पटना विश्वविद्यालय के पुस्तकालय शताब्दी समारोह में पहुंचे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, कहा- मां और मातृभाषा से कोई बड़ा नहीं
By एस पी सिन्हा | Published: August 4, 2019 07:34 PM2019-08-04T19:34:26+5:302019-08-04T19:34:26+5:30
उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि देश में बिहार का महत्व अग्रणी है. उन्होंने अपने संबोधन में सभी से कहा कि अपनी मातृभाषा को बचाओ
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पटना में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पटना प्रवास पर रहे. इस दौरान उन्होंने यहां विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया. उपराष्ट्रपति पटना एयरपोर्ट से सीधे पटना विश्वविद्यालय में आयोजित शताब्दी समारोह कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने छात्रों को पुस्तक और पुस्तकालय के महत्व को बताया.
उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि देश में बिहार का महत्व अग्रणी है. उन्होंने अपने संबोधन में सभी से कहा कि अपनी मातृभाषा को बचाओ. कोई भी कितना भी बडा हो, मां और मातृभाषा से बडा नहीं है, चाहे हो मुख्यमंत्री हो राष्ट्रपति हो या कोई भी.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम सभी भारतीय हैं. उसके बाद ही हम हिंदू-मुसलमान होंगे, भेदभाव नहीं आपसी एकता जरूरी है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी सीखने से पहले आप आप अपनी मातृभाषा को सीखें. उन्होंने पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के मामले पर कहा कि मैंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात की है.
पीयू से जुडे दस्तावेज लेकर मेरे पास आएं, जो भी मैं पर्सनली कर सकता हूं, वह करूंगा. उन्होंन जोर देकर कहा कि पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने की कोशिश करूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि पॉलिटक्स से मैं अलग हो चुका हूं, लेकिन पॉलिसी के लिए फोर सी (4 सी) बहुत जरूरी है. उन्होंने इसे परिभाषित करते हुए कहा कि फोर सी में कैरेक्टर, कैलिबर, कैपेसिटी और कंडक्टर बहुत जरूरी है. लेकिन, ये चारों चीजें आज पॉलिटिक्स से गायब हो गई हैं. इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके राज्य सरकार केंद्र को भेजे. इसके बाद मैं अपने स्तर से इसमें रुचि लेकर इसके लिए जो उचित होगा, उस पर विचार करूंगा और वह करूंगा. उन्होंने कहा कि वे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को बुलाकर, इस मसले पर बात करेंगे. इसके लिए क्या प्रावधान है, उस पर बात करके आगे की प्रक्रिया की जायेगी. संवैधानिक तौर पर देश के दूसरे प्रमुख होने के नाते मुझसे जो बन सकेगा इसके लिए, वह अवश्य करूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि यहां के केंद्रीय लाइब्रेरी के लिए राज्यपाल से प्रस्ताव भेजे कि क्या-क्या बेहतर हो सकता है? इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री से बात करेंगे. इसके लिए जो भी बेहतरीन होगा, वह करेंगे. उन्होंने वीसी राय, अनुग्रह नारायण सिंह समेत कई लोगों का नाम लेते हुए कहा कि पटना विश्वविद्यालय से कई महान हस्तियां ने ज्ञान अर्जन किया है. इसमें केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत अन्य भी शामिल हैं, जिनकी देश की राजनीति में उल्लेखनीय योगदान है.
वेंकैया नायडू के संबोधन के दौरान विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने हाथों में पोस्टर लेकर पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने को लेकर नारेबाजी भी की. उपराष्ट्रपति ने कहा कि जिस समय इस विश्वविद्यालय में 1974 के दौरान छात्रों आंदोलन की रूप-रेखा बन रही थी. उसी दौरान वे भी आंध्र विश्वविद्यालय में बतौर छात्र नेता आंदोलन की तैयारी कर रहे थे. इसमें वे जेल भी गये थे.
उपराष्ट्रपति ने पुस्तक और ज्ञानार्जन को आज के डिजिटल युग में भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि आज गूगल का जमाना है, लेकिन इसको चलाने के लिए भी गुरु चाहिए. वह गुरु पुस्तकें हैं. आम लोगों से कहा कि चार-सी के आधार पर ही किसी नेता का चयन कर वोट करें. इसमें कैरेक्टर (चरित्र), कैलिबर (क्षमता), कंडक्ट (बरताव) और कैपेसिटी (योग्यता) शामिल हैं.
परंतु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल लोग दूसरे चार-सी यानी कैश (मुद्रा), कास्ट (जाति), कॉम्यूनलिटी (संप्रदायिकता) और क्रिमिनलिटी (अपराध) पर ज्यादा ध्यान देते हैं. पहली वाली चार-सी पुस्तकों से ही मिलेंगी. उन्होंने बिहार की कई स्तर पर प्रशंसा करते हुए कहा कि यह ज्ञान और अध्यात्म की भूमि है. चाणक्य, कौटल्य समेत अन्य हस्तियां यहीं की हैं.
उल्लेखनीय है कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिलने से आहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दर्द एक बार फिर छलक उठा था. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की मौजूदगी में मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि हमने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग की थी, लेकिन हमारी मांग को खारिज कर दिया गया.
लिहाजा एतिहासिक पटना विश्वविद्यालय को आज तक केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं मिल सका है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अगर पटना यूनिवर्सिटी को अपना लेती तो आज यह एशिया स्तर का बन जाता. बिहार सरकार को जितना फंड देना होगा, प्रदेश उसके लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि आज राज्यपाल यानि चांसलर साहब भी बैठे हैं, हम चाहेंगे कि पुस्तकालय की सभी किताबें सुरक्षित रहें. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो पुस्तक लाइब्रेरी में हैं उसके प्रति छात्रों को जानकारी देनी होगी. पीयू को आगे बढाने में अगर उपराष्ट्रपति जी और राज्यपाल साथ हो गए तो पीयू का सपना साकार हो जाएगा.
यहां बता दें कि पटना विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की स्थापना के 100 साल पूरे हो गये हैं जिसे लेकर शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शामिल होने आए. इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब पटना विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में पटना आए थे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे मंच पर ही आग्रह किया था कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि मैं पटना यूनिवर्सिटी को उससे आगे ले जाना चाहता हूं. तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार के पास देशभर की 10 प्राइवेट और 10 पब्लिक यूनिवर्सिटी को विश्व स्तरीय बनाने की योजना है और पटना यूनिवर्सिटी भी इस योजना के साथ जु्डेगा.
पटना विश्वविद्यालय पुस्तकालय के शताब्दी वर्ष (1919-2019) समारोह का शुभारंभ आज उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू द्वारा किया गया. इसके लिए लाइब्रेरी में रखी दुर्लभ पांडुलिपियों, सिक्कों, पुस्तकों को संवारा गया था. समारोह के लिए लाइब्रेरी भवन को सजा-धजा कर तैयार किया था. उपराष्ट्रपति सेंट्रल लाइब्रेरी के भ्रमण के बाद पटना साइंस कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए.
उल्लेखनीय है कि पटना विश्वविद्यालय के स्थापना के लगभग दो साल बाद बिहार एवं उडीसा के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर ने पुस्तकों की खरीद के लिए कुछ हजार रुपये उपलब्ध कराये थे. इसी राशि से 24 सितंबर, 1919 को इस पुस्तकालय की स्थापना हुई थी. 1932 में लाइब्रेरी के तीनों खंड बनकर तैयार हुए थे.
पहले खंड को जनरल लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था. इसमें शिक्षक, छात्र और रजिस्टर्ड स्नातक को ही प्रवेश दिया जाता था. दूसरे खंड में बेली मेमोरियल कलेक्शन के लिए था. यहां शिक्षक और छात्रों के साथ-साथ आम जन भी पुस्तक प्राप्त कर सकते थे. तीसरा खंड विशेष इकोनॉमिक्स कलेक्शन के नाम से जाना जाता था.
वर्तमान में इस लाइब्रेरी में पुस्तकों के अतिरिक्त 15 हजार जर्नल, 25 हजार से अधिक पीएचडी थिसिस, 5763 दुर्लभ पांडुलिपि लाइब्रेरी में हैं. मैथिली, बांग्ला, अवधी, तमिल, संस्कृत, चाइनीज, तिब्बती, उडीया, देवनागरी, नेपाली, अरबी, परसियन, उर्दू साहित्य के दुर्लभ संग्रह हैं. वर्तमान परिसर में 1958 में शिफ्ट हुई लाइब्रेरी लाइब्रेरी के वर्तमान भवन का उद्घाटन 17 दिसंबर, 1958 को हुआ था. इसके बाद लाइब्रेरी को नया रूप 2017 में दिया गया.