यूपी चुनाव: ओपिनियन पोल्स पर तत्काल रोक लगाने की मांग, सपा ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, आचार संहिता का उल्लंघन बताया

By विशाल कुमार | Published: January 23, 2022 02:57 PM2022-01-23T14:57:30+5:302022-01-23T15:05:02+5:30

चुनाव आयोग को लिखे पत्र में सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि ओपिनियन पोल्स आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन हैं और समाचार चैनलों द्वारा किए जा रहे ओपिनियन पोल्स पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की अपील की।

up-election-2022-samajwadi-party-urges-eci-to-order-immediate-ban-on-opinion-polls | यूपी चुनाव: ओपिनियन पोल्स पर तत्काल रोक लगाने की मांग, सपा ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, आचार संहिता का उल्लंघन बताया

यूपी चुनाव: ओपिनियन पोल्स पर तत्काल रोक लगाने की मांग, सपा ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, आचार संहिता का उल्लंघन बताया

Highlightsसपा की समाचार चैनलों द्वारा किए जा रहे ओपिनियन पोल्स पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की अपील।पा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र।उन्होंने कहा कि चैनल ओपिनियन पोल दिखा रहे हैं जिससे मतदाता भ्रमित हो रहा है।

लखनऊ:समाजवादी पार्टी ने रविवार को चुनाव आयोग से उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए समाचार चैनलों द्वारा किए जा रहे ओपिनियन पोल्स पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की अपील की। 

चुनाव आयोग को लिखे पत्र में सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि ओपिनियन पोल्स आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन हैं।

आयोग को लिखे पत्र में पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावों की तारीखों का ऐलान 8 जनवरी, 2022 को हो गया है। प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे, अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च, 2022 को होगा, जबकि मतगणना 10 मार्च, 2022 को होगी। कई न्यूज चैनल ओपिनियन पोल दिखा रहे हैं जिससे मतदाता भ्रमित हो रहा है और चुनाव प्रभावित हो रहा है। यह आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।

बता दें कि, ज़ी के ओपिनियन पोल में दावा किया गया है कि भाजपा को 245-267 सीट तो वहीं सपा को 125-148 सीट मिलने का अनुमान है। ओपिनियन पोल ने बीएसपी को 5-9 और कांग्रेस को 3-7 सीटे मिलने की बात कही है।

पिछले साल अक्टूबर में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी मांग की थी कि चुनाव आयोग आम और राज्य चुनावों से पहले छह महीने की अवधि के लिए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण करने से समाचार चैनलों को प्रतिबंधित करे, ताकि मतदाता स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से और भ्रामक और प्रायोजित अनुमानों से प्रभावित हुए बिना अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

बता दें कि, चुनाव के दौरान मीडिया संस्थान, जनमत सर्वे करने वाली संस्थाओं के साथ साझेदारी में, 'ओपिनियन पोल' और 'एग्जिट पोल' करते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस पार्टी के जीतने की सबसे अधिक संभावना है। 'ओपिनियन पोल' चुनाव से पहले किया किया जाता है, जबकि 'एग्जिट पोल' वास्तव में मतदान करने के बाद किया जाता है।

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