यूपी: योगी सरकार करा रही है परिवार सर्वेक्षण, हर घर से जुटाई जा रही है तमाम जानकारी
By राजेंद्र कुमार | Published: May 8, 2023 07:07 PM2023-05-08T19:07:38+5:302023-05-08T19:11:02+5:30
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जातीय जनगणना की जगह राज्य में बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के जरिये प्रत्येक परिवार का डाटा जुटा रही है। सर्वे के जरिये सूबे में सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी के साथ उनकी आर्थिक तथा शैक्षिक स्थिति का भी आकलन किया जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विपक्षी दलों की मांग के बावजूद जातीय जनगणना नहीं करा रही है, लेकिन राज्य में बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के जरिये सरकार प्रत्येक परिवार का डाटा अवश्य जुटा रही है। परिवार सर्वेक्षण के नाम से कराए जा रहे इस सर्वे के जरिये सूबे में सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी के साथ उनकी आर्थिक तथा शैक्षिक स्थिति का भी आकलन किया जाएगा।
इस सर्वे के बाद अब तक विभिन्न योजनाओं से वंचित पात्र परिवारों को सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत उनका लाभ दिलाया जाएगा। योगी सरकार की इस पहल को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे योगी सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। फिलहाल अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में नामांकन, ड्राप आउट और आउट ऑफ स्कूल बच्चों को चिंहित करने के लिए यह सर्वे कराया जा रहा है।
राज्य के महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद का कहना है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों की स्थिति का आकलन करने के लिए शिक्षकों से परिवार सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए परिवार सर्वेक्षण का प्रारूप तैयार किया गया है। इस प्रारूप में परिवार के मुखिया की जानकारी के तहत मुखिया का नाम, आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, सामाजिक वर्ग (सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी), शैक्षिक योग्यता, व्यवस्था, परिवार की अनुमानित आय, मोबाइल नंबर, घर का स्वामित्व, बीपीएल या एपीएल, पूर्ण पता संकलित किया जा रहा है।
इसके साथ ही 14 वर्ष से अधिक आयु के परिवार के सदस्यों के नाम, आयु, लिंग,मोबाइल नंबर, वैवाहिक स्थिति, शैक्षिक योग्यता, व्यवसाय और मुखिया से उनका संबंध की जानकारी जुटाई जा रही है और एक साल से 14 वर्ष की आयु के बच्चे का नाम, आयु, लिंग, माता-पिता का नाम, मुखिया से संबंध, स्कूल में नामांकन, आउट ऑफ स्कूल बच्चे की भी जानकारी ली जा रही है।
इसके अलावा हर परिवार के व्यवसाय का ब्यौरा भी सर्वे में दर्ज किया जा रहा है। इस लिए हर परिवार के व्यवसाय और उसमें कार्यरत छात्र, स्वरोजगार, गृहणी, बेरोजगार, मजदूर, किसान, सरकारी कर्मचारी और प्राइवेट कर्मचारी का अलग अलग डाटा जुटाया जा रहा है ताकि प्रदेश में प्रत्येक परिवार की औसत आय, आवास की स्थिति का भी आकलन किया जा सके।
अधिकारियों का कहना है कि उक्त सर्वे के परिणामों के आधार पर प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ उन परिवारों को देगी जिन्हें अभी तक पेंशन, छात्रवृत्ति, राशन वितरण और रोजगार संबंधी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। अधिकारियों के अनुसार योगी सरकार एकल मां की ओर से पालन किए जा रहे बच्चे के पालन के लिए पांच सौ रुपये महीने विधवा पेंशन और खाद्य सुरक्षा के लिए पीडीएस के जरिये राशन देती है। इसी प्रकार माता या पिता अथवा दोनों विकलांग होने पर 500 रुपये विकलांग पेंशन और खाद्य सुरक्षा के तहत राशन दिया जाता है।
विकलांग बच्चों को 500 रुपये महीने पेंशन दी जाती है। इसके साथ ही 18 साल से कम उम्र में काम करने वाले बच्चों को मजदूरी करने पर बाल श्रमिक योजना के तहत बेटियों को 1200 और बेटों के 1000 रुपये महीने सहायता दी जाती है। बच्चों की दादा-दादी या नाना नानी की ओर से देखभाल करने पर उन्हें वृद्धावस्था पेंशन के तहत 500 रुपये महीने दिया जाता है। इसके अलावा आउट ऑफ स्कूल बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में प्रवेश दिलाने के साथ सौ रुपये महीने दिए जाने की योजना है लेकिन इन योजनाओं तथा ऐसी ही कई अन्य योजनाओं का लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के पीड़ित लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
ऐसी शिकायतें मिलने के बाद ही परिवार सर्वेक्षण कराने की योजना बनी। अब लोकसभा चुनावों के पहले सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ, सबको मिले यह उक्त सर्वे के जरिए सुनिश्चित करने की बात सूबे के अधिकारी कह रहे हैं। वही दूसरी तरफ विपक्ष के नेताओं का कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार लोगों का डेटा जुटा कर उन्ंहे सरकार की खैरात बांटने के लिए यह परिवार सर्वेक्षण करा रही है। अगर वास्तव में योगी सरकार गरीबों का भला करना चाहती है तो वह जातीय जनगणना करा कर सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को देने का प्रयास करें।