UP: सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद की इफ्तार पार्टी में हुए शामिल
By राजेंद्र कुमार | Updated: March 18, 2025 18:58 IST2025-03-18T18:58:08+5:302025-03-18T18:58:53+5:30
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. इसी के बाद से अब यह चर्चा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव भी पहले ही तरह ही इस बार इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगे.

UP: सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद की इफ्तार पार्टी में हुए शामिल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में रमजान के दौरान कुछ साल पहले तक सियासी इफ्तार की धूम रहती थी. सूबे के सभी राजनीतिक दल इफ्तार पार्टी आयोजित करते थे. सभी पार्टियों के नेता भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इफ्तार पार्टी का आयोजन कर आपसी भाई चारे का संदेश समाज में देते थे. करोना की महामारी ने इस आयोजन पर पहले रोक लगाई.
फिर हिन्दुत्व की राजनीति के चलते राजनीतिक दलों में पार्टी कार्यालयों पर इफ्तार पार्टी आयोजित करने से दूरी बना ली. लेकिन अब बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. इसी के बाद से अब यह चर्चा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव भी पहले ही तरह ही इस बार इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगे. जल्दी ही पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव द्वारा आयोजित की जाने वाली इफ्तार पार्टी की तारीख का ऐलान किया जाएगा.
इसलिए बंद हुई इफ्तार पार्टी :
दरअसल रमजान के दिनों में रोजा इफ्तार पार्टी का एक विशेष महत्व है. इफ्तार पार्टी के जरिए समाज में राजनीतिक और धार्मिक एकता के संदेश दिए जाते रहे हैं. विपक्षी दलों के नेता ही नहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भी इफ्तार पार्टी का आयोजन करते थे. इन पार्टियों में हर दल के नेता अपनी सियासी जंग को किनारे रखकर शामिल होते थे. सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव तो पार्टी मुख्यालय में इफ्तार पार्टी का आयोजन भव्यता के साथ करते थे. उनकी इफ्तार पार्टियों में 30 हजार से अधिक लोग शामिल होते थे.
मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए सपा की सारी इफ्तार पार्टी सपा के मुख्यालय ही ही हुई. परंतु जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती की सरकार वर्ष 2007 में सत्ता पर काबिज हुई तो पहली बार ताज होटल में इफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ. इसके बाद अखिलेश यादव ही सरकार में भी यह प्रथा जारी रही और योगी सरकार के सत्ता में आने पर इस प्रथा को बंद कर दिया गया. लेकिन विपक्षी दलों ने अपने पार्टी कार्यालयों में इफ्तार पार्टी आयोजित करते रहे.
कोरोना का महामारी में इस पर रोक लगी. इसके बाद सूबे में हिंदुत्व की राजनीति हावी हुई और विपक्षी दलों ने भी इफ्तार पार्टी आयोजित करना बंद कर दिया. बीते साल जरूर कांग्रेस ने अपनी पार्टी मुख्यालय पर इफ्तार पार्टी का आयोजन कर उसमें अखिलेश यादव को बुलाया था, लेकिन इस पार्टी में अखिलेश यादव नहीं गए. परंतु अब फिर अखिलेश यादव ने इफ्तार पार्टी में शिरकत की है.
कब आयोजित होगी अखिलेश की इफ्तार पार्टी :
अखिलेश यादव सोमवार को पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. इस पार्टी में अखिलेश यादव के अलावा सपा नेता राम गोविंद चौधरी, जसमीन अंसारी समेत हिंदू-मुस्लिम धर्म के धर्मगुरु शामिल हुए. इस दौरान अखिलेश यादव ने सीएम योगी और उनके सरकार पर जमकर हमला भी बोला है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा नफरत फैलाने की कोशिश करती है. समाज को 80 और 20 में बांटने का बात बोलने वाले योगी नहीं हो सकते हैं. 80 और 20 का मकसद हिंदू-मुसलमान कराने का है.
योगी वस्त्र से नहीं बल्कि विचारों से होता है. फिलहाल सीएम योगी पर अखिलेश यादव के इस हमले को लेकर अब यह चर्चा है कि राज्य में पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की एकता का नारा बुलंद करने वाले अखिलेश यादव इस बार इफ्तार पार्टी का आयोजन कर खुलकर पीडीए की राजनीति को हवा देंगे. फिर चाहे सीएम योगी समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम और यादव की पार्टी होने के ठप्पा लगाते रहे.
अखिलेश यादव के इफ्तार पार्टी आयोजित करने से सपा के उन मुस्लिम नेताओं की भी बोलती बंद होगी जो अखिलेश यादव पर मुस्लिम समाज की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे थे. इसी सोच के तहत सपा जल्दी ही लखनऊ में इफ्तार पार्टी आयोजित करने की तारीख का ऐलान करेंगी.