उत्तर प्रदेश में 2 से ज्यादा बच्चे वाले लोगों के लिए बड़ा फैसला लेने की तैयारी में सीएम योगी आदित्यनाथ, जानें क्या है प्लान
By पल्लवी कुमारी | Updated: March 6, 2020 11:10 IST2020-03-06T11:10:55+5:302020-03-06T11:10:55+5:30
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह यह भी बताया कि इसके लिए यूपी सरकार ने एक एक्सपर्ट की टीम भी बनाई है, जो इसे लेकर सारे रिसर्च कर रही है।

Yogi Adityanath (File Photo)
लखनऊ:उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार दो से ज्यादा बच्चे वाले लोगों के लिए एक बड़ा फैसला ले सकती है। यूपी में रहने वाले लोग, जिनके दो बच्चे हैं उनको कुछ अधिकारों से वंचित करने की तैयारी योगी सरकार कर रही है। रिपोर्ट है कि दो से ज्यादा बच्चों वाले शख्स के लिए सरकार की समाजिक कल्याण योजनाओं (welfare scheme) और पंचायत चुनाव में भाग लेने की अनुमति पर रोक लगा सकती है। योगी सरकार का यह कदम जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देने के तौर देखा जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने चार मार्च को कहा कि जनसंख्या को लेकर सरकार की नई नीतियों के बारे में जल्द ऐलान किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा, यूपी की सरकार देश के बाकी राज्यों की जनसंख्या नीतियों पर रिसर्च कर रही है। रिसर्च के बाद जो नीतियां यूपी के लिए सबसे फायदेमंद लगेगी उसको सुधार के साथ लागू किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह यह भी बताया कि इसके लिए यूपी सरकार ने एक एक्सपर्ट की टीम भी बनाई है, जो इसे लेकर सारे रिसर्च कर रही है। इससे पहले साल 2000 में जनसंख्या नीति की यूपी में समीक्षा की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक टाइम्स ऑफ इंडिया ने दावा किया है, प्रदेश में जिन लोगों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, , उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कल्याण योजानाओं से वंचित करने के प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया गया है। एक अधिकारी ने कहा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कल्याण योजानाओं से वंचित करने का फैसला काफी कठिन है। देश में कई राज्य ऐसे भी हैं जो अपने सरकारी कर्मचारियों के के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें स्कूल फीस भत्ते रिबर्स नहीं करते हैं।'
यूपी सरकार द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट टीम के मेंबर डॉक्टर बद्री विशाल ने कहा, क्षिण भारत के राज्य जनसंख्या नियंत्रण करने में काफी हद तक सफल हो गए हैं। लेकिन उत्तर भारत के राज्य इस दिशा में अभी भी संघर्ष कर रहे हैं।