उत्तराखंड: विशेषज्ञों ने जुम्मा गांव को तत्काल खाली करने की जरूरत बताई
By भाषा | Published: September 6, 2021 09:25 PM2021-09-06T21:25:33+5:302021-09-06T21:25:33+5:30
पिथौरागढ़, छह सितंबर भूगर्भशास्त्रियों के एक दल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के वर्षा प्रभावित जुम्मा गांव तथा आसपास बसी आबादी के मकानों में बड़ी दरारों के उभरने के बाद क्षेत्र को तत्काल खाली करवाने की संस्तुति की है।
हाल में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में भारी बारिश के दौरान तीन मकान ढहने से पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी और दो अन्य लापता हो गए थे। घटना में दो अन्य व्यक्ति घायल भी हुए थे।
घटना के बाद क्षेत्र के भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए गए विशेषज्ञों के एक दल ने अधिकारियों को जुम्मा गांव और उसके आसपास बसी आबादी के अभी भी खतरे में होने का हवाला देते हुए उसे तत्काल खाली करवाने का सुझाव दिया है।
दल के सदस्य जिला भूगर्भशास्त्री प्रदीप कुमार ने कहा, '' जुम्मा गांव में 29 अगस्त को मकानों के ढहने का कारण बना भूस्खलन, नालापानी से शुरू हुआ था और उसका निचला हिस्सा अब भी दरक रहा है। जुम्मा सहित कई गांव और आसपास बसी आबादी इसके कारण खतरे में हैं। निवासियों को इन गांवों से बाहर निकाले जाने की जरूरत है।''
कुमार ने कहा कि जुम्मा और आसपास के करीब 22 परिवारों के मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पैदा होने के कारण उनके लिए खतरा हो गया है। भूगर्भशास्त्रियों के दल ने क्षेत्र के आठ गांवों का सर्वेंक्षण करने के बाद पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी आशीष चौहान को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
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