योगी सरकार ने हाईकोर्ट से कहा- व्यक्तिगत हित से ऊपर है समाज का हित, शादी के बहाने कराया जा रहा है धर्म-परिवर्तन
By विशाल कुमार | Published: October 26, 2021 07:48 AM2021-10-26T07:48:06+5:302021-10-26T10:53:13+5:30
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष सचिव (गृह) अटल कुमार राय द्वारा दायर एक हलफनामे में यह बात कही है, जो यूपी अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट में धर्मांतरण रोधी कानून का बचाव करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि सामुदायिक हित हमेशा व्यक्तिगत हितों पर हावी रहेगा.
सरकार का कहना है कि चूंकि विवाह को किसी व्यक्ति के धर्म को उसकी इच्छा के विरुद्ध परिवर्तित करने के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, उत्तर प्रदेश का धर्मांतरण रोधी कानून इसका समाधान करने का प्रयास करता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष सचिव (गृह) अटल कुमार राय द्वारा दायर एक हलफनामे में यह बात कही है, जो यूपी अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है.
हलफनामे में कहा गया है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करके जब भी कोई धर्म बदलकर किसी अन्य समुदाय में प्रवेश करने का प्रयास करता है तो इससे जटिलताएं पैदा होती हैं.
इसलिए यह धर्मांतरण उस व्यक्ति की पसंद के खिलाफ होगा जो समाज में दूसरे धर्म के सदस्य के साथ रहना चाहता है लेकिन अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहता है.
हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि धर्म का पालन करने, मानने और प्रचार करने के अधिकार में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है.
हलफनामे में कहा गया है कि जहां तक मौलिक अधिकारों का सवाल है, ये मौलिक अधिकार समुदाय के अधिकारों की तुलना में एक व्यक्ति के अधिकार हैं.
हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ यूपी ही नहीं, देश के आठ राज्यों ने गैरकानूनी धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया है. इसमें कहा गया है कि म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी धर्मांतरण विरोधी कानून हैं.