मृतक का शव ढाई महीने तक करता रहा अंतिम संस्कार का इंतजार, 15 हजार रुपए के लिए अटक गई थी बात
By अभिषेक पारीक | Updated: July 2, 2021 12:42 IST2021-07-02T12:35:59+5:302021-07-02T12:42:17+5:30
कोरोना काल में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनकी मिसाल मिलना बेहद मुश्किल है। उत्तर प्रदेश के एक परिवार के साथ जो बीती है, उसने हर किसी को हिला कर रख दिया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
कोरोना काल में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनकी मिसाल मिलना बेहद मुश्किल है। उत्तर प्रदेश के एक परिवार के साथ जो बीती है, उसने हर किसी को हिला कर रख दिया है। हापुड़ के सिटी कोतवाली इलाके में एक व्यक्ति की मौत के करीब ढाई महीने के बाद उसका अंतिम संस्कार सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि परिवार के पास 15 हजार रुपए नहीं थे।
मृतक युवक अप्रैल में कोरोना से संक्रमित पाया गया था। जिसके बाद तबीयत बिगड़ने पर उसे मेरठ रैफर कर दिया गया। इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल के डॉक्टरों ने मृतक की पत्नी से कहा कि शव हासिल करने के लिए 15 हजार देने होंगे। अगर पैसे नहीं दिए गए तो हम लोग ही अंतिम संस्कार कर देंगे।
मृतक की पत्नी 15 हजार रुपए का इंतजाम नहीं कर सकी। यह सोचकर की अस्पताल द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा, महिला शव लेने नहीं गई। साथ ही अपने दोनों बच्चों को लेकर गांव चली गई। हालांकि अस्पताल करीब ढाई महीने तक शव रखकर भूल गया। अस्पताल ने परिजनों के लिए ही शव रखा था। हालांकि जब कोई नहीं आया तो मेरठ के अस्पताल ने हापुड़ के स्वास्थ्य विभाग को शव सुपुर्द कर दिया। जिसके बाद विभाग ने तीन दिन पहले शव को जीएस मेडिकल कॉलेज में रखवाया।
प्रशासन के सहयोग से गुरुवार को परिजनों को ढूंढा गया और शव सौप दिया गया। साथ ही एक एनजीओ की मदद से शव का अंतिम संस्कार किया गया। मृतक के मासूम बच्चे और पत्नी जब उसके अंतिम संस्कार के लिए आईं तो हर कोई फूट-फूटकर रो रहा था।
हापुड़ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मृतक के भाई को कोरोना पॉजिटिव होने की बात जब बताई गई तो वह वहां से भाग गया। उसने अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया था। हालांकि अब मृतक की पत्नी और उसके मकान मालिक को ढूंढा गया है।