लगता है कि यह एक राजनीतिक दल की इकाई के रूप में काम कर रहा है।'

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इतना ही नहीं टीएमसी का कहना है कि वे नहीं बल्कि बीजेपी के लोग नामांकन प्रकिया को प्रभावित कर रहे हैं। टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी लोगों को उकसाकर, डरा-धमका कर जबरन चुनाव में डमी व बोगस उम्मीदवार लाने का भरसक प्रयास कर रही है। 

कब है पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव

पश्चिम बंगाल में आगामी 1, 3 और 5 मई को 70 हजार मतदान बूथों पर पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। जबकि मतगणना 8 मई को होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 9 अप्रैल थी। जिसे आगे बढ़ाने जाने को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया। ऐसे में अब भरे गए पर्चों की जांच 11 अप्रैल तक होगी। प्रदेश में अभी से राज्य चुनाव आयोग ने अच्छी-खासी चौकसी कर रखी है। केंद्र की तरफ से यहां अर्धसैनिक बलों व सुरक्षा बलों की तैनाती भी किए जाने की संभावना है।

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