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Uttarakhand: आठ घंटे तक लाश लेकर 25 km तक पैदल चले ITBP जवान, परिवार को शव सौंपा, देखें वीडियो

By भाषा | Updated: September 2, 2020 17:40 IST

आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ बल के जवानों ने 30 वर्षीय व्यक्ति का शव लेकर करीब आठ घंटे में 25 किलोमीटर की दूरी तय की और मृतक के परिजन को सौंप दिया।’’

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ठळक मुद्देटट्टू चालक का शव बरामद करने के बाद करीब आठ घंटे तक पैदल पहाड़ी इलाके में 25 किलोमीटर की यात्रा कर मृतक के परिवार को शव सौंप दिया।बल की 14वीं बटालियन को पिथौरागढ़ जिले में बुगदयार के सियूनी गांव में एक शव के पड़े होने की जानकारी मिली थी। कर्मियों ने शव को स्ट्रेचर पर रखा था और वे संकरे पहाड़ी रास्तों से ऐसे समय गुजरे जब भारी बारिश होने के साथ ही भूस्खलन की घटनाएं हो रही थी। 

नई दिल्लीः  भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक टीम ने एक टट्टू चालक का शव बरामद करने के बाद करीब आठ घंटे तक पैदल पहाड़ी इलाके में 25 किलोमीटर की यात्रा कर मृतक के परिवार को शव सौंप दिया।

अधिकारियों ने बताया कि यह सफर 30 अगस्त को पूरा हुआ। दरअसल सीमा की रक्षा करने वाले इस बल की 14वीं बटालियन को पिथौरागढ़ जिले में बुगदयार के सियूनी गांव में एक शव के पड़े होने की जानकारी मिली थी। आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ बल के जवानों ने 30 वर्षीय व्यक्ति का शव लेकर करीब आठ घंटे में 25 किलोमीटर की दूरी तय की और मृतक के परिजन को सौंप दिया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘ आठ कर्मियों के इस दल ने सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर यह यात्रा शुरू की और वे उसी दिन शाम सात बजकर 30 मिनट पर मुनसियारी गांव पहुंच गए।’’ उन्होंने बताया कि कर्मियों ने शव को स्ट्रेचर पर रखा था और वे संकरे पहाड़ी रास्तों से ऐसे समय गुजरे जब भारी बारिश होने के साथ ही भूस्खलन की घटनाएं हो रही थी। 

पिछले महीने एक घायल महिला को 40 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने एक पोर्टर के शव को कंधों पर लादकर विषम पहाड़ूी का सफर पैदल तय करते हुए उसे अंतिम संस्कार के लिए उसके गांव तक पहुंचाकर मानवता की एक और मिसाल पेश की है।

गत 28 अगस्त को भूपेंद्र सिंह राणा (30) की भूस्खलन के दौरान पहाड़ी से गिरी एक चट्टान की चपेट में आकर मौत हो गई थी। राणा के शव को खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर के जरिए उसके गांव तक नहीं पहुंचाया जा सकता था। आईटीबीपी के एक अधिकारी बलजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘हमारे जवानों ने विषम पहाड़ी रास्तों के जरिए शव को ले जाने की चुनौती ली और इसके लिए उन्होंने 36 किलोमीटर का रास्ता तय करते हुए उसे उसके गांव मवानी-दवानी तक ले गये।’’

क्षेत्र के ग्रामीणों के अनुसार, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि आईटीबीपी उनकी मदद के लिए आगे आयी है। कुछ दिन पहले भी 22 अगस्त को आईटीबीपी के जवानो ने मल्ला जोहार गांव की एक घायल महिला को 40 किलोमीटर दूर मुनस्यारी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए 15 घंटे तक दुरुह पहाड़ी का रास्ता तय किया था।

व्यास घाटी के ग्रामीणों ने बताया कि राशन आपूर्ति बाधित होने पर आईटीबीपी न केवल स्थानीय लोगों को राशन उपलब्ध कराते है बल्कि क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों को भी खाना और आश्रय देते हैं। धारचूला के उपजिलाधिकारी ए के शुक्ला ने पिछले साल की एक घटना को याद करते हुए बताया कि कैलाश—मानसरोवर यात्रा के एक श्रद्धालु की नाभीढांग में मृत्यु हो गयी थी और तब उसके शव को धारचूला तक पहुंचाने में आईटीबीपी ही आगे आई थी।

भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की टीम ने कोविड-19 के दौरान हिमालय की एक चोटी फतह की

भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक पर्वतारोही दल ने हिमाचल प्रदेश में 22000 फुट से अधिक ऊंची चोटी को फतह किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान यह ऐसा पहला अभियान है। आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने बताया कि पर्वतीय युद्धाभ्यास में प्रशिक्षित सीमा प्रहरी बल की 16 सदस्यीय टीम दो जत्थों में 31 अगस्त और एक सितंबर को लियो पारगिल चोटी पर पहुंची।

लियो पारगिल हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में तिब्बत सीमा के समीप 22,222 फुट ऊंची चोटी है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ हिमालय रेंज में लियो पारगल को चढ़ाई के तौर पर सबसे कठिन और तकनीकी चोटियों में एक समझा जाता है।

इस अभियान के दौरान पर्वतोरोहियों को कम ऑक्सीजन, भयंकर ठंड और ऊंचाई संबंधी रुग्णता जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ा।’’ टीम शिमला में आईटीबीपी सेक्टर मुख्यालय से बनायी गयी थी जिसका नेतृत्व डिप्टी कमांडेंट कुलदीप सिंह ने किया। टीम में हेडकांस्टेबल कुलदीप सिंह भी थे जो दूसरी बार इस चोट पर चढ़े। दल को 20 अगस्त को रवाना किया गया था और इस अभियान को 'योद्धा' नाम दिया गया था।

टॅग्स :उत्तराखण्डआईटीबीपीगृह मंत्रालय
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