हरिद्वार धर्मसंसद में शामिल संतों पर लगे भड़काऊ भाषण देने के आरोप, वायरल हो रहे हैं वीडियो
By आजाद खान | Updated: December 23, 2021 17:53 IST2021-12-23T17:17:26+5:302021-12-23T17:53:19+5:30
टीएमसी नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है। हालांकि अब तक केस दर्ज नहीं हुआ है।

हरिद्वार धर्मसंसद में शामिल संतों पर लगे भड़काऊ भाषण देने के आरोप, वायरल हो रहे हैं वीडियो
भारत: उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित एक धर्म संसद में कथित तौर पर हिंसा का समर्थन करने, 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष और खुलेआम कुछ लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली बातें कहने पर विवाद खड़ा हो गया है। इसका एक वीडियो वायरल होने पर इसको लेकर टीएमसी नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है।
वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक कई लोगों ने इस पर कड़ा एतराज जताया है और कार्रवाई की मांग की है। विरोध करने वालों में पूर्व सेना प्रमुख, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रसिद्ध चेक-अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा भी शामिल हैं। एनडीटीवी ने वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है।
I've filed a complaint with SHO, Jwalapur PS in Haridwar against the #HaridwarHateAssembly conducted from 17th-20th December at Ved Niketan Dham.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) December 23, 2021
Failing the registration of an FIR against the organizers & speakers in 24 hrs, a plaint shall be made to the Judicial Magistrate. https://t.co/hnUdNiurvepic.twitter.com/Xgv6FCu3ZM
आयोजकों पर पहले भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं
पिछले सोमवार को खत्म हुए इस कार्यक्रम का आयोजन धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद ने किया था। उनके भाषणों और विचारों को लेकर पहले भी उन पर आरोप लगते रहे हैं। कार्यक्रम में हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी, बीजेपी महिला विंग की लीडर उदिता त्यागी और बीजेपी लीडर अश्विनी उपाध्याय भी शामिल रहे।
भाषण में नाथूराम गोडसे का समर्थन किया गया है
बताया जा रहा है कि वीडियो में एक वक्ता का कहना है कि, "देश का संविधान को गलत है और भारतीयों को नाथूराम गोडसे की प्रार्थना करनी चाहिए।" इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ भी अपमानजनक बातें बोले हैं। इसको लेकर पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने जवाब दिया: "सहमत। इस तरह के भाषण सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। नागरिक प्रशासन द्वारा आवश्यक कार्रवाई हो।"